गुदड़ी में छिपा लाल
गुदड़ी में छिपा लाल

गुदड़ी में छिपा लाल  

आभा बंसल
व्यूस : 2634 | जुलाई 2011

ज्योतिष के क्षेत्र में कभी-कभी ऐसी कुंडली देखने को मिलती है जहां ग्रहों का चमत्कार देख कर ज्योतिष शास्त्र के समक्ष हम नतमस्तक हो जाते हैं। आकाशीय ग्रहों का मेल व खेल जातक के जीवन-चक्र को किस दिशा में ले जाएगा, यह सचमुच एक दिवास्वप्न- सा ही प्रतीत होता है। यहां एक ऐसी ही जन्मकुंडली प्रस्तुत है जो वाकई में गुदड़ी में छिपे लाल की तरह है।

अअनीश का जन्म मध्य प्रदेश के ट्राइबल एरिया में एक अत्यंत छोटे गांव में हुआ जिसकी आबादी मुश्किल से पांच हजार होगी। उसके पिता वहां के हाट बाजार में अत्यंत ही साधारण- सी दुकान चलाते थे। अनीश का लालन-पालन भी साधारण परिवार के बच्चे की तरह होने लगा। वह बचपन से ही बहुत मेधावी था। उसके पिता ने उसे पास के स्कूल में पढ़ने भेज दिया।

अनीश पढ़ने में अत्यंत होशियार था। हाई स्कूल में वह अव्वल दर्जे से पास हुआ, पर गांव में इसके आगे की पढ़ाई के लिए कोई काॅलेज नहीं था। इसलिए अनीश के ताऊजी उसे पढ़ाने के लिए अपने साथ ले गये। अनीश के ताऊजी अत्यंत सुसंपन्न व सुशिक्षित थे और एक धनाढ्य सेठ की तरह जाने जाते थे।

उनका अपने शहर में खासा रूतबा था तथा शहर के धनाढ्य परिवारों से उनके अच्छे संबंध थे। अनीश नेे भी इन सब संपन्न लोगों के बीच रह कर इनके तौर-तरीके सीख लिये और अपनी उच्च-शिक्षा प्राप्त करने लगा। उसको बचपन से ही पायलट बनने का बहुत शौक था और वह अक्सर अपने गांव में जब भी आकाश में उड़ते हवाई जहाज को देखता था तो सोचता था कि मैं भी कभी इसी तरह आकाश में उडूंगा। तब तो हवाई जहाज का खिलौना भी देखने को नहीं मिलता था।


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ताऊ जी के घर आकर अनीश के इस स्वप्न को जैसे पंख लग गये। उसने धीरे-धीरे सभी सीढ़ियां चढ़ते हुए पायलट की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। उसके गांव में तो जैसे किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। माता-पिता की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। उसी समय गांव के सबसे धनाढ्य परिवार ने अपनी बेटी के लिए अनीश को पसंद कर लिया और उसके माता-पिता के पास रिश्ता भेजा। उनके लिए यह एक सुखद आश्चर्य जैसा था।

अनीश भी अपनी मंगेतर के साथ बहुत खुश था। वे दोनों अपने आने वाले जीवन के लिए रोज नये सपने देखते, पर तभी अनीश के जीवन में एक तूफान आया। उसको अनायास ही किसी कारण कंपनी की नौकरी छोड़नी पड़ी। दूसरी अच्छी नौकरी मिलने में काफी मुसीबते आने लगी क्योंकि उस समय एवियेशन इंडस्ट्री में काफी मंदी का दौर चल रहा था।

इस मुश्किल की घड़ी में जब उसे अपनो की जरूरत थी तब उसके ससुराल वालों ने उसे सहारा देने की बजाय उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया और उसकी क्षमताओं को पहचाने बिना कुछ सोचे-समझे रिश्ता तोड़ दिया। उन्होंने अनीश की एक न सुनी और उसे उसके टूटे सपनों के साथ अकेला छोड़ दिया। अनीश के लिए यह बहुत बड़ा झटका था। उसका पहला प्यार उससे दूर हो गया था।

सारे सपने बिखर गये। उसने अपने आप को संभालने के लिए अध्यात्म की शरण ली। उसने कुछ समय श्री बाल योगेश्वर जी के सान्निध्य में बिताया। महाराज पुटुपर्थी के साईं बाबा, शिरडी के साईं बाबा व अन्य सभी महत्वपूर्ण दर्शनीय व अध्यात्म से जुड़े स्थलों पर अनीश ने कई वर्ष बिताए और सभी शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। ज्योतिष में उसे शुरू से रूचि थी और इस समय जब वह एकाकी -सा जीवन जी रहा था, ज्योतिष व अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों ने उसे जबरदस्त मानसिक संबल प्रदान किया और अनीश जब इस मुसीबत की घड़ी में तथ्य रूपी आग में तप कर निकला तो खरे सोने व कुंदन की तरह चमकने लगा।

