कैरियर का चुनाव

कैरियर का चुनाव  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 12291 | जुलाई 2010

प्रश्नः जातक की जन्मकुंडली से कैरियर का चयन किस प्रकार करेंगे? इंजीनियरिंग, डाॅक्टरी, वकालत, अध्यापन, अभिनय कला आदि क्षेत्रों में सफलता प्राप्ति के लिए प्रमुख योगों का वर्णन करें। साधारणतः दशम भाव (या तो लग्न से या चंद्र से जो भी बलवान हो) और उसके स्वामी, दशम भाव में स्थित ग्रहांे से, जन्मपत्री के प्रधान ग्रह, और नवांष में दशमेश की स्थिति से कैरियर के बारे में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। मेष, सिंह और धनु आग्नेय राषियां हैं। वृषभ, कन्या और मकर पार्थिव हैं। मिथुन, तुला, कुंभ वायव्य और कर्क, वृश्चिक, मीन जलीय हैं। दशम भाव में आग्नेय राशि होने पर कारखाने, अग्नि, सेना, लोहा, धातुशोधन मुद्रण संबंधी कोई कार्य अपनाया जाता है। दशम भाव में जलीय राशि नाविक, जलयात्री, समुद्री, सेना नायक, सराय चलाने वाले मछली विक्रेता उत्पन्न करती है। पार्थिव राशि भूमि संबंधी जायदाद, कृषि, वस्त्र की दुकान, व्यापार, बागवानी इत्यादि प्रदान करती है।

वायव्य राशि वक्ता, पत्रकार, ज्योतिषी, टेक्निकल ज्ञान का व्यवसाय करने वालों का निर्देशन करती है। राशि निर्देशन उनमें स्थित ग्रहों या दृष्टिपात कर्ता ग्रहों द्वारा और भी परिवर्धित-संशोधित हो जाता है। अगर हम कैरियर के प्रश्न को वास्तविकता से देखें तो हमें पता चलता है कि यह केवल कर्म से नहीं जुड़ा अपितु लाभ, धन और सुख से भी जुड़ा है। इसलिए हम व्यवसाय को द्वितीय, चतुर्थ एवं एकादश भाव से भी जान सकते हैं। इन भावों को यदि हम सर्वाष्टक वर्ग के अनुसार देखें तो स्पष्ट रूप से दिखता है कि जातक को कर्म द्वारा कितना लाभ मिलता है और कितना व्यर्थ करता है। ज्योतिष शास्त्रानुसार यदि दशम् भाव में कोई ग्रह हो तो जातक को अपने कर्मों द्वारा उन्नति सुनिश्चित होती है। यदि दशमस्थ ग्रह उच्च का हो तो जातक को एकाएक उन्नति मिलेगी।

यदि दशमस्थ ग्रह नीच का हो तो उन्नति तो मिलती है लेकिन संदिग्ध रहती है। कैरियर की जानकारी के लिए नवांश कुंडली पढ़ना अति आवश्यक है। यदि दशमभाव में कोई ग्रह न हो तो दशमेश और नवांशेश को जानकर फिर कैरियर पर विचार करें? सूर्य: जैसे सूर्य का दशम भाव से या दशमेश के नवांशेश से संबंध हो तो जातक सुगंधित वस्तुओं, आभूषणों का कार्य, दवाईयां, प्रबंधन, राज्य का शासन करेगा, लेकिन पिता के सहयोग व समर्थन से सफल होगा। चंद्रमा: यदि इन भावों और राशियों का संबंध चंद्रमा से हो तो जातक को खेती-बाड़ी से संबंधित चीजों का क्रय-विक्रय करना चाहिए। ऐसे जातक को धागा, कपड़ों और पेय पदार्थों का कार्य करना चाहिए। नर्स, दाई, जौहरी, मूल्यवान पत्थरों-मोतियों के व्यापारी, साथ ही राजकीय कर्म पर प्रभाव रखता है।

मंगल: सैनिक, योद्धा, बढ़ई, यांत्रिक, पर्यवेक्षक, वकील, बैंकर, सेनानायक, बीमा एजेंट और कसाई का पेशा कराता है। इन भावों का संबंध मंगल से बने तो जातक अस्त्र-शस्त्र, कलपुर्जे का काम या ऐसा कार्य करना चाहिए जिसमें अग्नि और पराक्रम की आवश्यकता होती है। ऐसे जातक कनिष्ठ अभियंता, मिलिट्री पुलिस या फौज का काम करता है। यदि इसमें मंगल पीड़ित हो तो जातक पराये धन का लाभ उठाता है या जबरन किसी पर रौब जमा कर कार्य करने वाला होता है। बुध: उपदेशकों, अध्यापकों, गणिततज्ञों, लेखकों, मुद्रकों, सचिवों, पुस्तक विक्रेताओं, लेखपालों और बीमा एजेंटो पर शासन करता है। बुध ग्रह जातक की बुद्धि से करने वाला व्यवसाय कराता है अर्थात ऐसा काम जिसमें बुद्धि का उपयोग होता है। जैसे: ज्योतिष, अध्यापक या गणितज्ञ। बृहस्पति: पुरोहित-पादरी, कानूनज्ञाता, सभासद-सांसद, विधायक, न्यायाधीश, विद्वान जन नेता बनाता है।

