अंक ज्योतिष के उपयोग

अंक ज्योतिष के उपयोग  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 16445 | सितम्बर 2008

अंक ज्योतिष के उपयोग अंक ज्योतिष, हस्त रेखा शास्त्र, ज्योतिष एवं अन्य फलित विज्ञानों में कौन सा सबसे सटीक है?

अवश्य ही ज्योतिष सभी फलित विज्ञानों में सबसे सटीक है। यही सबकी जननी है। ज्योतिष के बाद हस्त रेखा विज्ञान सटीकता में खरा उतरता है। तदुपरांत अंक ज्योतिष, या अन्य आते हैं।

क्या अंक ज्योतिष में शून्य का कोई फल नहीं है?

अंक ज्योतिष में शून्य का अर्थ वही मानें, जो 9 का है, क्योंकि यदि किसी वस्तु का नंबर 1845 है, तो अंकों का योग हुआ 18 और 9 से भाग देने पर शेष बचा 9, या शून्य। अंक ज्योतिष में 9 का योग करने से अंक में कोई अंतर नहीं आता। उसी प्रकार शून्य का योग करने से भी कोई अंतर नहीं आता। अतः अंक ज्योतिष में शून्य 9 के समान ही है। गणित की भाषा में अंक ज्योतिष ड व् क् 9 की तरह काम करती है। इसलिए 0 = 9,-1 = 8,-2= 7 एवं 10 = 1 होता है।

अंक ज्योतिष कहां-कहां उपयोग में आती है?

अंक ज्योतिष द्वारा जातक का स्वभाव आदि तो जान ही सकते हैं; साथ ही 2 जातकों के मूलांक एवं भाग्यांक द्वारा उनमें सामंजस्यता जान सकते हैं; अर्थात मेलापक कर सकते हैं। जातक के मूलांक, या भाग्यांक से, मित्र संबंध वाली तारीख की गणना कर के, मुहूत्र्त निकाल सकते हैं। जातक और उसकी कंपनी के लिए शुभ नाम का चयन कर सकते हैं। जातक के लिए कौनसा वर्ष उत्तम है, यह वर्ष के अंक, या जातक की आयु के अंक द्वारा जाना जा सकता है। जातक से अंक पूछ कर जातक के प्रश्न का उत्तर दिया जा सकता है। इस प्रकार अंक ज्योतिष का उपयोग जातक के फल विवेचन, मिलान, वर्षफल, प्रश्न, शुभ नाम जानने आदि के लिए किया जा सकता है।


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मेदनीय ज्योतिष में अंक ज्योतिष का क्या उपयोग है?

अंक ज्योतिष को देश-विदेश में आपसी मेल जानने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए, देश के नाम का नामांक निकाल कर, आपसी मेलापक किया जा सकता है। अमुक देश के लिए कौन सा वर्ष अच्छा रहेगा और कौन सा खराब, यह वर्ष के अंक और देश के नामांक में मेल द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। जैसे प्दकपं का नामांक हुआ 1+5+4+1+1 = 3 अतः सन् 2010 जिसका योग भी 3 है, प्दकपं के लिए अति शुभ होगा। शेयर बाजार में भी शेयर के नाम का नामांक निकाल कर एवं तारीख, या वार स्वामी से उसका संबंध जान कर, उसके उतार-चढ़ाव का फलित कथन किया जा सकता है।

अंक ज्योतिष द्वारा मेलापक कैसे करें?

2 जातकों के मूलांक एवं भाग्यांक यदि मैत्री संबंध रखते हैं, तो मेलापक शुभ होगा, अन्यथा अशुभ। अंको के गुण-धर्म द्वारा उनका मेलापक विस्तृत रूप से बताया जा सकता है।

वाहन, मकान, या लाॅटरी के नंबर का अंक ज्योतिष द्वारा कैसे चयन करें?

जिस प्रकार से किसी जन्म तारीख से मूलांक एवं भाग्यांक निकालते हैं, उसी प्रकार वाहन आदि के नंबर का भी मूलांक फ्यूचर समाचार स स सितंबर 2008 11 एवं संयुक्तांक निकाला जाता है। यदि वाहन का नंबर डी.एल.जेड.सी.क्यू. 5602 है, तो मूलांक हुआ 5+6+0+2 = 13 = 4 और संयुक्तांक हुआ डी.एल.जेड.सी.क्यू. 5602 4+3+3+3+1+5+6+0+2 = 27 = 9 इसी प्रकार यदि सी-3 सेक्टर के पाॅकेट नंबर 4 में 29 नंबर घर के दूसरे तल में रहते हैं और फ्लैट नंबर सी-3/4-29 बी. है, तो मूलांक हुआ 2+9 = 11 = 2 एवं सयुक्तांक हुआ सी-3/4-29 बी 3+3+4+2+9+2 = 23 =5 इसी प्रकार लाॅटरी आदि का भी मूलांक एवं संयुक्तांक प्राप्त किया जा सकता है एवं जातक के मूलांक एवं भाग्यांक से संबंध जान कर शुभता-अशुभता का विचार किया जा सकता है।

