जन्मकुंडली में चिकित्सक बनने के योग

जन्मकुंडली में चिकित्सक बनने के योग  

जे. जान्हवी
व्यूस : 3216 | जून 2006

ज्योतिष विद्या के माध्यम से मनुष्य की आजीविका के निर्धारण के अनेक सूत्र, ग्रंथ मौजूद हैं। जन्मकुंडली के आधार पर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ने के योगों का सोदाहरण विश्लेषण प्रस्तुत है।

निम्न योग होने पर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ने की संभावनाएं बलवान हो जाती हैं।

- यदि शनि, राहु और सूर्य की परस्पर युति या दृष्टि हो (कभी-कभी त्रिकोणात्मक संबंध होने पर भी)।

- दशम भाव पर उपर्युक्त ग्रहों का प्रभाव हो।

-गुरु की दृष्टि केंद्र में स्थित मंगल पर हो।

- दशम भाव पर मंगल एवं षष्ठेश का प्रभाव हो।

- छठे, पांचवें या ग्यारहवें भाव पर मंगल, राहु अथवा सूर्य का प्रभाव हो।

- मिथुन, तुला या कुंभ लग्न में बुध तृतीय भाव में रहे।

- कर्मेश (दशमेश) सूर्य हो अथवा सूर्य, मंगल के नवांश में हो।

- छठे और ग्यारहवें भावों का युति या दृष्टि संबंध हो।

- तृतीय भाव में अग्नि तत्व की कोई राशि (मेष, सिंह, धनु) हो।

उपर्युक्त योगों के आधार पर कुछ चिकित्सकों की कुंडलियों का विश्लेषण यहां प्रस्तुत है।

उदाहरण 1 यह एक महिला चिकित्सक की जन्मकुंडली है जो वर्तमान में विदेश में अपने चिकित्सकीय पेशे से जुडी हैं। इनकी कुंडली में शनि और राहु में त्रिकोणात्मक संबंध है। दशम भाव में मंगल है, जो षष्ठेश एवं एकादशेश भी है। तृतीय भाव में अग्नि तत्व राशि सिंह है। छठे भाव पर सूर्य की दृष्टि है। ग्यारहवें भाव पर राहु और पांचवें भाव पर मंगल की दृष्टि है।


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !


उदाहरण-2 यह एक पुरुष चिकित्सक की कुंडली है जो वर्तमान में शासकीय सेवा से जुड़े हैं। वह जीवन के आरंभ से ही प्रखर एवं बुद्धिमान रहे। इनकी कुंडली में सूर्य शनि की युति और पंचम भाव पर शनि की दृष्टि है। केंद्रगत मंगल पर गुरु की दृष्टि है। दशम भाव पर मंगल की दृष्टि है। पांचवें भाव में स्थित राहु की ग्यारहवें भाव पर दृष्टि के साथ मंगल की भी दृष्टि है। बुध तृतीय भाव में (मिथुन लग्न में) है। मंगल षष्ठेश एवं एकादशेश है। तृतीय भाव में अग्नि तत्व राशि सिंह स्थित है।

उदाहरण-3 यह स्त्री रोग चिकित्सा से जुड़ी एक महिला की पत्रिका है। यह भी वर्तमान में शासकीय सेवा से जुड़ी हैं। इनकी कुंडली का विश्लेषण इस प्रकार है। दशमेश सूर्य स्वराशि में स्थित है। सूर्य, मंगल और राहु में त्रिकोणात्मक संबंध है। दशम भाव पर राहु, और शनि की दृष्टि है। पांचवें और छठे भाव पर मंगल और राहु की दृष्टि है। शनि और राहु में दृष्टि संबंध है। एकादशेश बुध पर षष्ठेश मंगल की दृष्टि है। इस तरह उपर्युक्त तीनों पत्रिकाओं के जातकों में चिकित्सक बनने के योग मौजूद हैं।

किंतु, उपर्युक्त विश्लेषण के अतिरिक्त आजीविका कारक ग्रहों के बलाबल का विश्लेषण भी अवश्य करना चाहिए। इसके अतिरिक्त गोचर कालीन ग्रहों का प्रभाव, दशा एवं अंतर्दशा का अध्ययन भी आवश्यक है। आजीविका के फलकथन में दशम भाव (कर्म भाव) के अतिरिक्त लग्नेश, नवमेश, पंचमेश, धनेश एवं लाभेश की स्थितियों का अध्ययन करना चाहिए।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.