बृहस्पति यदि दशमेश या नवांशेश अथवा दशमस्थ हो तो जातक इन व्यवसायों से धन प्राप्त करता है। इतिहास और पुराणादि का पठन-पाठन, धर्मोपदेश, किसी धार्मिक संस्था का निरीक्षण अथवा संपादन, हाई कोर्ट कार्य अथवा जजमेंट तैयार करना। शुक्र: कलाकारों, संगीतज्ञों, अभिनेताओं, सुगंध निर्माताओं, जौहरी, शराब बेचने वाले और सूक्ष्म बुद्धि के वकीलों का जन्मदाता है। यदि शुक्र का संबंध हो तो जातक जौहरी का काम, गौ महिषादि का रोजगार, दूध, मक्खन आदि का क्रय-विक्रय, होटल या रेस्तरां का प्रबंधक। शनि: विभिन्न उŸारदायित्व पूर्ण पेशों, मिल के अधिकारियों, कंपोजीटरों, फैक्ट्री-कुलियों और मंत्रियों पर शासन करता है। काष्ठादि का क्रय-विक्रय, मजदूरी और मजदूरों की सरदारी आदि का कार्य। अर्थात् शनि शारीरिक परिश्रम से संबंधित कार्य कराता है। वकालत, दो मनुष्यों के बीच झगड़ा करवाकर अपना काम निकलवाना उŸारादायित्व वाला काम। उपर्युक्त तथ्यों के अनुसार पता चलता है कि जातक किस प्रकार का व्यवसाय करेगा।

किंतु एक ग्रह कई प्रकार के व्यवसायों को निर्दिष्ट करता है। इसलिए ग्रहों की स्थिति पर, उसके उच्च नीचादि गुणदोष पर तथा उन ग्रहों पर शुभाशुभ दृष्टि का अच्छी तरह विचार करना चाहिए। यदि निर्दिष्ट कुंडली में धन योग उŸाम है तो जातक डिप्टी, बैरिस्टर या वकील जैसे व्यवसाय करेगा। शिक्षा का निर्णय: विद्या का निर्णय साधारणतः चैथे घर, उसके स्वामी और विद्या कारक बृहस्पति से होता है। पांचवा घर बुद्धिमŸाा का प्रतीक है। चैथे में अशुभ ग्रह शिक्षा में रुकावट उत्पन्न करते हैं। शुभ स्थिति में बृहस्पति तथा बुध मनुष्यों तथा पदार्थों का अच्छा ज्ञान प्रदान करते हैं। बृहस्पति चैथे या दशम में उच्च कानूनी शिक्षा का द्योतक है। यदि दूसरे घर का स्वामी सुस्थित हो, तो व्यक्ति वक्ता या प्राध्यापक बनता है। केंद्र में बुध या दूसरे में शुक्र होने पर ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान होता है। दूसरे में मंगल तथा केंद्र में बुध मनुष्य को गणितज्ञ या प्राविधिक योग्यता प्रदान करता है। सूर्य या मंगल दूसरे के स्वामी के नाते शुक्र या बृहस्पति के साथ तर्क शक्ति और मन संबंधी शास्त्रों का ज्ञान प्रदान करते हैं।

बृहस्पति तथा शुक्र जब केंद्रों में हों, बुध द्वारा दृष्ट हों तो दार्शनिक अभिरुचि का निर्देशन करते हैं। केंद्रों में शुक्र और बृहस्पति होने से उर्वर प्रतिभा का ज्ञान होता है। चतुर्थ के स्वामी और बृहस्पति तीसरे, छठे तथा 11वें के स्वामी ग्रहों के प्रभाव से मुक्त होने चाहिए। फिर शिक्षा-क्रम नहीं टूटता। सफलता प्राप्ति के प्रमुख योग: यदि दूसरे का स्वामी 9वें में हो तो पैतृक संपŸिा प्राप्त होती है। शुभ ग्रहों से वसीयत का, लाभप्रद ग्रहों से, विशेषकर 7वें शुक्र से विवाह द्वारा धनलाभ का ज्ञान प्राप्त होता है। अपनी जन्मपत्री से समानता रखने वाले लोगों के साथ संबंध होने से लोग पद तथा समृद्धि संपन्नता में और आगे बढ़ जाते हैं। कामर्स की शिक्षा और व्यवसाय: इस विषय की जानकारी केवल बुध के चतुर्थ और पंचम भाव से संबंधित भाव से नहीं होती बल्कि अन्य ग्रहों का सहयोग भी आवश्यक है। कामर्स पढ़ने वालों की कुंडली में मंगल ग्रह का भी सहयोग है।

