पंचपक्षी: नक्षत्र एवं प्रश्न विचार

पंचपक्षी: नक्षत्र एवं प्रश्न विचार  

मनोज कुमार
व्यूस : 4597 | सितम्बर 2015

सर्वविदित है कि ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते हैं तथा प्रत्येक दिन का कोई न कोई विशेष नक्षत्र होता है। पंच पक्षी के आधार पर किसी प्रेक्षक के प्रश्नों के उत्तर देने हेतु सर्वप्रथम उस दिन के नक्षत्र के अनुसार पक्षी का निर्धारण किया जाता है। पूर्व के अंकों में वर्णित किया जा चुका है कि शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के एक ही नक्षत्र के दो अलग पक्षी होते हैं। अतः पंच पक्षी शास्त्री को सावधानी पूर्वक नक्षत्र का पता करके यह ज्ञात करना आवश्यक है कि वर्तमान में शुक्ल पक्ष चल रहा है या कृष्ण पक्ष। इन्हीं मानदंडों को आधारभूत मानकर पंचपक्षी का निर्धारण किया जाना आवश्यक है। प्रश्न पूछे जाने वाले दिन यदि पक्षी नैसर्गिक रूप से अच्छी गतिविधियों अर्थात शासन करने अथवा खाने की गतिविधि में संलग्न हो तो प्रेक्षक के द्वारा पूछे गये प्रश्न का उत्तर सकारात्मक होगा। यदि पक्षी घूमने की गतिविधि में संलग्न है तो उत्तर न तो पूर्ण रूप से सकारात्मक और न ही पूर्ण रूप से नकारात्मक होगा। इसका तात्पर्य यह है कि प्रेक्षक द्वारा पूछे गये प्रश्न का हल कुछ विलंब एवं अवरोधों के बाद मुश्किल से हो पाएगा।

यदि पक्षी सोने अथवा मरने की गतिविधि में संलग्न है तो प्रश्न का उत्तर पूर्णरूप से नकारात्मक होगा। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि जब प्रेक्षक प्रश्न पूछने के लिए पंच पक्षी शास्त्री के पास आया उस दिन अश्विनी नक्षत्र था तथा शुक्ल पक्ष चल रहा था। अतः इस दृष्टिकोण से पक्षी गिद्ध हुआ। यदि कृष्ण पक्ष चल रहा होता तो पक्षी मयूर होता। अब प्रेक्षक यह प्रश्न पूछता है कि क्या उसके व्यवसाय में उन्नति होगी? उस समय का पक्षी गिद्ध यदि शासन करने अथवा खाने की गतिविधि में संलग्न है तो पंचपक्षी शास्त्री को यह जवाब देना चाहिए कि हां निश्चित रूप से उसका व्यवसाय फले-फूलेगा और उसमें आशातीत तरक्की होगी। पक्षी उस समय किस गतिविधि में संलग्न है यह जानने के लिए उस दिन कौन सा वार है यह जानना आवश्यक होगा। इसका वर्णन पिछले अंकों में विस्तारपूर्वक किया जा चुका है कि किस दिन, किस समय पक्षी किस प्रकार की गतिविधि में संलग्न होगा। नक्षत्र के अनुसार पंच पक्षी शास्त्री को पहले ही यह आभास हो जाना चाहिए कि प्रेक्षक किस प्रकार के प्रश्न पूछने वाला है।

मान लीजिए कि प्रश्न पूछने के समय शतभिषा नक्षत्र चल रहा है तो इसका तात्पर्य यह ममझा जा सकता है कि प्रेक्षक किसी हरी वस्तु के संबंध में प्रश्न पूछ सकता है। यह हरी वस्तु कोई फसल हो सकती है अथवा किसी प्रकार की व्यापारिक वस्तु। इस समय यदि पक्षी शासन करने की गतिविधि में है तो निःसंदेह उसके प्रश्न का उत्तर हां होगा। वह चाहे किसी भी व्यवसाय में संलग्न हो, उसका व्यवसाय उन्नति करेगा तथा उसे मुनाफा होगा। यही प्रश्न अगर ऐसे पक्षी के संदर्भ में हो जो कि उस समय मरने की गतिविधि में संलग्न है तो निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि उसका व्यवसाय कभी सफल नहीं होगा। किंतु उसी दिन एवं उसी नक्षत्र में प्रश्नकर्ता यदि ऐसे समय में प्रश्न पूछता है जब वही पक्षी शासन करने व खाने की गतिविधि में हो तो उत्तर पूरी तरह से बदल जाएगा। अतः प्रश्न पूछने का समय काफी महत्वपूर्ण है तथा यह भी प्रेक्षक के भाग्य अथवा दुर्भाग्य का द्योतक है। यहां एक बात और ध्यान देना आवश्यक है। प्रश्न काल के पक्षी के साथ-साथ प्रेक्षक का जन्म पक्षी भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

