भाग्य का खेल

भाग्य का खेल  

आभा बंसल
व्यूस : 5736 | जनवरी 2006

अपने कार्य व्यवसाय में उन्नति के शिखर पर पहुंच पर अक्सर कुछ लोग अपने आप को सर्वशक्तिमान समझने की भूल कर बैठते हैं और उस ईश्वरीय शक्ति को भूल जाते हैं जिसके समक्ष मनुष्य एक तुच्छ तिनके के सिवा कुछ भी नहीं होता। ऐसा ही कुछ इस वास्तविक घटना के नायक के साथ घटा। समीर का विवाह एक साधारण परिवार के साधारण से नैन नक्श वाली सुनीता से हुआ था। समीर अपने मन में खूबसूरत पत्नी की चाह कब से पाले हुए था।

सुनीता के श्याम वर्ण को देखकर उसका मन बुझ सा गया और जितने सपने उसने अपने सुखी विवाहित जीवन के देखे थे, उसे बिखरते से नजर आए। सुनीता की सुघड़ गृहस्थी, घरेलूपन एवं कार्य कुशलता उसका मन नहीं जीत पाई। वह और उसकी बहन कंचन कोई न कोई बहाना बना कर हमेशा सुनीता को प्रताड़ित करते रहते। सुनीता खून का घूंट पीकर रह जाती, पर कभी विरोध नहीं करती। पति की बेरुखी को उसने ईश्वर की नियति समझ कर अपने मन को मना लिया था। समीर की बड़ी बहन जो विवाहित होने के बाद उसके घर के नजदीक ही रहती थी सुनीता को उसके रूप रंग पर ताने देने में कसर नहीं छोड़ती थी।


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !


इसी कशमकश के बीच सुनीता दो पुत्रों की मां बन गई और कंचन को एक के बाद एक पुत्रियां होती गईं और वह धीरे-धीरे पुत्र की चाह में छः पुत्रियों की मां बन गई। कहते हैं स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। अपनी विवशता की खीज वह सुनीता पर हर वक्त उतारती रहती और अप्रत्यक्ष रूप से उस पर उसका बेटा गोद देने लिए मानसिक दबाव बनाने लगी। समीर मूक दर्शक की तरह सब देखता और प्रतिवाद करना तो दूर उलटा बहन का ही साथ देता। एक दिन जब सुनीता के सब्र की सीमा टूट गई तो उसने घर में रखे यूरिया (खाद) को अपना उद्धारक मान कर ग्रहण कर लिया और उस धाम में चली गई जहां अलौकिक प्रेम ही प्रेम है।

सुनीता के माता-पिता ने समीर और कंचन को बेटी की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा किया, पर समीर अपने उच्च सरकारी ओहदे और पैसे के बल पर रिहा हो गया। लेकिन लगभग 8-10 साल उस पर मुकदमा चलता रहा। 1994 में समीर ने पुनर्विवाह किया। दूसरी पत्नी वीना देखने में सुंदर थी। उसे लगा था कि अब वह अपने सभी सुख भोग सकेगा, लेकिन उसकी यह इच्छा भी पूर्ण न हो सकी। वीना को अपने सौंदर्य का विशेष अभिमान था। अपने रूप के दंभ मे,ं उसने न तो कंचन की चलने दी, न ही समीर को सम्मान दिया और न ही पुत्रों को मां का प्यार।

घर में निरंतर विवाद चलने लगा। फलतः समीर ने शराब को अपना साथी बनाया। अब उसे वीना की जगह, शराब का शबाब ही अच्छा लगने लगा और वह दिन रात इसी में डूबा रहने लगा। वीना से उसे एक पुत्री प्राप्त हुई पर घरेलू जीवन उसी तरह चलता रहा। करीब 4-5 साल बाद समीर का शरीर पूरी तरह खोखला हो गया और वह परलोक में सुनीता के पास पहुंच गया। आइये समीर की कुंडली का विश्लेषण करें: जातक के वृष लग्न में ग्रहों की स्थिति सुंदरता के प्रति उसके सहज आकर्षण, मनमौजी प्रकृति तथा स्वतंत्र रहन-सहन एवं विचारधारा के प्रति अभिरुचि को दर्शाती है।

कुंडली में सप्तमेश मंगल के लग्न में, शुक्र की राशि में स्थित होने के कारण खूबसूरत पत्नी की चाह बनी। कुंडली में शनि सबसे अधिक योग कारक ग्रह है तथा सप्तम स्थान केंद्र में बलवान स्थिति में है। अतः उसकी प्रथम पत्नी सुनीता शनि ग्रह के गुण धर्म के अनुसार कृष्ण वर्ण एवं घरेलू थी। दूसरी ओर शनि ग्रह की मंगल की राशि में स्थिति के कारण जातक का उसके प्रति आकर्षण नहीं रहा। दूसरी पत्नी मंगल एवं शुक्र के गुण धर्म के अनुरूप प्राप्त हुई।


Get the Most Detailed Kundli Report Ever with Brihat Horoscope Predictions


शुक्र एवं मंगल के प्रभाव के कारण वह सुंदर तो थी लेकिन मंगल के कारण उसमें अहं भाव भी व्याप्त था। कुंडली में निम्न श्लोक के अनुसार द्विविवाह योग का सृजन भी हो रहा है। कारके पाप संयुक्ते नीचराश्यंशकेऽपि वा। पापग्रहेण संदृष्टे विवाहद्वयमादिशेत्।। सर्वार्थचिंतामणि-अध्याय-6/श्लोक-19 निम्न योग के अनुसार कुंडली में सप्तम भाव का कारक शुक्र सूर्य के साथ स्थित होने के कारण पाप प्रभाव में है एवं पाप ग्रह राहु की पंचम दृष्टि के कारण द्विविवाह योग बन रहा है। ग्यारहवें भाव से बड़े भाई-बहनों का विचार किया जाता है।

जातक की कुंडली में ग्यारहवें भाव के स्वामी बृहस्पति की पंचम भाव में स्थित होकर ग्यारहवें भाव पर दृष्टि होने के कारण बड़ी बहन का उससे घनिष्ट संबंध बना रहा है तथा साथ ही बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि सप्तमेश मंगल पर होने से उसकी पत्नी के ऊपर भी प्रभुत्व बना रहा है। कुंडली में सुख स्थान पर मंगल एवं शनि की पूर्ण दृष्टि और मन कारक चंद्र पर राहु की दृष्टि है। लग्नेश, कुटुंबेश बुध और शुक्र अस्त अवस्था में हैं।

लग्नेश में पाप ग्रह व्ययेश मंगल है तथा लग्न पर पाप ग्रह शनि की दृष्टि है। लग्नेश शुक्र भी पाप प्रभाव में है। इन सभी अशुभ योगों के कारण जातक अल्प समय तक ही जीवन का सुख भोग सका।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.