मंगल का चतुर्थ, पंचम भाव से संबंध है। मंगल आंकड़ों का आकलन विषय का सूक्ष्म अध्ययन सिखाता है। बृहस्पति धन का कारक है, यह संपूर्ण विषय धन की गणना से संबंधित है, इसलिए बृहस्पति का भी सहयोग चतुर्थ, पंचम भाव से हो सकता है। इसी प्रकार शनि ग्रह कानून या वकालत सिखाता है। इस विषय में कानून का अध्ययन भी किया जाता है। एक विषय सैक्रटेरियल प्रेक्टिस तथा व्यापार कानून का है, जिसमें शुक्र का महत्व हो सकता है। इस प्रकार बुध, बृहस्पति, मंगल, शनि, शुक्र का महत्व इस विषय के अध्ययन के लिए है। इनमें से जो ग्रह बलवान होगा उस विषय में अधिक रुचि तथा उन्नति होगी। चार्टर्ड एकाउंटेंट अर्थात् सी.ए. कंपनी सेक्रेटरी अर्थात् सी. एस. करके इस विषय में आगे बढ़ सकते हैं ये कामर्स की खास व्यवस्था हैं।

Û कामर्स के लिए, बुध, बृहस्पति, मंगल, शनि, शुक्र इनमें से किन्हीं दो ग्रहों का चतुर्थ, पंचम भाव-भावेश से संबंध होना आवश्यक है।

Û चार्टर्ड एकाउंटेंट (सी.ए.) के लिए बृहस्पति, मंगल, बुध इन तीन ग्रहों का संबंध चतुर्थ-पंचम भाव-भावेश से होना आवश्यक है।

Û कंपनी सेक्रेटेरियल (सी.एस.) के लिए बृहस्पति, मंगल, बुध-शनि ग्रह का संबंध पंचम भाव से होना आवश्यक है। उपरोक्त योग में मंगल की जगह केतु हो सकता है।

किसी भी जातक की जन्मकुंडली में लग्न, लग्नेश, पंचम भाव, पंचमेश, नवम भाव नवमेश का अच्छे भावों व शुभ ग्रहों से युत होना जातक को आदर्श स्थिति प्रदान करते हैं। परंतु जहां तक कैरियर का संबंध है उसके लिए जातक का दशम भाव व दशमेश का अध्ययन अति आवश्यक होता है। दशम भाव कर्म भाव भी कहलाता है जिससे जातक के कार्य, व्यवसाय, नौकरी आजीविका का पता चलता है। दशम भाव में स्थित ग्रह, दशमेश व उसका स्वामी, नवांश, तीनों लग्नों से दशम भाव में स्थित ग्रह, कुंडली के योग कारक ग्रह आदि का अध्ययन कर जातक की आजीविका का पता चल सकता है। दशम भाव के अतिरिक्त एकादश, द्वितीय व सप्तम भाव पर भी दृष्टिपात करना जरूरी होता है। कारण यह सभी भाव धन, व्यवसाय व सांझेदारी से जुड़े होते हैं जिनके बिना आजीविका या व्यवसाय नहीं किया जा सकता। दशम भाव का मुख्यतः कैसे विचार किया जाए इस हेतु हमारे आचार्यों ने बहुत कुछ स्पष्ट किया है।

Û लग्न या चंद्र से दशम जो ग्रह हो उनके अनुसार आजीविका से लाभ होता है। यदि कोई ग्रह ना हो तो सूर्य से दसवे जो ग्रह हो उससे भी आजीविका जाननी चाहिए।

Û यदि सूर्य, चंद्र व लग्न से दशम कोई ग्रह ना हो तो दशमेश जिस नवांश में हो उस ग्रहानुसार आजीविका होती है।

Û नवांश चक्र में दशमस्थ ग्रह/दशमेश ग्रह के आधार पर भी आजीविका हो सकती है।

Û इसके अतिरिक्त शनि ग्रह पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि नाड़ी ग्रंथों में शनि को कर्म का कारक कहा गया है।