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नाम, या कंपनी के नाम का चयन कैसे करें? ज्योतिष से तो नाम का प्रथम अक्षर जान लेते हैं। अंक ज्योतिष द्वारा भी प्रथम अक्षर का अपने मूलांक के अनुरूप चयन कर सकते हैं। तदुपरांत नाम के प्रत्येक अक्षर के अंक का योग कर नामांक प्राप्त कर सकते हैं। नामांक भी 2 प्रकार के होते हैं- एक मूल नाम के अक्षरों का योग एवं दूसरा पूरे नाम के अक्षरों का योग। प्रथम को मूल नामांक, या सूक्ष्म नामांक कहते हैं एवं दूसरे को संयुक्त नामांक। इन दोनों नामांकों का मूलांक एवं भाग्यांक से मैत्री संबंध देख कर शुभता-अशुभता का विचार किया जाता है। नाम में कुछ अक्षर घटा-बढ़ा कर नामांक को शुभ भी बनाया जा सकता है।

अंक ज्योतिष से प्रश्न का उत्तर कैसे दें?

प्रश्नकर्ता से एक नंबर पूछें। यह नंबर 4-5 संख्या का, या उससे अधिक का हो; अर्थात हजारों, या लाखों में उसका मान हो। संख्या के अंकों का योग कर प्रश्नांक ज्ञात करें। उसका प्रश्नकर्ता के मूलांक एवं भाग्यांक से मेल करें। यदि अंकों में मैत्री है, तो फल शुभ होगा, अन्यथा अशुभ। प्रश्नकाल के युगांक का जातक के मूलांक व भाग्यांक से संबंध जानकर भी प्रश्न का उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। जैसे प्रश्न काल 14 अगस्त 2008 12 बजकर 20 मिनट का युगांक हुआ 1, अतः यदि प्रश्नकर्ता का मूलांक भी 1 है तो फल उत्तम रहेगा।

अंक ज्योतिष में लोशु चक्र क्या है?

लोशु चक्र में अंकों के स्थान निर्धारित हैं। इसमें जन्म दिनांक के सारे अंक रख दिए जाते हैं और यह जाना जाता है कि कौन सा अंक कितनी बार आया और कौन सा अंक नहीं आया। जो अंक नहीं आते हैं उनकी जातक के जीवन में कमी रहती है और जो अंक एक या एक से अधिक बार आते हैं उनकी जीवन में पूर्णता रहती है। जैसे- 12.8.1967 को जन्मे जातक का लोशु चक्र निम्न होगा। इस चक्र में 4, 3 व 5 अंक नहीं हैं एवं 1 दो बार आ रहा है। अतः जातक को ऐसे स्थान या व्यक्ति के साथ काम करना चाहिए जिसमें 3, 4, व 5 अंक हो जिससे आपकी कमी पूरी हो सके।

अंक ज्योतिष का उपयोग मुहूर्त ज्ञान के लिए कैसे होता है?

शुभ वर्ष जानने के लिए वर्षांक की मूलांक व भाग्यांक से मैत्री देखें। इसी प्रकार तारीख के अंक व पूर्णांक का मूलांक व भाग्यांक से मैत्री संबंध स्थापित करें। तदुपरांत समय अर्थात घंटे व मिनट के योग का मूलांक व भाग्यांक से मैत्री स्थापित कर मुहूर्त का समय ज्ञापित करें। उपरोक्त पद्धति द्वारा जातक के लिए प्रति मिनट व घंटे का शुभाशुभ फल ज्ञात कर सकते हैं।

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अंग्रेजी के अतिरिक्त हिंदी, या अन्य भाषाओं में नामांक भिन्न आते हैं, तो क्या ठीक मानें?

सभी भाषाओं में अक्षरों को अंक नहीं दिये गये हंै। हिंदी में अक्षरों को अंक तो दिये गये हैं, लेकिन अधिक प्रचलित नहीं हैं। अतः उनके फल कितने सटीक हैं, कहना कठिन है। अतः नाम को अंग्रेजी में लिख कर, उसका योग कर, नामांक की गणना करना ही उचित है।


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