विद्या बाधा: कारण एवं निवारण

विद्या बाधा: कारण एवं निवारण  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 4932 | फ़रवरी 2016

शिक्षा में अवरोध पैदा करने वाले योग बुद्धि भावगताः क्रूराः शत्रुग्रहसमाश्रिताः। नीचराशिगताश्चैव मूर्खो वै मनुजो भवेत्।।

- पंचम स्थान में क्रूर ग्रह शत्रु ग्रह से युक्त हो और नीच राशिगत हो, तो व्यक्ति मूर्ख (बुद्धिहीन) होता है, अर्थात शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता है।

- पंचमेश यदि छठे, आठवें या बारहवें स्थान में हो अथवा पंचमेश पाप ग्रहों के साथ हो, तो विद्या भंग योग बनता है।

ऐसे जातक के अध्ययन में बाधा अवश्य आती है, विशेष कर उन पाप ग्रहों की दशा-अंर्तदशा में, जिनसे युति हो रही हो। ऐसे योग से जातक को परीक्षा या प्रतियोगिता में सफलता नहीं मिलती है।

लग्ने चन्द्रे मन्दारदृष्टे हीनधीः। मन्दारार्काश्चन्द्र पश्यन्ति मौख्र्यकराः।।

- लग्न में चंद्रमा तथा उसे शनि, मंगल देखें या चंद्रमा कहीं भी स्थित हो और शनि, मंगल तथा सूर्य देखें, तो जातक मंद बुद्धि होता है।

- कुंडली में बुध कमजोर स्थिति में हो तथा द्वितीयेश या द्वितीय भाव पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि तथा युति हो, साथ में चंद्रमा की स्थिति वृश्चिक राशि में हो, तो जातक का मस्तिष्क अस्थिर रहता है तथा उसका शिक्षा में मन नहीं लगता है।

- पंचम भाव से एकादश पर्यंत पूर्ण काल सर्प योग हो, तो शिक्षा में बाधा उत्पन्न होती है।

- दूसरे भाव का स्वामी सूर्य के साथ युति कर के, 6, 8, 12 वें भाव को छोड़ कर, कहीं भी बैठा हो और शनि, राहु की कुदृष्टि पड़ रही हो, तो विद्या प्राप्ति में रुकावटें आती हैं।

- पंचम स्थान का स्वामी पापाक्रांत हो और शनि पांचवें स्थान में स्थित हो कर लग्नपति को देख रहा हो, तो जातक को शिक्षा के क्षेत्र में अवरोध प्राप्त होते हैं।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


सरस्वती प्रयोग से सफलता भगवती सरस्वती देवी विद्या, बुद्धि, मेधा, तर्कशक्ति एवं समस्त ज्ञान-विज्ञान की अधिष्ठात्री शक्ति हैं। इन्हें महासरस्वती, नील सरस्वती आदि नामों से जाना जाता है। हमारे ग्रंथों में अनादि काल से अनेक नाम- रूपों से इनकी उपासना पद्धतियां प्रचलित रही हैं। वेदों तथा आगम ग्रंथों में सरस्वती की उपासना से संबंधित अनेक मंत्र, स्तोत्र भरे हुए हैं।

उनमंे सरस्वती रहस्योपनिषद्, शारदा तिलक आदि ग्रंथ विशेष रूप से महत्व रखते हैं। यहां सरस्वती देवी की कृपा प्राप्ति हेतु कुछ सरल मंत्र, विद्यार्थी वर्ग के लाभार्थ, दिये जा रहे हैं: सरस्वती मंत्र ¬ ह्रीं सरस्वत्यै नमः। ¬ ऐं नमः। ¬ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा। ¬ ऐं नमः भगवती वद-वद वाग्देवी स्वाहा। ¬ ह्रीं ऐं सरस्वत्यै नमः। ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य में सरस्वती प्रयोग कब करें

- जब शिक्षा में अवरोध पैदा हो रहे हों।

- अधिक परिश्रम करने पर भी परीक्षा में अच्छे अंकों की प्राप्ति न हो रही हो।

- पंचम भाव तथा पंचमेश पर पड़ने वाले या युति करने वाले अशुभ (क्रूर) ग्रहों की महादशा तथा अंतर्दशा में।

- परीक्षा तथा प्रतियोगिता में सफलता प्राप्ति हेतु। विद्या तथा परीक्षा/प्रतियोगिता में सफलता हेतु क्या करें -किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह पर पंचमेश का रत्न, मुद्रिका में जड़वा कर, नील सरस्वती मंत्र से पूरित कर, धारण करें।

- प्राण प्रतिष्ठायुक्त ‘सरस्वती यंत्र’ की स्थापना कर नित्य दर्शन एवं किसी भी सरस्वती मंत्र का 1, 2 या 5 माला जाप करें तथा नित्य नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें।

- अच्छे परिणामों तथा शीघ्र सफलता हेतु, सरस्वती की पूजा के साथ-साथ, किसी कर्मकांडी विद्वान से गणेश जी के श्री विग्रह पर ‘गणपत्यथर्वशीर्षम्’ के मंत्रों से जलाभिषेक करें, तो आशातीत सफलता प्राप्त होती है। क्रूर ग्रहों की शांति कराएं, जिनकी युति, या दृष्टि से पंचम भाव या पंचमेश को हानि मिल रही हो।

- उन महादशा, या अंतर्दशा से संबंधित ग्रहों की शांति कराएं, जिनसे विद्या भाव तथा विद्या भाव के स्वामी को हानि मिल रही हो।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.