Û 6, 7, व 9 भाव को अवलोकित करना चाहिए। ये भी आजीविका निर्धारण में महत्व रखते हैं।

Û जन्म नक्षत्र व उससे दशम नक्षत्र व नक्षत्र स्वामी से भी आजीविका देखी जा सकती है।

Û यदि दशम में राहु-केतु हो तो दशमेश व राहु केतु के अनुसार आजीविका हो सकती है। उपरोक्त परिस्थितियों के अलावा अन्य और भी कई योग हो सकते हैं जो आजीविका निर्धारण में हमारी सहायता करते हैं ऐसे ही कुछ योग निम्नलिखित हैं- डाॅक्टर चिकित्सक बनने के योग: कुंडली में यदि -

Û दशम भाव /दशमेश पर अष्टमेश की दृष्टि/ युति प्रभाव और सूर्य शनि का दृष्टि व युति संबंध हो।

Û एकादश भाव/ एकादशेश पर सूर्य, शनि व अष्टमेश का प्रभाव हो।

Û लग्न में अष्टमेश,सूर्य व शनि की युति हो।

Û षष्ठेश का दशम, एकादश भाव या इनके भावेश को प्रभावित करना भी डाॅक्टरी योग बनाता है।

Û दशम भाव में मंगल शनि की युति सर्जन बनाती है।

Û षष्ठेश का संबंध लग्न व दशम भाव से होना भी डाॅक्टरी योग बनाता है।

Û मंगल, शुक्र व शनि की राशियों में चंद्र-शनि, मंगल-शनि, बुध-शनि इन दो ग्रहों की युति या सूर्य चंद्र के साथ अलग-अलग तीन ग्रहों की युति जातक को चिकित्सक बनाती है। इंजीनियर बनने के योग: कुंडली में मंगल व शनि का बलवान व शुभ होना इंजीनियर बनने हेतु अति आवश्यक है। क्योंकि शनि लोहे व तकनीकी का कारक है तथा मंगल ऊर्जा, विद्युत आदि का कारक है।

Û मंगल व शनि की राशियों का लग्न होना तथा इन दोनों ग्रहों का शुभ स्थिति में होना।

Û यदि मंगल व शनि पंचम भाव में होकर कर्मभाव/कर्मेश से संबंध स्थापित करें।

Û दशम भाव/ दशमेश पर मंगल से दृष्टि संबंध तथा सप्तम सप्तमेश से संबंध होना।

Û ज्योतिष में शनि, मंगल, राहु व केतु को तकनीकी व खोजीग्रह माना गया है। यदि इनमें से किसी का संबंध दशम भाव/दशमेश से हो जाए तो जातक इंजीनियर बन सकता है।

Û बलवान शुक्र बुध से युति कर दशम भाव/दशमेश को प्रभावित करें।

Û कुंडली में राहु का पंचम भाव/ पंचमेश से दृष्टि युति संबंध भी जातक को इंजीनियरिंग हेतु प्रेरित करता है। वकालत के योग: कानून की शिक्षा हेतु गुरु, शनि, शुक्र व बुध ग्रह अत्यधिक प्रभावी होना आवश्यक होता है। जहां गुरु व शुक्र कानून शास्त्र से संबंधित है। बुध व शनि वाणी व बहस करने हेतु जरूरी हैं। इनके बिना वकालत नहीं की जा सकती।

Û यदि दशम भाव में शनि उच्च का हो, दशम भाव पर दृष्टि डाले तो वकालत का योग बनता है।

Û गुरु उच्च/स्वक्षेत्री होकर दशम भाव/दशमेश से दृष्टि युति संबंध बनाए।

Û नवमेश दशमेश का परस्पर संबंध हो।

Û कुंडली में बुध, गुरु, शनि का उच्च व बली होना।

Û दशमेश का नवम/षष्ठ भाव से संबंध होना।

Û तुला राशि का संबंध दशम भाव/लग्न से होना (तुला राशि को न्याय का प्रतीक माना जाता है।)

Û गुरु का बली होना तथा धनु/मीन राशि का शुभ ग्रहों से दृष्ट होना।

Û दशम भाव पर मंगल, गुरु व केतु का प्रभाव होना भी वकालत की और प्रेरित करता है।

Û तुला, धनु व मीन राशियों का लग्न या दशम भाव से संबंध भी जातक को वकालत की ओर प्रेरित करता है। अध्यापक बनने के योग:

Û कुंडली में गुरु व बुध का शुभ, उच्च व बली होना।

Û लग्नेश की पंचमेश से युति होना।

Û दशम भाव में उच्च का गुरु होना।

Û तीसरे/दसवें भाव में गुरु का होना।

Û बुधादित्य योग होना Û सप्तमेश केंद्र में बैठकर दशमेश से दृष्ट हो तथा इन दोनों में से किसी भाव में गुरु हो।

Û गुरु सूर्य का उच्च होना, युतिगत होना तथा एक दूसरे से सप्तम होना। अभिनय कला के योग:

Û पंचम में शुक्र हो पंचमेश शुक्र से संबंधित हो।

Û पंचम शुक्र, ग्यारहवें राहु तथा लग्नेश पंचम में हो।

Û पंचम शुक्र, भाग्येश भाग्य स्थान में लग्नेश धनेश का योग हो।

Û लग्नेश लग्न में शुक्र मंगल व्यय भाव में हो।

Û मंगल, शुक्र, बुध का किसी प्रकार का संयोग हो।

Û राहु चंद्र संग, शुक्र लग्नेश संग हो।

Û व्यय भाव में शुक्र चंद्र बुध से युत व दृष्ट हो।

Û छठे भाव में सूर्य, शुक्र, राहु हो तथा पंचम भाव का किसी भी प्रकार से इन ग्रहों का संबंध हो। जन्मकुंडली में नौकरी का योग: जातक की कुंडली में निम्नानुसार योग होने की स्थिति में वह नौकरी करेगा-

Û यदि षष्ठम भाव, सप्तम भाव से ज्यादा बली हो।

Û लग्न, सप्तम भाव, चंद्र लग्न एवं धन के कारक गुरु का शुभ ग्रह बुध एवं शुक्र से संबंध।

Û लग्न, लग्नेश, नवम भाव, नवमेश, दशम भाव एवं दशमेश, एकादश भाव या एकादशेश किसी भी जल तत्व ग्रह से प्रभावित न हो।

Û केंद्र या त्रिकोण में कोई भी शुभ ग्रह न हो।

Û यदि जातक की आयु 20 से 40 वर्ष के दौरान निर्बल योगकारक ग्रह तृतीयेश, षष्ठेश या एकादशेश की दशा से प्रभावित हो। जन्मकुंडली में व्यवसाय का योग: जातक की कुंडली में निम्नानुसार योग होने की स्थिति में वह व्यवसायी होगा-

Û यदि सप्तम भाव षष्ठ भाव से ज्यादा बली हो।

Û नवम और दशम तथा द्वितीय और एकादश भावों के बीच आपसी संबंध हो।

Û यदि जातक का जन्म दिन में हो तो चंद्र लग्न या दशम भाव पर योगकारी ग्रह या उच्च या स्वराशिस्थ शनि की दृष्टि हो या उससे संबंध हो।

Û जन्मकुंडली में अधिकांश ग्रह अग्नि या वायु तत्व राशियों में विद्यमान हों तो जातक के व्यवसायी होने की संभावना अत्यधिक बली हो जाती है। जन्म कुंडली में व्यवसाय के स्तर का योग: वर्तमान समय में व्यवसाय या व्यापार का वैश्वीकरण हो जाने के कारण देश के स्थान पर दिशा पर ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। नवांशेश यदि बली हो तो रोजगार का स्तर काफी अच्छा होता है और जातक को रोजगार में मान सम्मान प्राप्त होता है और यदि नवांशेश निर्बल हो तो रोजगार से मामूली आय होती है। अतः राशि बली होने से आमदनी का स्तर एवं रोजगार का स्तर सही ढंग से जाना जा सकता है। जैमिनी ज्योतिष पद्धति: जैमिनी पद्धति के अनुसार व्यवसाय चयन हेतु कारकांश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। (कारकांश आत्म कारक का नवमांश है) यदि कारकांश या उससे दसवां किसी ग्रह से युक्त न हो तो कारकांश से दशमेश की नवमांश में स्थिति से व्यवसाय ज्ञात किया जाता है।

Û कारकांश में सूर्य राजकीय सेवा देता है और राजनैतिक नेतृत्व देता है।

Û पूर्ण चंद्र व शुक्र कारकांश में लेखक व उपदेशक बनाता है।

Û कारकांश में बुध व्यापारी तथा कलाकार का योग प्रदान करता है।

Û बृहस्पति कारकांश में जातक को धार्मिक विषयों का गूढ़ विद्वान व दार्शनिक बनाता है।

Û कारकांश में शुक्र जातक को सरकारी अधिकारी शासक व लेखक बनाता है।

Û कारकांश में शनि जातक को विख्यात व्यापारी बनाता है।

Û कारकांश यदि राहु हो तो मशीन निर्माण कार्य, ठगी का कार्य करने वाला जातक को बना देता है।

