त्रिक भावों में ग्रहों का फल एवं उपाय

त्रिक भावों में ग्रहों का फल एवं उपाय  

व्यूस : 20241 | सितम्बर 2013
भारतीय ज्योतिष में त्रिक भाव अर्थात्- छठे, आठवें और बारहवें भावों को बुरे फल की श्रेणी में रखा गया है। छठा घर झगड़े, मुकदमे, ऋण, बीमारी का घर तो अष्टम भाव मौत का घर, पाताल के अंधेरे का, तो द्वादश भाव व्यय का, मोक्ष का और खुले आकाश का भी होता है। इन त्रिक भावों में स्थित ग्रहों की भेद भरी गाथा है। छठा भाव छठे भाव को ‘उपचय’ भाव भी कहा जाता है। उपचय का अर्थ है गतिशील। छठे घर में स्थित ग्रह का शुभ या अशुभ प्रभाव बहुत तेज रफ्तार के साथ होता है। यह भाव मनुष्य के मानसिक संताप, दुश्मनी, बीमारी, ननिहाल परिवार, नौकरी, रखैल, भूतबाधा, कर्ज़ और फौजदारी मुकदमे का कारक है। छठे घर में स्थित विभिन्न ग्रहों का फल लाल किताब के अनुसार इस प्रकार होता है। बुध काल पुरूष की कुंडली के अनुसार छठे भाव में स्थित बुध अपने पक्के घर में होता है तथा छठे घर का कारक भी होता है। इससे बुध को दोहरी शक्ति मिल जाती है। ऐसा व्यक्ति अपनी मीठी वाणी से सबको प्रभावित करता है। छठे घर के बुध होने पर यदि दूसरे घर में अशुभ मंगल हो और बृहस्पति भी कुंडली में बहुत अच्छा न हो तो हकलाने या गूंगेपन की संभावना हो सकती है। इसके लिए अच्छा उपाय यह है कि घर में मैना पक्षी पाला जाए जो शुभ बुध का कारक है। छठे घर का बुध दिमागी मेहनत के लिए ठीक है, शारीरिक मेहनत के लिए नहीं। इस घर का बुध छुपा हुआ योगी होता है। उसकी वाणी से निकली दुआ या बद्दुआ दोनों पूरी हो जाती है। उपाय मिट्टी का बर्तन (छोटा सा घड़ा) दूध से भरकर किसी वीरान जगह पर दबाएँ। बारिश का पानी शीशे की बोतल में भरकर शीशे के ढक्कन से बंद कर किसी खेती की जमीन में दबा दें। बृहस्पति छठे घर का गुरू व्यक्ति को आर्थिक तंगी नहीं देता। यह इंसान को आलसी बना देता है। इस घर का गुरू शारीरिक रूप से कुछ कमजोर रखता है। जिगर का बढ़ना, शुगर की शिकायत होना इस घर के निम्न बृहस्पति की आम बीमारियाँ है। छठे भाव में स्थित गुरू की सातवीं दृष्टि बारहवें घर पर पड़ती है, खर्च वाले घर पर इसलिए ऐसा व्यक्ति फिज़ूलखर्च भी हो जाता है। बुध के पक्के घर में आकर गुरू ऐसा जान पड़ता है जैसे किसी ऊँची पद्वी वाले व्यक्ति को छोटे पद पर काम करना पड़े। उपाय किसी से दान दक्षिणा न लें। किसी पुजारी को कपड़े दान करने चाहिए। चने की दाल छः दिन लगातार किसी धर्म स्थान में दें। शुक्र शुक्र ग्रह स्त्री कारक है। ऐसा शुक्र स्त्रियों की तरफ से विरोध पैदा करता है। छठे भाव में शुक्र होने पर कोई भी प्रेम सम्बन्ध शादी तक नहीं पहुँचता। छठे घर के शुक्र होने पर लोग अचानक से अपना व्यवसाय परिवर्तन भी कर लेते हैं फिर भी उनकी आमदनी बढ़ती जाती है। ऐसा शुक्र सूर्य की दृष्टि या सूर्य का साथ होने पर पत्नी की सेहत के लिए बुरा फल देने लगता है। जब शुक्र अपना बुरा फल दे तो उसका पहला संकेत यह होता है कि दायें तथा बायें हाथ का अंगूठा बिना किसी चोट या जख्म दर्द करने लगता है। कुछ ग्रंथों में ऐसे शुक्र को संतान की पैदाइश में बाधक माना गया है। उपाय कभी नंगे पाँव न चलें और पत्नी को भी न चलने दें। अपनी पोशाक को साफ सुथरा रखें। छः शुक्रवार सफेद पत्थर पर चंदन का तिलक लगाकर बहते पानी में बहा दें। छः कन्याओं को छः दिन लगातार दूध मिश्री दें।



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