जैसे ही बुरी घड़ी खत्म हुई, गुरुजी की कृपा से अनीश को देश की सर्वोत्तम एयर लाइंस में ऊंचे पद पर नौकरी मिल गई। उसकी खोई हुई प्रतिष्ठा सूद सहित वपिस आ गई। जैसे ही उसके गांव में यह खबर पहुंची, मंगेतर के घर वाले फिर से रिश्ता लेकर आ गये। पर अब अनीश ने अत्यंत दृढ़ता से मना कर दिया। उसने सोचा, जिस जीवन साथी ने मुसीबत के समय अलग किनारा कर लिया, वह जीवन की यात्रा में कैसे साथ निभाएगी। तभी उसकी मुलाकात सुरूचि से हुई जो अत्यंत ही मृदु व शांत स्वभाव की थी और उसके साथ ही विमान परिचारिका के रूप में कार्यरत थी।


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दोनों ही एक दूसरे को पसंद करते थे। अनीश ने सुरूचि को अपनी जीवन संगिनी बनाने में कोई देरी नहीं की। आज उनके घर-आंगन में एक अत्यंत ही खूबसूरत और शरारती बेटा खेल रहा है और अनीश के संबंध देश भर की बड़ी-बड़ी हस्तियों से है। बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों से उसकी दोस्ती है और जाने-माने बिजनेस हाउस में उसका आना-जाना है। अपने माता-पिता और भाई-बहनों के प्रति अपने कर्तव्य को अनीश बखूबी निभा रहे हैं।

सभी भाई-बहनों की पढ़ाई व विवाह के प्रति अनीश और सुरूचि दोनों ने अपने कर्तव्य बढ़ चढ कर निभाए और माता-पिता को भी अपने इस पुत्र पर बड़ा नाज है जो अपनी जड़ों को कभी नहीं भूला। आज अनीश एक सीनियर पायलट के रूप में कार्य कर रहे हैं। पर साथ ही दूसरे कार्यों को व्यापक रूप से अंजाम देने को भी तत्पर हैं। उसका सपना अपनी खुद की हवाई पट्टी से लेकर देश में बड़ा व्यापार स्थापित करने का है और राजनीति के क्षेत्र में भी वह अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं।

आइये, देखें, इस गुदड़ी के लाल का सफर अपने छोटे से गांव से शुरू होकर, पूरी दुनिया में घूमते हुए सफलता के कौन से शिखर तक पहुंचेगा। अनीश की जन्मकुंडली में लग्नेश गुरु एकादश भाव में वायु तत्व राशि में, अष्टमेश चंद्रमा तथा लाभेश शुक्र के साथ स्थित है तथा वायु तत्व शनि की पूर्ण दृष्टि में हे। लग्नेश गुरु पर वायु तत्व कुंभ राशि स्थित राहु की भी पूर्ण दृष्टि है इसीलिए वायुयान में बचपन से रूचि थी और उसी की शिक्षा लेकर वहीं कार्य किया। भाग्येश सूर्य भाग्य-स्थान में मित्र मंगल के साथ स्थित है।

कर्मेश बुध कर्म स्थान में अपनी उच्च राशि में स्थित है और चलित कुंडली में भाग्य स्थान में आ गये हैं। इसी तरह गुरु और शुक्र भी चलित कुंडली मंे कर्म स्थान में आ गये हैं। जन्म के समय गुरु की महादशा जनवरी 1986 तक रही। इस दशा में अनीश ने अपनी पढ़ाई अच्छी तरह से की और स्कूल में अव्वल आए क्योंकि गुरु, शुक्र व चंद्र तीनो शुभ ग्रह पंचम भाव को देख रहे हैं। 1986 के बाद शनि की दशा 20 जनवरी 2005 तक चली। शनि की दशा में अनीश ने अपने जीवन में बहुत उतार‘-चढ़ाव देखे।

