वास्तु दोष से बढता है कर्ज
वास्तु दोष से बढता है कर्ज

वास्तु दोष से बढता है कर्ज  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 9304 | दिसम्बर 2006

वास्तु दोष से बढ़ता है कर्ज अशोक ठकराल कई बार कर्ज पर कर्ज चढ़ता जाता है और जीवन में तनाव घिर आता है, ऐसा वास्तु दोष के कारण भी संभव है। यदि छोटे-छोटे उपाय कर लिए जाएं तो कर्ज के बोझ को कम किया जा सकता है, कैसे आइए जानें...

कितने ही घरों के चूल्हे कर्ज के कारण नहीं जलते हैं और कर्ज की वजह से ही अनेक लोग मजबूर होकर पूरे परिवार सहित आत्महत्या तक कर बैठते हैं। यह स्थिति अन्य कारणों के अलावा वास्तु दोष के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। अगर वास्तु दोष को दूर कर दिया जाए तो घर में लक्ष्मी का वास होता है।

कर्ज से बचने के लिए उत्तर व दक्षिण की दीवार बिल्कुल सीधी बनाएं। गलत दीवारें बनवाने से धन का अभाव हो जाता है। उत्तर की दीवार सबसे नीची, पतली तथा हल्की होनी चाहिए और उसका कोई भी कोना कटा या कम नहीं होना चाहिए। अगर कर्ज से बहुत अधिक परेशान हों, तो ईशान कोण को 90 डिग्री से कम कर दें।

इसके अलावा उत्तर-पूर्व भाग में भूमिगत टैंक या टंकी बनवा दें। टंकी की लंबाई, चैड़ाई व गहराई के अनुरूप आय बढे़गी। उत्तर-पूर्व का तल कम से कम 2 से 7 फुट तक गहरा कराएं। दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण दिशा में भूमिगत टैंक, कुआं या नल होने पर घर में दरिद्रता का वास होता है। उत्तर दिशा की ओर जितनी अधिक ढलान होगी, संपŸिा में उतनी ही वृद्धि होगी।

यदि कर्ज के कारण बहुत दुखी हों, तो ढलान ईशान कोण की ओर करा दें। कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी। कर्ज होने पर, उत्तर दिशा की दीवार को गिराकर दक्षिण दिशा की दीवार से छोटा कर दें। अगर पहले से छोटी है, तो उसे और छोटा कर दें अथवा दक्षिण की दीवार ऊंची करा दें। इसके अलावा भवन के दक्षिण-पश्चिम के कोने में पीतल या तांबे का झंडा लगा दे ं।

भारी भवनों के बीच दबा हुआ भूखंड कभी न खरीदें। दबा हुआ भूखंड घोर गरीबी एवं कर्ज में फंसा देता है। बहुमंजिली इमारतों के बीच का भूखंड भी कर्ज एवं घोर गरीबी का सूचक है। सीढ़ी कभी भी पूर्व या उत्तर की दीवार से न चढ़ाएं। जीने का वजन दक्षिणी या पश्चिमी दीवार पर ही आना चाहिए। ऐसा न करने से आय, धन, लाभ के साधन खत्म हो जाते हैं। सीढ़ी हमेशा ‘क्लाक वाइज’ दिशा मंे चढ़ाएं। कर्ज से बचने के लिए उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर चढ़ें।

सीढ़ी हमेशा दक्षिणी या पश्चिमी दीवार के सहारे चढ़ाएं चाहे वह भवन के उत्तरी या पूर्वी भाग में ही क्यों न हो। सीढ़ी की पहली पौड़ी कभी भी मुख्य द्वार से दिखायी नहीं पड़नी चाहिए, नहीं तो लक्ष्मी घर से बाहर चली जाएगी। पूर्वी तथा उत्तरी दिशा में भूलकर भी कोई भारी वस्तु न रखें। इन दोनों दिशाओं में कोई कैलेंडर या फोटो तक न टांगें। अन्यथा कर्ज, हानि व घाटे का सामना करना पड़ता है। भवन के मध्य भाग (आंगन) में अंडरग्राउंड टैंक या बेसमेंट न बनाएं।

