वास्तु संबंधित दोष

वास्तु संबंधित दोष  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 3721 | दिसम्बर 2016

1. पूर्व दिशा दोष :

1. पूर्व दिशा का स्थान ऊंचा होने से गृह स्वामी दरिद्र बन जाता है।

2. पूर्वी भाग में कूड़ा-करकट, पत्थर एवं मिट्टी के टीले हांे तो धनाभाव होकर धन हानि होती है।

3. यदि पूर्वी दिशा में मुख्य निर्माण की अपेक्षा चबूतरे ऊंचे हांे तो आर्थिक नुकसान होकर गृह स्वामी कर्जदार हो जायेगा।

4. यदि पूर्वी दिशा में निर्मित मुख्य द्वार या अन्य द्वार आग्नेय मुखी हो तो दरिद्रता या चोरी का भय होता है।

5. यदि पूर्वी भाग बंद, भारी सामान से युक्त, अस्वस्थ हो तो धनाभाव होता है।

6. भूखंड के अष्टम भाग (वर्ग) - ‘आकाश’ में मुख्य प्रवेश द्वार होने पर चोरी की संभावना रहती है। गृहस्वामी गलत कार्यों से धन हानि करता है।

7. इस दिशा में दोष होने पर धन व उन्नति में बाधा आती है।

8. पूर्वी दिशा में शौचालय के होने पर उन्नति में बाधा पहुंचती है। इस दोष को दूर करने हेतु उपाय के रूप में शौचालय के अंदर की तरफ शिकार करते हुए या दौड़ते हुये शेर की फोटो लगायें।

9. इस दिशा में सीढ़ी उन्नति में बाधा व आर्थिक हानि देती है।

उपाय:

1. सूर्यदेव की सात रथ वाले घोड़े सहित फोटो तथा श्रीराम एवं इंद्र देव की फोटो लगायें।

2. सूर्यदेव को जल का अघ्र्य दें।

3. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

4. बंदरों को गुड़ व भुने चने खिलाएं।

2. पश्चिम दिशा दोष :

1. इस दिशा स्थल के नीचा होने से धन हानि होती है।

2. यदि पश्चिम में रसोई हो तो गृह स्वामी धन तो काफी कमाता है, परंतु उस धन से बरकत नहीं होती है यानि उन्नति नहीं हो पाती है।

3. यदि पश्चिम भाग में स्थित द्वार नैर्ऋत्य दिशामुखी हो तो जातक को आर्थिक हानि होती है।

4. यदि पश्चिम भाग का द्वार वायव्य मुखी हो तो अदालती झगड़े बढ़ने से धन हानि होती है।

5. यदि पश्चिम की ओर के चबूतरे मुख्य वास्तु के स्तर से निम्न हो तो धन हानि होती है।

6. भूखंड के 18वें वर्ग - ‘दोवारिक’ पर मुख्य प्रवेश द्वार हो तो धन की बर्बादी होती है।

7. इसी प्रकार, 19वें वर्ग -‘सुग्रीव’ पर मुख्य प्रवेश द्वार हो तो कर्ज की अधिकता इतनी बढ़ जाती है कि पीढ़ियों तक को यही कर्ज चुकाना पड़ता है।

8. 23वें वर्ग -‘शेष’ पर मुख्य प्रवेश द्वार हो तो धन का संचय नहीं हो पाता है, निर्धनता आती है।

9. इस दिशा में दोष होने पर धन व उन्नति में रूकावट पैदा हो जाती है।

उपाय:

1. पश्चिम दिशा में शनि या वरूण यंत्र का फोटो स्थापित करना चाहिये। कूर्मावतार हरि व काली मां की फोटो लगानी चाहिए।

2. सदैव सच्चे कर्म ही करें।

3. शनिवार का व्रत करें।

4. शनिवार को पीपल, शमी, खेजड़ी वृक्ष की पूजा करें।

3. उत्तर दिशा दोष :