Û कारकांश का केतु से संबंध हो तो जातक नीच कर्म तथा धोखाधड़ी से आजीविका कमाता है।

Û कारकांश यदि गुलिक की राशि हो और चंद्र से दृष्ट हो तो व्यक्ति अपने त्यागपूर्ण व्यवहार से और धार्मिक कार्येां से जीविका अर्जित करेगा।

Û कारकांश में यदि केतु हो और शुक्र से दृष्ट हो तो धार्मिक कार्यों से आजीविका अर्जित करेगा।

Û कारकांश यदि सूर्य व शुक्र द्वारा दृष्ट हो तो जातक राजा का कर्मचारी बनता है।

Û कारकांश से तीसरे और छठे में क्रूर ग्रह हों तो जातक खेती व बागवानी का कार्य करता है।

Û कारकांश में चंद्र हो और शुक्र से दृष्ट हो तो वह रसायन विज्ञान द्वारा आजीविका अर्जित करता है।

Û कारकांश में चंद्र यदि बुध द्वारा दृष्ट हो तो जातक डाॅक्टर होता है।

Û कारकांश में शनि हो या उससे चैथे में हो तो जातक अस्त्र-शस्त्र विद्या में निपुण होता है।

Û कारकांश से चैथे में सूर्य या मंगल शस्त्रों से जीविका प्रदान करता है।

Û कारकांश से पांचवें या लग्न में चंद्र व गुरु जातक को लेखनी द्वारा जीविका अर्जन प्रदान करते हैं।

Û कारकांश में पांचवें व सातवें में गुरु हो तो व्यक्ति सरकारी उच्च अधिकारी होता है।

Û कारकांश मंे यदि शनि हो तो जातक पैतृक व्यवसाय करता है।

Û कारकांश लग्न या उससे पंचम स्थान में अकेला केतु हो तो मनुष्य ज्येातिषी गणितज्ञ, कंप्यूटर विशेषज्ञ होता है।

Û कारकांश लग्न से पंचम में राहु हो तो जातक एक अच्छा मैकेनिक होता है।

Û यदि नवांश में राहु आत्मकारक के साथ हो तो जातक चोरी, डकैती से आजीविका चलाता है।

Û कारकांश लग्न से शनि चतुर्थ या पंचम हो तो जातक निशानेबाज होता है और यही आजीविका का साधन भी हो सकता है।

Û कारकांश से पंचम में शुक्र हो तो जातक को कविता करने का शौक होता है।

Û कारकांश से पंचम में यदि गुरु हो तो जातक वेदों और उपनिषेदों का जानकार और विद्वान होता है तथा यही जातक की आजीविका का साधन भी होता है।

Û कारकांश से पंचम में यदि सूर्य हो तो जातक दार्शनिक तथा संगीतज्ञ होता है।

भारतीय ज्योतिष में नक्षत्रों की भूमिका एवं नक्षत्रों के माध्यम से कैरियर का निर्धारण नक्षत्र नक्षत्र कारक नाम स्वामी अश्विनी केतु वैद्य, सेवक, वैश्य, अश्वारोही, सेना में डाक्टर, यात्राओं के आयोजक, लघु उद्योग, तकनीकी विशेषज्ञ, भवन निर्माता कारीगर, सलाहकार, कमीशन पर कार्य करने वाले भरणी शुक्र प्रसूति विशेषज्ञ, नसिंग होंम संचालक, पुलिस, कस्टम, रक्त परीक्षक, फोटोग्राफी, अग्नि शमन केन्द्र, अस्त-शस्त्र विक्रेता, कोर्ट कचहरी एवं बागानों मे कार्य करने वाले कृतिका सूर्य द्विज, पुरोहित, ज्योतिषी, नाई, अग्नि से संबंधित कार्य, सुनार, लोहार, होटल एवं ढाबा व्यवसायी, शल्य चिकित्सक, काॅस्मेटिक्स, सर्जरी, उच्च पुलिस अधिकारी रोहिणी चन्द्र सौंदर्य विशेषज्ञ, ब्यूटी पार्लर, जलीय वस्तुओं से संबंधित कार्य, फिल्म उद्योग, नृत्य संगीत, रत्न विक्रेता, पर्यटन व्यवसाय, भजन गायक, गुप्तरोग विशेषज्ञ इत्यादि मृगशिरा मंगल संगीतकार, विज्ञापन के कार्य, भौतिक विज्ञानी, शराब विक्रेता, स्थानीय पुलिस आर्दा राहू कूटनीतिज्ञ, कंप्यूटर के माध्यम से एकाउण्ट का कार्य करने वाले, मनोरोग विशेषज्ञ, अनैतिक कार्य, गुप्तचर विभाग, जूस विक्रेता, धोबी का कार्य ।