मकान का मध्य भाग थोड़ा ऊंचा रखंे। इसे नीचा रखने से सब कुछ बिखर जाएगा। कर्ज से छुटकारा पाने के लिए दरवाजे हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होने चाहिए। जिस मकान में उसके बीच कहीं भी तीन या तीन से अधिक दरवाजे हों, उसके बीच में कभी भी न बैठें। नहीं तो ज्ञान का खजाना लुटने के साथ-साथ तिजोरी भी खाली हो जाएगी। द्वार बंद होने पर कर्ज मंे डूबते देर नहीं लगती।

अगर मुख्य द्वार या भवन पर पेड़, टेलीफोन, बिजली का खंभा या अन्न किसी चीज की परछाई पड़ रही हो तो उसे तुरंत दूर कर दें या बागुआ दर्पण लगा लें। मुख्य द्वार के पास एक और छोटा सा द्वार लगाएं, कर्ज से छुटकारा मिलेगा। कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर एक या दो खिड़कियां बनवा लंे और उन्हंे ज्यादा से ज्यादा खोल कर रखें। ईशान कोण में पूजा स्थल के नीचे पत्थर का स्लैब नहीं लगाएं, अन्यथा कर्ज के चंगुल में फंस जाएंगे।

उत्तर-पूर्व के भाग में ज्योति जलाना घातक सिद्ध हो सकता है। इस कोने में हवन करना घाटे, कर्ज तथा मुस¬ीबत को निमंत्रण देना होता है। यह पानी का कोना है, और पानी आग को सह नहीं सकता। अतः पूजा घर के अग्नि कोण की तरफ हवन करना चाहिए। उत्तर-पूर्व में लकड़ी का मंदिर रखना चाहिए, जिसके नीचे गोल पाये हांे। लकड़ी के मंदिर को दीवार से सटाकर न रखें। लकड़ी के मंदिर में पत्थर की मूर्ति न रखें, इससे वजन बढ़ता है। रंग भी अपना प्रभाव डालते हैं। लाल व महरून रंग से बचना चाहिए।

कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उत्तर-पूर्व के भाग में निचले तल पर फर्श पर दर्पण रखकर उत्तरी पूर्वी भाग में गहराई दिखायी जा सकती है। इस प्रकार से उत्तर-पूर्व में बिना किसी तोड़फोड़ के फर्श में गहराई आ जाती है। उत्तर-पूर्व में भूमिगत टैंक बनाने पर जो लाभ होता है। वही बिना तोड़फोड़ के इस दर्पण से भी मिलता है। यह बहुत लाभप्रद होता है। उत्तर या पूर्व की दीवार पर उत्तर पूर्व की ओर लगे दर्पण लाभदायक होते हैं। दर्पण के फ्रेम पर या दर्पण के पीछे लाल, सिंदूरी या महरून रंग नहीं होना चाहिए। दर्पण जितना हल्का तथा बड़े आकार का होगा उतना ही लाभदायक होगा।

व्यापार तेजी से चल पड़ेगा, तथा कर्ज खत्म हो जाएगा। दक्षिण या पश्चिम की दीवार पर लगे दर्पण हानिकारक होते हैं। दक्षिणी-पश्चिमी, पश्चिमी-उत्तरी या मध्य भाग का चमकीला फर्श या दर्पण गहराई दर्शाता है, जो धन के विनाश का सूचक होता है। फर्श पर मोटी दरी, कालीन आदि बिछाकर कर्ज व दिवालिएपन से बचा जा सकता है। पश्चिमी-दक्षिणी भाग में फर्श पर उलटा दर्पण रखने से फर्श ऊंचा उठ जाता है। फलतः कर्ज उतर जाता है। उत्तर या पूर्व की ओर उलटे दर्पण भूल कर भी न लगाएं, अन्यथा कर्ज पर कर्ज होते जाएंगे।

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