यदि प्रश्न करने के समय का पक्षी और प्रेक्षक का जन्म पक्षी दोनों एक ही हैं और उत्तर यदि हां में है तो उत्तर में और अधिक दृढ़ता आ जायेगी। तात्पर्य यह है कि यदि प्रश्न पूछने के समय एवं दिन का पक्षी एक ही है और यदि वह शासन करने एवं खाने जैसी अच्छी गतिविधियों में संलग्न है तो निश्चित रूप से उसके प्रश्न सफल होंगे। इसके विपरीत यदि दोनों पक्षी अलग-अलग हैं तथा आपस में शत्रु हैं तो उत्तर हां होने के बावजूद भी प्रश्न के फल को पूरा होने में संदेह पैदा होगा। हो सकता है कि फल मिले किंतु इसके लिए अत्यधिक भागदौड़, परेशानियों एवं विलंब का सामना करना पड़ सकता है। यदि दोनों पक्षी आपस में मित्र हैं तो वैसी स्थिति में सकारात्मक अथवा नाकारात्मक जैसा भी उत्तर हो उसमें दृढ़ता लाएंगे।

नक्षत्र संबंधित प्रश्न कार्य पूरा होने की अवधि अश्विनी घर आए अतिथियों के संबंध में, पीले रंग से संबंधित 8 दिन

भरणी काले अथवा लाल रंग के संबंध में 10 दिन

कृतिका काले वस्तु के संबंध में 10 दिन

रोहिणी सफेद वस्तु के संबंध में 7 दिन

मृगशिरा काले वस्तु के संबंध में 10 दिन

आद्र्रा नीले वस्तु के संबंध में 20 दिन

पुनर्वसु लाल वस्तु के संबंध में 20 दिन

पुष्य सफेद एवं काले वस्तु के संबंध में 5 दिन

अश्लेषा सफेद वस्तु के संबंध में अनिश्चित मघा विविध प्रश्न 10 दिन

पूर्वा फाल्गुनी हरे वस्तु के संबंध में 30 दिन

उत्तरा फाल्गुनी काला एवं लाल वस्तु के संबंध में 15 दिन

हस्त बहुरंगी वस्तु के संबंध में 35 दिन

चित्रा लाल, सफेद अथवा पीले वस्तु के संबंध में 40 दिन

स्वाति सुनहले रंग की वस्तु के संबंध में 10 दिन

विशाखा कड़वे वस्तु के संबंध में 20 दिन

अनुराधा सफेद वस्तु के संबंध में 30 दिन

ज्येष्ठा कांसे से बने वस्तु के संबंध में 8 दिन

मूल पृथ्वी अथवा जल स्रोत के निकट की वस्तु के संबंध में 5 दिन

पूर्वाषाढ़ा ईंट एवं गारे के संबंध में 48 दिन

उत्तराषाढ़ा अनिश्चित प्रश्न अनिश्चित श्रवण घास अथवा धान के संबंध में 22 दिन

धनिष्ठा चमकीले वस्तु के संबध में धीरे-धीरे सफलता शतभिषा फसल एवं घास के संबंध में 35 दिन

पूर्वाभाद्रपद रेंगने वाले जीव के संबंध में 30 दिन

उत्तराभाद्रपद हरे रंग की वस्तु के संबंध में 40 दिन

रेवती मोती अथवा इसी के समान किसी वस्तु के संबंध में 18 दिन

नोट: उपर्युक्त प्रश्न वर्तमान संदर्भ में तार्किक प्रतीत नहीं हो सकते हैं किंतु इसे आज के परिप्रेक्ष्य में थोड़ा परिवर्तित कर देखे जाने की आवश्यकता है। हमारे शास्त्रों की रचना हजारों वर्ष पूर्व हुई जिस समय कृषि की प्रधानता थी तथा यही अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार था साथ ही जीवन शैली भी ग्रामीण थी अतः निश्चित रूप से उस समय के प्रश्न उस काल के अनुरूप ही की जाती थी। ज्योतिष एवं समान विधााओं में देश, काल एवं परिस्थिति का विचार करना आवश्यक है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.