मोटापा- योग, संयोग, कारण और निवारण !

मोटापा- योग, संयोग, कारण और निवारण !  

आर. के. शर्मा
व्यूस : 3936 | मई 2017

देह स्थूलता (मोटापा) योग

1. यदि लग्न जलराशि में शुभ ग्रहों से युत हो या लग्नेश जलीय ग्रह हो व शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो ऐसे जातक का शरीर स्थूल (मोटा) होता है।

2. यदि लग्नेश शुभ ग्रहों के साथ जलीय राशि में हो तथा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो अथवा लग्न शुभ ग्रहों की राशि में हो तथा लग्नेश का नवांशाधिपति जलीय राशि में हो, तो जातक का शरीर स्थूल होता है।

3. यदि बृहस्पति लग्नस्थ जलीय राशि में स्थित हो, लग्न को देखता हो अथवा जलीय राशि में शुभ ग्रहों से युत हो तो ऐसे जातक का शरीर स्थूल होता है।

स्थूलता (मोटापा) क्या है?


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ज्यादा मोटापा एक रोग नहीं, बल्कि जान का दुश्मन होता है। हृदय रोग, मधुमेह, पित्ताशय में पथरी, श्वांस कष्ट, हड्डियों के जोड़ों में, खासकर कूल्हों एवं घुटनों के जोड़ांे में बदलाव इत्यादि रोग, मोटे लोगों को शीघ्र ही अपनी चपेट में ले लेते हैं। मोटे पुरूषों में कोलन, रेक्टम, प्रोस्टेट इत्यादि के कैंसर से ग्रसित हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। मोटी स्त्रियों के गर्भाशय तथा डिब्बाशय के कैंसर एवं स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

मोटापे की जांच के लिये यदि कमर की नाप कूल्हों की नाप से ज्यादा हो गई हो (पुरुषों में) एवं स्त्रियों में यदि कमर एवं कूल्हे की नाप का असर 85 प्रतिशत से ज्यादा हो साथ ही दोनों का वजन, लंबाई एवं उम्र के हिसाब से 20 प्रतिशत अधिक हो, तो इस स्थिति को हम ‘मोटापा’ ही कहेंगे। मोटापे के कारण? मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक कारणों वश, बार-बार खाने की आदत के कारण दिमाग के हायपोथेलेमिक भाग की गड़बड़ी के कारण, ऊर्जा को कम खर्च करना, ऊर्जा खर्च करने की आवश्यकता ही न हो, उपापचय क्षमता बढ़ गई हो, शारीरिक श्रम न करने के कारण, हार्मोन्स के असंतुलन की वजह से, वंशानुगत कारणों से, भूख से ज्यादा खाने पर भी वजन बढ़ता है।

थायराॅइड ग्रंथि के कम स्राव एवं अंडग्रंथियों के स्राव में कमी एवं निष्क्रियता के कारण भी मोटापा बढ़ता है। मोटापे से होने वाली जटिलताएं: फेफड़ों संबंधी - पिकवियन नामक सिंड्रोम, श्वांस तंत्र में संक्रमण, हृदय संबंधी, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी धमनी की बीमारी, दिल का दौरा, हार्मोन्स एवं उपापचय संबंधी, मधुमेह, स्त्रियों में मासिक स्राव न होना, यकृत में वास बढ़ जाना (फैटीलिवर), स्त्रियों में दाढ़ी एवं मूंछ उग आना, पेट एवं आंत संबंधी, अपच, पित्ताशय की सूजन एवं पथरी, मानसिक परेशानी एवं सामाजिक परेशानियां भी हो सकती हैं, (जैसे-कुंठा-व्यक्तित्व का विकास न हो पाना, समाज में हंसी का पात्र बनना आदि)। अन्य: त्वचा संबंधी रोग, नसों में खिंचाव, गर्भावस्था में दौरे पड़ना, शरीर में विष फैल जाना- जोड़ों की बीमारियां।