पुनर्वसु गुरु वकील, जज, व्यापारी, धार्मिक एवं अध्यात्मिक पुस्तकों के क्रय-विक्रय का कार्य, उच्च शिक्षा का अध्ययन-अध्यापन का कार्य, प्रवचन करने वाले पत्रकारिता, मंदिर एवं धार्मिक संस्थान में कार्य करने वाले पुष्य शनि प्रशासनिक एवं राजनीतिक क्षेत्र से आजीविका, दूध एवं डेयरी व्यवसाय, भूगर्भीय तरल पदार्थ, डीजल पेट्रोल के विक्रेता, रोजगार परामर्श, धार्मिक शिक्षक, गोताखोर या मछुआरे। अश्लेषा बुध वैद्य, तंत्र, मंत्र ज्योतिष का कार्य, लेखन, मनोवैज्ञानिक, शेयर मार्केट, फार्मासिस्ट,फोटो व्यवसायी, हास्य व्यंगकार कार्टूनिस्ट या प्रकाशक का कार्य ।

मघा केतु शल्य चिकित्सक, युद्ध सामग्री का विक्रय, प्रापर्टी का कार्य, उच्च प्रशासनिक अधिकारी, जादूगर, अग्निशमन विभाग का कार्य, कोयला विक्रेता, प्रसूति विशेषज्ञ, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आदि। पूर्वा फाल्गुनी शुक्र गायक, शिल्पी, नट, रत्न एवं आभूषण विक्रेता,साज सज्जा डेकोरेशन का कार्य, मुरब्बा के व्यापारी, प्राकृतिक चिकित्सक, माॅडलिंग, फोटोग्राफी, आयकर अधिकारी, एवं मनोरंजन के क्षेत्र में कैरियर। उत्तरा फाल्गुनी सूर्य पूजा पाठ, यज्ञ कार्य, लेखन, प्रकाशन, ज्योतिष संबंधी लेखन का कार्य, वास्तुशास्त्री, भवन निर्माता, हास्य व्यंग्य कलाकार, अंतराष्ट्रीय संस्थाओं में कैरियर, न्यायाधीश, वैवाहिक संस्थाओं का संचालन इत्यादि। हस्त चन्द्र दैवज्ञ, ज्योतिषी, वणिक, मंत्री, शिल्पी, लघु उद्योग, शेयर बाजार, कंप्यूटर, दूरसंचार के क्षेत्र में कैरियर, लिपिक, आंतरिक सजावट का कार्य चित्रा मंगल गणितज्ञ, इलैक्ट्राॅनिक वस्तुओं के निर्माता एवं सुधारक, शल्य चिकित्सक, साफ्टवेयर इंजीनियर स्वाती राहू निपुण व्यापारी, वात रोग विशेषज्ञ, हवाई यात्रा एजेन्ट, पशु पक्षियों का व्यवसाय, सर्कस के कलाकार, कृषि कार्य, अंतरिक्ष से संबंधित कार्य।

विशाखा गुरु फल फूलों का क्रय विक्रय, लेखक, वस्त्र आभूषण का व्यवसाय, मध्यस्थता करना, धर्म शिक्षक, अनुराधा शनि पाप कार्यो से आजीविका, डकैती, अनैतिक कार्य, वास्तुशास्त्री, मैकेनिकल इंजीनियर, खनन कार्य, विदेशी व्यापार एवं लुहारी का कार्य। ज्येष्ठा बुध जूडो कराटे के प्रशिक्षक, तर्कशक्ति के कार्य, खेल विभाग के कार्य, सैनिक, पुलिस विभाग, एवं दूरदर्शन में एंकर इत्यादि। मूल केतु संस्था प्रधान का कार्य, ज्योतिष संबंधी कार्य, कर्मकाण्ड, वैदिक विद्याओं के प्रचारक, गुप्तचर विभाग, सेना में धर्मशिक्षक, वनस्पति शास्त्र में उच्च उपाधि प्राप्त कर इसके विकास में योगदान, अनुसंधान, जड़ी बूटियों का व्यापार, कृषि विभाग के अधिकारी। पूर्वाषाढ़ा शुक्र सेतु निर्माता, चित्रकार, व्यंग्यकार, नाविक, जलीय पदार्थो का क्रय विक्रय, सौंदर्य विशेषज्ञ, मनोरंजन से संबंधित प्रशिक्षण, नौ सेना के कार्य। अभिनेत्रियों के वस्त्र आभूषण के निर्माता एवं डिजाइनर।