1. यदि उत्तर दिशा में निष्प्रयोजन सामग्री, अनुपयोगी सामान हो, गोबर के ढेर या टीले आदि हों तो आर्थिक हानि होती है।

2. उत्तरी हिस्से में खाली जगह न हो, अहाते की सीमा से सटकर मकान हो और दक्षिण में खाली जगह हो तो वह मकान दूसरों की संपत्ति बन जाता है, इससे धन हानि होती है।

3. उत्तरी भाग के द्वार वायव्यमुखी हांे तो चोरी का भय रहता है।

4. उत्तर दिशा में शौचालय होने पर धन का शीघ्र ही नाश हो जाता है, दरिद्रता रहती है। अतः इस दोष को दूर करने हेतु उपाय के रूप में इस दिशा में एक छोटा सा गड्ढा बनाना चाहिए तथा एक कृत्रिम फव्वारा भी लगाना चाहिए जिससे पानी का प्रवाह निरंतर होता रहे।

5. उत्तर दिशा में पानी का टैंक होने पर कर्ज में वृद्धि करता है जिससे आर्थिक समस्या अधिक बढ़ जाती है।

6. इस दिशा में सीढ़ियां आर्थिक समस्या देती हैं।

उपाय:

1. इस दिशा के दोष दूर करने हेतु कुबेर व बुध यंत्र को स्थापित करें। महात्मा बुद्ध का फोटो लगायें। इस दिशा में श्रीयंत्र के साथ लक्ष्मी गणेशजी की मूर्ति भी रख सकते हैं।

2. अष्टकोणीय दर्पण मुख्य द्वार के ऊपर स्थापित करें।

3. दक्षिणावर्ती सूंड़ वाले गणेशजी द्वार के अंदर-बाहर लगायंे।

4. दरवाजे पर वास्तु यंत्र लगायें।

5. क्रिस्टल बाॅल या पिरामिड रखें।

6. जल स्रोत, झरना आदि के फोटो लगायें।

7. एक्वेरियम, फिश पाॅट, नल, पानी का फव्वारा आदि लगायंे।

ईशान (कोण) दिशा दोष :

1. यदि यह कोण ऊंचा हो तो धन हानि होती है, उन्नति रूक जाती है।

2. यदि ईशान कोण में उत्तरी दिशा की लंबाई घट रही हो तो उस मकान की गृहस्वामिनी को आर्थिक कठिनाईयों का सामना करते हुए दुखमय जीवन व्यतीत करना पड़ सकता है।

3. यह कोण भारी, अस्वस्थ, सूखा आदि हो तो गृहस्वामी कीे उन्नति के समान धन वृद्धि नहीं हो पाती है।

4. यदि इस कोण में शौचालय, नगर निकासी या कोई अन्य गंदगी है तो धन संबंधी परेशानी रहती है, उन्नति में बाधा रहती है।

5. यदि यह कोण कट या घट जाये तो भयंकर आर्थिक संकट आता है।

6. यदि इस कोण में सीढ़ियां, किचन, कबाड़खाना आदि है तो आर्थिक तंगी रहती है।

7. इस दिशा (कोण) में टाॅयलेट होने पर व्यक्ति का जीवन तबाह हो जाता है, उन्नति रुक जाती है, धन-हानि होती है। अतः दोष दूर करने हेतु उपाय के रूप में ‘दर्पण’ लगाना शुभ रहता है। पानी भरा बर्तन रखें। फिश एक्वेरियम रखें।

8. सेप्टिक टैंक इस कोण में होने पर आर्थिक हानि होती है। इस दोष को दूर करने हेतु उपाय के रूप में टैंक के ढक्कन को लाल रंग से रंगने पर दोष का प्रभाव दूर हो जाता है।

9. इस कोण में सीढ़ियां कर्ज वृद्धि, आर्थिक तंगी देती है।

उपाय:

1. इस कोण को अन्य सभी कोण से नीचा रखना चाहिए। इसे बड़ा, खुला हल्का, स्वच्छ व सुगंध युक्त रखना चाहिए।

2. बर्फ से ढंके कैलाश पर्वत पर साधना मुद्रा में भगवान श्री शिवजी, जिनके भाल पर चंद्र हो और जटा से गंगाजी निकल रही हों, का फोटो लगाना चाहिए।

3. गुरु यंत्र की स्थापना करें।

4. बड़ा शीशा लगायें।

5. भोजन की तलाश में उड़ते पक्षियों की फोटो लगायें।

6. जल स्रोत व इसके फोटो रखें।

7. यहां शौचालय, सीढ़ी, पानी की टंकी नहीं होनी चाहिए।

आग्नेय कोण (दिशा) दोष :

1. यदि यह कोण नीचा हो, वायव्य व ईशान ऊंचे हांे तो आर्थिक हानि होती है।

2. यदि यह कोण कटा हो तो धन हानि/कमी और चोरी होगी।

3. इस कोण के अधिक नीचा व ज्यादा विस्तार होने पर लगातार व अचानक हानि (धन आदि) होती है।

उपाय:

1. शुक्र यंत्र की स्थापना करें।

2. अग्नि देव की फोटो लगाएं।

3. पानी के स्रोत न रखें।

4. लाल बल्ब जलायें।

5. यदि इस कोण में गड्ढे हांे तो इन्हें भर देना चाहिए। यह आग्नेय क्षेत्र, ईशान व वायव्य से तो ऊंचा हो, परंतु इससे नीचा वायव्य, ईशान (अंत में) कोण रखना चाहिए। लेवल में संतुलन होने से कोई दोष नहीं रहता है।

नैर्ऋत्य कोण (दिशा) दोष :

1. यदि इस क्षेत्र का स्तर नीचा हो तो धन संबंधी परेशानी होती है।

2. यदि इस कोण में कोई गड्ढा हो तो आर्थिक तंगी रहती है।

3. इस कोण के खुले होने के साथ हल्का, गीला व नीला होने पर धन की बचत नहीं होती है। आर्थिक नुकसान होता है।

उपाय:

1. नैर्ऋत्य की ओर तस्वीर लगायें।

2. राहु व केतु यंत्र की स्थापना करें।

3. बिना पानी के पहाड़ों की फोटो लगायें।

4. भारी सामान इसी क्षेत्र में रखें।

5. इसे खुला न छोड़ें अर्थात खिड़की, दरवाजे न बनायें। भूमिगत पानी की टंकी भी न बनायें।

6. यह कोण भारी, सूखा, स्वच्छ, ऊंचा रखें। ब्रह्म स्थान इस स्थान में शौचालय होने पर जातक की उन्नति रूक जाती है।

उपाय:

1. शौचालय, सीढ़ियां आदि न बनायें।

2. क्षेत्र को खुला छोड़ें व स्वच्छ रखें।

3. ब्रह्माजी की फोटो लगायें।

वायव्य दिशा (कोण) दोष :

1. यदि इस कोण में शयन कक्ष हो तो जातक को आर्थिक तंगी व कर्ज रहता है।

2. इस कोण का विस्तार ज्यादा हो या यह कोण अधिक नीचा हो तो अचानक व निरंतर धन हानि होती है।

उपाय:

1. चंद्र यंत्र की स्थापना करें।

2. वायुदेव की फोटो लगायें।

दक्षिण दिशा का दोष :

1. वर्ग 15 - ‘भृंगराज’ में मुख्य प्रवेश द्वार बनवाने से रहने वाले व्यक्तियों को इतनी अधिक हानि होती है कि अमीर भी गरीब हो जाते हैं अर्थात् संचित धन नष्ट हो जाता है।

उपाय:

1. मंगल यंत्र स्थापित करें।

2. दक्षिणावर्ती सूंड़ वाले गणेशजी द्वार पर अंदर व बाहर दोनों तरफ लगायें।

3. पहाड़ो की सीनरी लगायें।

4. नृसिंह हरि, हनुमानजी, कार्तिकेय जी की फोटो आदि लगायें। साथ ही शिवजी के ‘महाकाल’ रूप का फोटो लगायें।

5. भारी सीमेंट वाले या भारी प्रवृत्ति वाले गमलों में पौधे इस दिशा में रखें।

फेंगशुई द्वारा वास्तु दोषों का शमन:

1. फिश एक्वेरियम को पूर्व, उत्तर या ईशान में स्थापित करें। इससे संपत्ति और उन्नति में वृद्धि होती है। इसमें 8 गोल्ड फिश व 1 ब्लैक फिश हो।

2. घर मंे पुरानी व अनावश्यक वस्तुएं ऊर्जा खाती हैं, अतः इसे घर से बाहर निकालें, जीवन में उन्नति होती है।

3. घर में कोई भी नल हो, इससे पानी टपकना नहीं चाहिए। इससे घर में धन की बरकत नहीं होती है।

4. घर के मुख्य द्वार में अंदर की ओर हैंडल में, तीन पुराने चीनी सिक्कों को लाल रिबन में बांधकर, लटकाना चाहिए व बाहर की ओर घंटी हैंडल मंे लटकानी चाहिए।

5. धन की गठरी लिये लाफिंग बुद्धा को उ. प. कोण में 30’’ की ऊंचाई पर स्थापित करने से आर्थिक, उन्नति होती है।

6. मधुर ध्वनि हेतु उ. प. में पवन घंटी लगायें। इससे सौभाग्य में उन्नति होती है।

7. सोने के सिक्कों वाला समुद्री जहाज (पोत) घर या कार्यालय में अंदर की ओर आता हो, स्थापित करें। इससे धन व सौभाग्य में वृद्धि होती है।

8. वर्गाकार छेद वाले तीन चीनी सिक्कों को लाल रंग के रिबन में बांधकर जेब में रखना चाहिए। ये आय के स्रोत के प्रतीक हैं।

9. नकदी-पेटी के ऊपर या अंदर तीन चीनी सिक्के लाल रिबन में बांधने से संपत्ति एवं संपन्नता में उन्नति होती है।

10. धातु का कछुआ, ड्रैगन, फीनिक्स, घोड़े की नाल तथा ड्रैगन के सिर वाला कछुआ जीवन में सौभाग्य देता है।

11. संपत्ति और उन्नति हेतु क्रिस्टल ग्लोब तथा रत्नों का पौधा रखना चाहिए। इन्हें आग्नेय में स्थापित करना चाहिए।

12. आय में वृद्धि तथा कहीं से रुका हुआ पैसा आने के लिए क्रिस्टल लैंप आग्नेय में स्थापित करें तथा प्रतिदिन सायंकाल में प्रकाशित करें। इससे धन वृद्धि होगी।

13. धन संपदा में वृद्धि हेतु ‘‘पिरोन’’ को आग्नेय में स्थापित करना चाहिए।

14. तीन टांग वाले मेढ़क को मुख्य प्रवेश द्वार के पास अंदर की ओर मुंह करके रखने से धन वृद्धि होती है।

15. वैभव-संपन्नता व समृद्धि में उन्नति हेतु ‘ ‘ प ्र ा ॅ स् प े िर ट ी सिम्बल’ बैठक कक्ष में लगाना चाहिए।

16. धनवृद्धि हेतु ‘‘श्रीयंत्र’’ को घर या आॅफिस में उत्तरी दीवार पर दक्षिणमुखी स्थापित करें।

17. क्रिस्टल ब्रेसलेट पहनने से आमदनी (मिश्रित रंग वाला) में वृद्धि एवं गुलाबी क्वार्ट्ज से धन समृद्धि में वृद्धि होती है।

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