साढ़े-साती की शुभाशुभ स्थिति और शास्त्रीय उपाय

साढ़े-साती की शुभाशुभ स्थिति और शास्त्रीय उपाय  

सुशील अग्रवाल
व्यूस : 4249 | जून 2016

शनि की यह गोचर अवस्था हर व्यक्ति की कुंडली में प्रत्येक तीस साल में बनती है। तो क्या दुनिया का हर व्यक्ति हर तीस साल में साढ़े-सात साल शनि के दुष्प्रभावों से ग्रसित होता है? चन्द्रमा, मन के कारक होने के साथ-साथ एक छोटे एवं तीव्र गति से चलने वाले नैसर्गिक सौम्य ग्रह हैं और इसके बिलकुल विपरीत शनि अत्यन्त मंद गति से चलने वाले विशाल एवं नैसर्गिक अशुभ ग्रह हैं। दोनों के आस-पास या साथ-साथ होने से इनका परस्पर सामंजस्य नहीं हो पाता जिसके कारण मन को निराशा एवं दुःख की अनुभूति होती है

परन्तु यह केवल उन्हीं स्थितियों में होगा जिसमें चन्द्र निर्बल और शनि अशुभ भावेश या पीड़ित होगा। बृहज्जातक, फलदीपिका आदि ग्रंथों में चंद्रमा को मन का कारक मानते हुए चन्द्र लग्न को गोचर फलादेश में प्रधान माना गया है और जन्मकालीन चंद्रमा से प्प्प्ए टप्ए ग्प् भावों के अतिरिक्त सभी भावों में शनि के गोचर को अशुभ फलदायी कहा गया है। अर्थात, साढ़े-साती सम्बंधित तीनों भावों (ग्प्प्ए प्ए प्प्) में शनि गोचरवश अशुभ फलदायी होते हैं। शनि और चन्द्र की युति को किसी भी ग्रंथ में शुभ नहीं माना गया है। गोचरवश शनि की जन्मकालीन चन्द्रमा से ग्प्प्ए प्ए प्प् की स्थिति अशुभ फलदायी होती है।

परन्तु, गोचर तो उन्हीं फलों को प्रदान कर सकता है जो कुंडली में योगों और दशा द्वारा निर्धारित किये जाते हैं। अर्थात, फलित के सामान्य नियमों के आधार पर साढ़े-साती के प्रत्येक चरण का अलग-अलग विश्लेषण करने के पश्चात ही निष्कर्ष निकालना चाहिये कि क्या वह चरण शुभ होगा या अशुभ। गोचर फलादेश के भी दो नियम हैं, सामान्य (स्थूल) नियम व विशेष (सूक्ष्म) नियम और सामान्य नियम से विशेष नियम सदैव बलवान होता है।


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !


जैसे, योग, दशा और सामान्य गोचर नियम द्वारा फल अशुभ प्रतीत होता हो तो सूक्ष्म नियम “अष्टकवर्ग पद्धति” द्वारा पुष्टि अवश्य करनी चाहिए। अष्टकवर्ग पद्धति से पुष्टि करने से फलादेश में अधिक सटीकता आयेगी क्योंकि इससे परिणाम में बदलाव आने की भी सम्भावना होती है जैसे अशुभता में न्यूनता/अधिकता, अशुभता का स्थगन, शुभता में अधिकता/न्यूनता या शुभता का स्थगन आदि। अर्थात, समुदायाष्टकवर्ग स्थूल रूप से शनि की गोचरवश भाव स्थिति अनुसार शुभता-अशुभता बताता है।

भिन्नाष्टक वर्ग में उसी भाव के अंकांे द्वारा उस फल की सूक्ष्म रूप से पुष्टि होती है और प्रस्तारक वर्ग की कक्षा से उस सूक्ष्म रूप शुभ-अशुभ फल की अवधि का पता चलता है क्योंकि एक चरण के ढाई वर्ष में फलों की शुभता और अशुभता में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक ग्रह अपने स्वभाव एवं स्वामित्व अनुसार शुभ-अशुभ फल देते हैं। इस आधार पर, शनि भी कुंडली अनुसार शुभ या अशुभ होते हैं।

जैसे शनि, वृषभ और तुला लग्न में योगकारक होते हैं या फिर शुभस्थानगत होते हुए उच्च, मूल त्रिकोण, स्वराशि, वर्गोत्तम आदि हों तो शनि जातक के लिये शुभ फलप्रद होते हैं। अपनी शुभ स्थिति में शनि मन-बुद्धि की एकाग्रता, आध्यात्मिकता में रुझान, प्रगति, मुखिया पद, नौकरी एवं व्यवसाय में धीरे-धीरे उन्नति, न्यायप्रिय एवं उदारवादी दृष्टिकोण आदि देते हैं। पराशर जी के योग कारकाध्याय के अनुसार: त्रिकोण (लग्न, पंचम एवं नवम) भाव में स्वामी हमेशा शुभ फल देते हैं

अर्थात अगर किसी जातक की कुंडली में चन्द्रमा या शनि किसी भी त्रिकोण के स्वामी हांे तो वह अपनी दशा में शुभ फलप्रद तो होंगे ही और भावेश के रूप में इनका गोचर भी कष्टकारक नहीं होगा। निम्न सारणी में देखेंगे तो अग्नि तत्व (मेष, सिंह, धनु) राशि में शनि और चन्द्र दोनों ही किसी भी शुभ भाव के स्वामी नहीं हैं इसीलिए प्रतिकूल दशा आने पर साढ़े-साती में अशुभ फल मिलने की सम्भावना प्रबल हो जाती है।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


अगर कुंडली में अशुभता के योग भी उपस्थित हों तो अन्य लग्नों में शनि और चन्द्र में से कम से कम एक शुभ भावेश है जो शुभ फल देने की प्रवृत्ति रखेगा अगर वह पीड़ित और अशुभ अवस्थित न हो तो।

उपाय: अगर कुंडली में चन्द्र निर्बल हो, शनि अशुभ फलप्रद हो, प्रतिकूल दशा हो और शनि की साढ़े-साती भी हो तो क्या उपाय करने चाहिए? पद्म पुराण, उत्तरखण्ड में शनि महाराज ने राजा दशरथ को इस प्रकार कहा “जो श्रद्धा से युक्त, पवित्र और एकाग्रचित्त हो मेरी लौहमयी सुन्दर प्रतिमा का शमीपत्रों से पूजन करके तिलमिश्रित उड़द-भात, लोहा, काली गौ या काला वृषभ ब्राह्मण को दान करता है

तथा विशेषतः शनिवार को मेरी पूजा करता है और पूजन के पश्चात् हाथ जोड़कर मेरे स्तोत्र का जाप करता है, उसे मैं कभी भी पीड़ा नहीं दूंगा। गोचर में, जन्म लग्न में, दशा तथा अन्तर्दशा में ग्रह-पीड़ा का निवारण करके मैं सदा उसकी रक्षा करूँगा”।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.