होमियोपैथिक-उपचार: समान लक्षणों के आधार पर निम्न होमियोपैथिक दवाओं के सेवन से विशेष एवं शीघ्र फायदा होता है।

1. कैल्केरिया कार्ब: गोरे रंग की मोटी स्त्री, मासिक स्राव अधिक मात्रा में, चक्कर आना, पेट के चारों ओर (कमर) कोई कपड़े का कसाव बर्दाश्त न कर पाना, शारीरिक एवं मानसिक थकान महसूस होना (जरा-सा काम करने पर ही), ठंड में परेशानी बढ़ना, शुष्क मौसम में बेहतरी महसूस करने पर 200 शक्ति (पोटेंसी) की दवा।

2. ग्रेफाइटिस: मोटी एवं गोरे रंग की महिला, मासिक स्राव कम मात्रा में होता है, मासिक के समय जुकाम-खांसी हो जाती है, कमर में दर्द रहता है, मैथुन की इच्छा पूर्णतया समाप्त हो जाती है, गर्मी से एवं रात में परेशानी बढ़ना, स्तनों, अंगूठांे एवं गुदा में हलके घाव होने पर पहले कुछ खुराक 30 शक्ति में एवं तत्पश्चात 200 शक्ति में कारगर होता है।

3. फाइटोलक्का: स्तनों में अत्यधिक कठोरता, दर्द, मासिक स्राव के पहले और उसके दौरान अधिक परेशानी, स्तनों में गांठ एवं घाव, अनियमित मासिक स्राव, स्तनों में दूध का अधिक स्राव एवं कमर और जांघों पर अधिक चर्बी हो, आराम करने से एवं शुष्क मौसम में बेहतर अनुभव होता है, तो 3ग शक्ति में 2-3 खुराक रोज सेवन करें।

4. पल्सेटिला: जो स्त्री-पुरूष सांवले हों, मोटे हों, स्त्रियों को मासिक स्राव कम हो, कमर दर्द, थकान, मासिक स्राव के दौरान दस्त रहना, अपनी परेशानी बताते हुए ही रो पड़ना और सांत्वना मिलने पर चुप हो जाना, तली वस्तुएं खाने के बाद एवं गर्मी में परेशानी बढ़ना, जीभ सूखी पर प्यास नहीं, खुली हवा में राहत महसूस करना आदि लक्षणों के आधार पर 200 शक्ति में देना चाहिए।

5. थायरोडिनम: अगर हार्मोन के असंतुलन की वजह से मोटापा परेशानी का कारण बन जाए तो 3ग शक्ति में तीन खुराक कुछ दिन तक प्रयोग करनी चाहिए।

6. फ्यूकस वेसिक्यूलोसिस: अगर मोटापे के साथ कब्ज का रोग हो, तो दवा के मूल अर्क (मदर टिंचर) की 10-10 बूंदें दिन में तीन बार, भोजन से पहले लेनी चाहिए। इस दवा से मोटापा तेजी के साथ घटता है।

7. एमोन ब्रोम: मोटापे के साथ रोगी अथवा रोगी के सिर में दर्द भी हो, तो इसका 1ग अथवा 2ग शक्ति में करना चाहिये।

अन्य दवाएं: इन सब दवाओं के साथ ही बायोकेमिक दवाएं- कैल्केरिया फाॅस 12 गए साइलेशिया 12गए कालीफाॅस 6गए नेट्रम म्यूर 6गए काली म्यूर 6ग दवाओं की (सभी की) एक-एक गोली रोजाना तीन बार सादे पानी से लेनी चाहिए। एक माह तक, उक्त बायोकेमिक दवावों का सेवन करने के बाद ‘‘कैल्केरिया फाॅस 12 ग दवा बंद करके शेष दवाएं वजन घटने तक लेते रहना चाहिए। दवाओं एवं व्यायाम के साथ-साथ, समय-समय पर वजन भी लेते रहें।


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