दामिनी का भारत

दामिनी का भारत  

यशकरन शर्मा
व्यूस : 7673 | फ़रवरी 2013

16 दिसंबर 2012 की वो मनहूस रात जब दामिनी की अस्मिता पर आक्रमण हुआ तो पूरे राष्ट्र में हड़कंप मच गया। जिस निर्ममता से अपराधियों ने इस घटना को अन्जाम दिया उससे प्रत्येक भारतीय का ही नहीं बल्कि दुनिया के जिस किसी भी शख्स ने इसके बारे में सुना उसका दिल तार-तार हो गया। देश की जनता और खास तौर पर युवा वर्ग ने जिस आक्रोश से राष्ट्रीय सरकार, पुलिस और प्रशासन तंत्र पर विरोध प्रदर्शन करके प्रहार किया तो लगा जैसे पूरा भारत रो रहा है। यह हृदय विदारक घटना भारत में बढ़ती बलात्कार की आपराधिक घटनाओं की तस्वीर की विभत्सता की पराकाष्ठा है। लग रहा है जैसे भारत भूमि के सम्मान और गौरव का ही पूरा बलात्कार हो गया है। दामिनी के बलात्कार की घिनौनी वारदात की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर Coverage हुई और United nations Entity for Gender Equality & the Empowerment of women ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार और दिल्ली सरकार न्याय सुनिश्चित करने और महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने हेतु हर संभव मौलिक सुधार करे।

29 दिसंबर को अमेरिकन एंबैसी ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कह "We also recommit ourselves to changing attitude & ending all forms of gender based violence, which Plagues every country in the world." पेरिस में अपार जन समुदाय ने इंडियन एम्बैसी की ओर प्रयाण किया और भारत को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने हेतु कदम उठाने का आवेदन किया। यू. एन. के सेक्रेटरी जनरल वैन की मून ने कहा,’’ महिलाओं के विरूद्ध हिंसा को कदापि स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए, न ही बर्दाश्त किया जाना चाहिए और मुजरिमों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। प्रत्येक लड़की और महिला को यह अधिकार है कि उसका सम्मान किया जाए, मूल्यवान समझा जाए और उसकी सुरक्षा की जाए।’’ भारत के अतिरिक्त बंग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में भी विरोध प्रदर्शन हुए। हर किसी को अब लगता है कि यह समय है एक ऐसे कड़े कानून के निर्माण का, आत्म मंथन का, गिरते मानवीय मूल्यों को संभालने का तथा पुलिस व प्रशासन तंत्र को ऐसी मजबूती देने का कि न केवल इस प्रकार के अपराध पर पूर्णतया अंकुश लगाया जाए अपितु महिलाओं को समुचित सुरक्षा भी प्रदान हो सके। इस आलेख में चर्चा है वर्ष 2012 में ग्रह नक्षत्रों की उन स्थितियों की जिनके चलते इस प्रकार की अति निंदनीय घटनाएं घटित हुईं। यदि वर्ष प्रवेश कुंडली 2012 का विश्लेषण करें तो यह जान पड़ता है कि राहु नीच राशि का है। राहु 18 वर्षों में एक बार नीच का होता है। 18 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद यह राहु जब इस बार नीच का हुआ तो इसने 2012 की वर्ष प्रवेश कुंडली के लग्नेश के अतिरिक्त चंद्रमा तथा मन की राशि कर्क को भी पीड़ित कर दिया।

राहु की प्रवृत्ति अति विध्वंसकारी होती है यह सभी जानते हैं। ऐसे राहु के नीच राशि के होने पर यह कितना भयंकर परिणामदायी और विध्वंसकारी हो सकता है इसका अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसा राहु जब मन, आत्मा व आचरण पर निय ंत्रण करने वाले ग्रहों को प्रभावित करेगा तो निश्चित रूप से मानवीय मूल्यों को लील जाएगा। वर्ष 2012 की वर्ष प्रवेश कुंडली में इस राहु ने बुध, चंद्रमा, कर्क राशि और अदालत, न्यायाधीशों तथा धार्मिक संस्थाओं के कारक नवम भाव को पीड़ित करके यही प्रभाव दिखाया। इस प्रकार का ग्रह योग यह दिखाता है कि जनता मानव मूल्यों का पालन व रक्षण करने में असमर्थ रहेगी। धार्मिकता, मानवीय मूल्य, अनुशासन, नैतिकता व अहिंसा का सबसे बड़ा कारक ग्रह गुरु इस वर्ष प्रवेश कुंडली में केंद्राधिपति दोष से पीड़ित होकर अष्टमस्थ है इसलिए ऐसे गुरु ने भी जनमानस को धार्मिक भावना व मानवीय मूल्यों के प्रति उदासीन ही रखा। गुरु ग्रह न केवल नैतिकता और अहिंसा का कारक है अपितु यह रक्षा कवच भी देता है। वर्ष 2012 की वर्ष प्रवेश कुंडली में लग्नेश, चंद्रमा व गुरु की कमजोर स्थिति के कारण कुंडली पूर्णतया कमजोर पड़ गई क्योंकि इसे रक्षा कवच न मिल सका और सरकार जनता की रक्षा करने में पूर्णतया नाकाम रही। 2012 वर्ष प्रवेश कुंडली में इस प्रकार की खराब ग्रह स्थितियों के चलते द्वादशस्थ मंगल ने तो जैसे आग में घी डालने का काम कर दिया।