सबसे पहले शनि ने आरंभ में ही अनीश को अपने घर से अलग कर दूसरे शहर में अपने ताऊजी के घर भेज दिया और 1986 में जब शनि वृश्चिक राशि में थे और दशम दृष्टि से भाग्येश सूर्य और मंगल को देख रहे थे, तभी अनीश ने टेक्नीकल शिक्षा ली और कई नौकरी भी की लेकिन अपनी मनपसंद पायलट की नौकरी नहीं मिली। 1997-98 में जब शनि अपनी नीच राशि में आया तो अनीश के जीवन में बहुत उथल-पुथल हुई। जहां एक ओर नौकरी चली गई वहीं उसकी मंगेतर से रिश्ता भी टूट गया।

अनीश मानसिक रूप से बहुत टूट गया और इसी समय शनि जो एक आध्यात्मिक ग्रह भी है, उसे अध्यात्म की ओर ले गया। गुरु, शुक्र व चंद्र से दृष्ट शनि ने अनीश को ढाई साल तक अध्यात्म के क्षेत्र में रमाये रखा जहां अनीश ने ज्योतिष, भी सीखी। यहां एक बात ध्यान देने योग्य यह है कि शनि में शुक्र की अंतर्दशा में कवि कालिदास के नियमानुसार अनीश को कुछ अच्छा हासिल नहीं हुआ।


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शुक्र ने लाभेश होते हुए भी उसे कोई धन लाभ नहीं दिया और इसी समय अनीश का पहला प्यार भी परवान चढ़ा और उसका ध्यान उसी ओर ज्यादा केन्द्रित रहा। 1999 से 2000 में शनि में राहु की दशा आरंभ हुई तब तृतीय में कुंभ स्थित राहु ने अनीश को मनचाही ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया। कहा इससे पहले उसे नौकरी नहीं मिल रही थी और अब राहु के शुरू होते ही उसे देश की सर्वोत्तम एयर लाइन्स से नियुक्ति-पत्र आ गया और इस समय में चूंकि राहु पर गुरु की पूर्ण दृष्टि भी है, अनीश के संपर्क अनेक राजनेताओं व धनाढ्य व्यक्तियों से हुए। राहु के बाद गुरु की अंतर्दशा भी उन्हें नये सोपान की ओर ले गई।

21-1-2005 से बुध की दशा आई है जो निश्चित रूप से अनीश के जीवन का उत्तम दशा काल है। इसी दशा में अनीश ने अपना मनपसंद विवाह किया, नया घर लिया, बेटे का जन्म हुआ और घर के प्रति भी अपने सभी दायित्वों को पूरे मनोयोग से निभाया। इस कुंडली के विशेष राजयोग की चर्चा करें तो भाग्येश सूर्य भाग्य स्थान में, कर्मेश बुध कर्म स्थान में व लाभेश शुक्र लाभ स्थान में है। इसीलिए अनीश के भाग्य चक्र ने उसे छोटे से गांव की जिंदगी से उठा कर आकाश की बुलन्दियों तक पहुंचा दिया।

दशमांश कुंडली में भी जन्मकुंडली के भाग्य स्थान के स्वामी सूर्य दशम भाव में बैठे हैं और शनि दशमांश का भाग्येश होकर भाग्य स्थान में ही है। मंगल और शुक्र का परिवर्तन योग भी बन रहा है। इसलिए कर्म जीवन में वायुयान में उच्चस्थ पद (सीनियर कैप्टन) के रूप में कार्यरत है। बुध की महादशा जनवरी 2022 तक है। यह अनीश का सुनहरा अवसर होगा। इस दशा में अनीश उच्च पदाधिकारियों के साथ उच्च व्यापार करेंगे व राजपद की प्राप्ति भी हो सकती है।

जुलाई 2014-2017 तक जब बुध में राहु की अंतर्दशा चलेगी तब अनीश का राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश होगा और राजपद की प्राप्ति में संदेह दिखाई नहीं देता। इसी तरह बुध के बाद केतु, शुक्र व सूर्य की दशाएं भी जीवन में उत्तम फल प्रदान करेगी। इस कुंडली के विवेचन से हम यही कह सकते हैं कि गरीब से गरीब अथवा छोटी से छोटी जगह में जन्मा बच्चा अपने भाग्य चक्र के द्वारा देश के उच्चतम स्थान पर भी पहुंच सकता है।

जरूरत है तो केवल ईमानदारी से काम करने के जज्बे की। मेहनत, लग्न और ऊंचाई तक पहुंचने की चाह को किस्मत भी पंख लगा देती है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डाॅ अब्दुल कलाम भी इसी तरह रामेश्वरम में एक नाविक के घर में जन्म लेकर देश के शीर्षस्थ स्थान पर पहुंचे। इसी को कहते हैं कि होनी गुदड़ी में छिपे लाल को पहचान कर उसे उसके उपयुक्त स्थान पर पहुंचा ही देती है।


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