उत्तराषाढ़ा सूर्य मंत्री, अश्वारोही, कर्मकांड, ज्योतिष, उच्चशैक्षणिक अधिकारी, पुजारी, वानस्पतिक पदार्थो का क्रय विक्रय, खेलकूद से संबंधित कार्य, वाहनों का क्रय विक्रय। श्रवण चन्द्र परिश्रमी, सलाहकार, दवा व्यवसायी, प्रधानाध्यापक, वेदशास्त्रों का अध्ययन अध्यापन, मनोरोग विशेषज्ञ, अंतरिक्ष अनुसंधान के कार्य। धनिष्ठा मंगल मैकेनिकल इंजीनियर, भौतिक विज्ञान विभाग, कम्पयूटर हार्डवेयर का कार्य, वाद्ययंत्र के निर्माता, सेक्सोलाॅजिस्ट, हेयर डिजाइनर, वाहन एवं दवाइयों का क्रय विक्रय, सेना में सैनिक, बिजली विभाग से संबंधित व्यवसाय। शतभिषा राहू खगोल शास्त्री, अंतरिक्ष अनुसंधान, चिकित्सक, यूरोलाजिस्टक तकनीक का उपयेाग करने वाले, मादक पदार्थो के व्यवसायी, शकुन शास्त्री एवं पायलट।

पूर्वाभाद्रपद गुरु आलौकिक विद्याएं, ज्योतिष, मार्शल आर्ट, नीच कार्य, लोहा उद्योग, वस्त्र उद्योग, अध्यापन, हिप्नोटिज्म, मौसम विज्ञानी, चर्म उद्योग। उत्तराभाद्रपद शनि धर्म गुरु, आध्यात्मिक केन्द्र के संचालक, तंत्र-मंत्र-यंत्र के व्यवसायी, वास्तुशास्त्री, मार्शल आर्ट, ड्राइवरी, तकनीकी शिक्षक, एवं योग गुरू। रेवती बुध हास्य व्यंग्य, पुरोहित, आध्यात्मिक यज्ञादि कार्य, लेखक, प्रकाशक, पत्रकार, वकील, न्यायाधीश, सलाहकार, मनोरंजन, अध्यापन कार्य, रत्न विक्रय, नौकाचालन, मछुआरे एवं एकाउण्ट का कार्य। भारतीय ज्योतिष में मुख्य 09 ग्रहों को तीन-तीन नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। जातक जिस नक्षत्र में जन्म लेता है वह नक्षत्र जिस ग्रह के आधिपत्य में होता है जातक उसी ग्रह के कारत्व के अनुसार उसकी आजीविका का भी विचार किया जाना चाहिए।

नक्षत्रों का स्वामित्व एवं ग्रहों का कारकत्व:- ग्रह नक्षत्र ग्रहों का कारकत्व सूर्य कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी, नेत्र चिकित्सा, शरीर विज्ञान, प्रशासन,राजनीति, जीव विज्ञान उत्तराषाढ़ा चन्द्र रोहिणी, हस्त, श्रवण नर्सिंग, नाविक विद्या, वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, होटल प्रबंधन, काव्य, पत्रकारिता, पर्यटन एवं डेयरी व्यवसाय। मंगल मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा भू-विज्ञानी, इतिहास, पुलिस संबंधी कार्य, अभियांत्रिकी, सर्जरी, तकनीकी शिक्षा, खेल कूद संबंधी, दंत चिकित्सा, फौजदारी कानून। राहू आद्र्रा, स्वाति, शतभिषा तर्क शास्त्र, जादू या सर्कस के खेल, जहर की चिकित्सा, इलैक्ट्राॅनिक्स। गुरू पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद बीजगणित, आरोग्य शास्त्र, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, धार्मिक या आध्यात्मिक शिक्षा । शनि पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद भू-गर्भ सर्वेक्षण, अभियांत्रिकीय, औद्योगिक यात्रिकी, भवन निर्माण, प्रिंटिंग का व्यवसाय।

बुध अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती गणित, ज्योतिष, व्याकरण, शासन की विभागीय परीक्षाएं, विज्ञान, मानस शास्त्र, भाषा विज्ञान, टाइपिंग, पुस्तकालय विज्ञान, लेखा वाणिज्य, इत्यादि। केतु मघा, मूल, अश्विनी गुप्त विद्याएं, तंत्र-मंत्र संबंधी ज्ञान शुक्र पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, भरणी संगीत, नृत्य, अभिनय, चित्रकला, फिल्म टी. वी. वेशभूषा, फैशन डिजाइनिंग, काव्य रचना साहित्य एवं अन्य विविध ललित कलाएं।



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