यह दशा जून 2013 तक चलेगी। जून 2013 तक इस दशा के कुप्रभाव का असर जारी रहेगा। सरकारी तंत्र पूर्णतया खोखला होता जाएगा और स्त्रियों को पूर्ण सम्मान नहीं मिल सकेगा। ऐसा जान पड़ता है कि वर्ष 2013 में भी नारी सुरक्षा चिंता का सबब बनी रहेगी। वर्ष 2013 की वर्ष प्रवेश कुंडली में राहु-शुक्र की युति इन चिंताओं के बढ़ने का संकेत दे रही है। 14 जनवरी 2013 को राहु तुला राशि मेंप्रवेश करेगा। सभी ग्रहों जैसे गुरु, राहु और शनि का गोचरीय प्रभाव शुक्र की राशि में होने से नारी को सम्मान व सुरक्षा नहीं मिल पाएगी। स्वतंत्र भारत की कुंडली में भी शुक्र राशिस्थ गुरु के ऊपर राहु का गोचरीय प्रभाव और शनि का ढैय्या यह संकेत दे रहा है कि सरकार इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने में नाकाम ही रहेगी। वर्ष 2014 के जुलाई महीने से नारी सुरक्षा के क्षेत्र में कुछ सफलता मिलनी शुरू होगी। वर्ष प्रवेश कुंडली 2013 में लग्नेश व चंद्रमा को नीचस्थ राहु के प्रभाव से छुटकारा मिलने तथा मंगल, लग्नेश, गुरु व चंद्रमा के बली हो जाने से बहुत से लोग व संगठन आगे बढ़कर मानवीय मूल्यों व न्याय व्यवस्था को मजबूती की राह पर डालने का प्रयास करते रहेंगे। नारी शक्ति की रक्षा तथा न्याय व्यवस्था की मजबूती के लिए प्रत्येक भारतीय संकल्प ले कि वह सोता नहीं रहेगा और दामिनी और दामिनी जैसी लाखों शिकार युवतियों के भारत को कलंक से बचाने का हर संभव प्रयास करेगा।

द्वादशस्थ मंगल क्रोध, असहिष्णुता, अपमान, मानहानि और अपराध का सबसे बड़ा कारक है, विशेष तौर पर उस समय जब कुंडली में लग्नेश, चंद्रमा व गुरु की स्थिति खराब हो। यही कारण है कि राष्ट्र में अनाप शनाप अपराध हुए और राष्ट्र के सम्मान की हानि हुई तथा निर्दोष लोग, बच्चां और महिलाओं में भय और आक्रोश का संचार हुआ। नीच राशि का राहु भय का कारक होता ही है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में चंद्रमा से पंचम भाव पर राहु के गोचरीय प्रभाव के कारण लोगों में अपराध भावना के बलवती होने तथा अपराध करने के पश्चात भी पश्चाताप न होना दर्शाता है। साथ ही धार्मिकता व नैतिक मूल्यों के कारक गुरु पर शनि की ढैय्या रक्षा कवच को कमजोर करती है और नैतिकता का पतन होता है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में भी लग्न, लग्नेश, चंद्रमा तथा चतुर्थेश नीच राशि के राहु के गोचर से पीड़ित हो रहे हैं। भारत की कुंडली में जुलाई 2012 के दशानाथ और अंतर्दशानाथ दोनों के ही ऊपर नीचस्थ राहु का गोचरीय प्रभाव था। यदि फ्यूचर समाचार के 2012 के नववर्ष विशेषांक को देखा जाए तो इसमें यह भविष्यवाणी पहले ही कर दी गई थी कि ‘‘16/7/2012 से सूर्य में शनि की अंतर्दशा प्रारंभ होगी और दोनों ही ग्रह तृतीय भाव में साथ ही साथ स्थित हैं जो देश की शांति और सद्भाव की दृष्टि से अच्छे नहीं हैं। विभिन्न स्तरों पर यह एक काफी उन्मादी समय होगा।

पूरे देश में बंद, हड़ताल, आंदोलन और प्रदर्शन देखने को मिलेंगे।’’ यह दशा जून 2013 तक चलेगी। जून 2013 तक इस दशा के कुप्रभाव का असर जारी रहेगा। सरकारी तंत्र पूर्णतया खोखला होता जाएगा और स्त्रियों को पूर्ण सम्मान नहीं मिल सकेगा। ऐसा जान पड़ता है कि वर्ष 2013 में भी नारी सुरक्षा चिंता का सबब बनी रहेगी। वर्ष 2013 की वर्ष प्रवेश कुंडली में राहु-शुक्र की युति इन चिंताओं के बढ़ने का संकेत दे रही है। 14 जनवरी 2013 को राहु तुला राशि मे ंप्रवेश करेगा। सभी ग्रहों जैसे गुरु, राहु और शनि का गोचरीय प्रभाव शुक्र की राशि में होने से नारी को सम्मान व सुरक्षा नहीं मिल पाएगी। स्वतंत्र भारत की कुंडली में भी शुक्र राशिस्थ गुरु के ऊपर राहु का गोचरीय प्रभाव और शनि का ढैय्या यह संकेत दे रहा है कि सरकार इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने में नाकाम ही रहेगी। वर्ष 2014 के जुलाई महीने से नारी सुरक्षा के क्षेत्र में कुछ सफलता मिलनी शुरू होगी। वर्ष प्रवेश कुंडली 2013 में लग्नेश व चंद्रमा को नीचस्थ राहु के प्रभाव से छुटकारा मिलने तथा मंगल, लग्नेश, गुरु व चंद्रमा के बली हो जाने से बहुत से लोग व संगठन आगे बढ़कर मानवीय मूल्यों व न्याय व्यवस्था को मजबूती की राह पर डालने का प्रयास करते रहेंगे। नारी शक्ति की रक्षा तथा न्याय व्यवस्था की मजबूती के लिए प्रत्येक भारतीय संकल्प ले कि वह सोता नहीं रहेगा और दामिनी और दामिनी जैसी लाखों शिकार युवतियों के भारत को कलंक से बचाने का हर संभव प्रयास करेगा।



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