आओ, कैंसर से लड़ें !

आओ, कैंसर से लड़ें !  

संजय लोढ़ा जैन
व्यूस : 3221 | आगस्त 2016

‘कैंसर’ सिर्फ नाम ही काफी है किसी को भी डराने के लिए। वर्षों पहले ‘कैंसर’ सिर्फ लाइलाज ही था किंतु आज इसका ईलाज है और वह भी सिर्फ मेडिकल द्वारा ही नहीं बल्कि कई सफल व सटीक आल्टरनेटिव थेरेपी के द्वारा भी, इन्हीं में षामिल है रेकी, रत्न/रुद्राक्ष थेरेपी एवं ‘मंत्र हीलिंग’ चिकित्सा। कहावत पुरानी है किंतु सही है, दुआओं का असर दवा से तेज होता है। ‘कैंसर’ को ठीक करने में आल्टरनेटिव थेरेपी की सबसे अच्छी बात है कि इसमें रोगी को कीमो थेरेपी जैसे अत्यंत कष्टमय दौर से नहीं गुजरना होता है, दूसरी अच्छी बात यह है कि सभी आल्टरनेटिव थेरेपी को एक साथ भी उपयोग में लिया जा सकता है, तीसरी अच्छी बात है कि इनका ‘साइड इफेक्ट’ नहीं होता है और सबसे अच्छी एवं चैथी बात है कि इसे दूर से भी, फोन से अथवा आॅनलाइन वीडियो के द्वारा किया जा सकता है अर्थात आप घर बैठे भी ईलाज करवा सकते हैं।

ज्योतिषीय नजर से देखें तो व्यक्ति की कुंडली के छठे व आठवें भाव से रोगों की स्थिति को देखा जाता है। यदि उपरोक्त भावों में क्रूर ग्रह है तो व्यक्ति अवष्य ही रोगी बनता है। हर ग्रह का षरीर के अलग-अलग अंगों पर अधिकार होता है। उससे हम यह जान सकते हंै कि षरीर के जिस हिस्से में रोग है वो हिस्सा किस ग्रह क्षेत्र में आता है। अतः हमें उस ग्रह से संबंधित उपाय करके रोग को दूर करना चाहिए, नीचे दिए गए चार्ट से इसको और बेहतर तरीके से समझें - उपरोक्त स्थिति- परिस्थिति में हमें संबंधित ग्रहों के रत्न, उपरत्न अथवा रुद्राक्ष को उचित सलाहानुसार विधिवत तरीकों से उचित मुहूर्त में धारण करना चाहिए, ऐसा करने से निष्चित ही लाभ प्राप्त होता है ।


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कैंसर जैसी बीमारियों के पीछे एक नहीं बल्कि अनेक ग्रहों का हाथ होता है जिसको समझकर ही आल्टरनेटिव थेरेपी का उपयोग करना होता है, वैसे मेलाकाईट एवं एमेथिस्ट हीलिंग रत्नों एवं सात, आठ व नौ मुखी रुद्राक्षों को धारण कर सामान्य लाभ कैंसर रोगी प्राप्त कर सकते हैं। इन थेरेपी में सबसे अधिक उपयोगी एक और थेरेपी है और वह है ‘ आध्यात्मिक मंत्र चिकित्सा ’ अर्थात ‘मंत्र हीलिंग’। बहुउपयोगी मंत्र हीलिंग करने वाले सिद्धगुरु देष में अत्यंत कम हैं किंतु एक बार रोगी को मंत्र हीलिंग प्राप्त होनी षुरु हो गई तो समझिए कैंसर जड़ से मिट सकता है।

मंत्र हीलिंग फोटो से, फोन पर अथवा आॅन लाईन भी हो सकती है, इसे सप्ताह में 2-3 बार करवाना आवष्यक होता है, एक हीलिंग सेषन का वक्त लगभग बीस मिनट का होता है, इसके आधा घंटे पहले एवं बाद कुछ भी खाना-पीना नहीं होता है।

इसे स्वयं उपस्थित होकर भी करवाया जा सकता है। मंत्र हीलिंग में किसी भी प्रकार की दवाई नहीं दी जाती है, इसमें सिर्फ हीलिंग जल दिया जाता है, हीलिंग रत्न एवं रुद्राक्षों का उपयोग किया जाता है एवं खाने-पीने का कुछ परहेज बताया जाता है। आवष्यकतानुसार रोगी को भी कुछ मंत्र दिए जाते हैं जिसे वह आराम की अवस्था में भी पढ़ सकता है। श्रद्धा और विष्वास के साथ ली गई हीलिंग/थेरेपी आपके लिए सचमुच वरदान सिद्ध होकर जीवनदायिनी बन सकती है।

ग्रह रोग

1. सूर्य - ह्नदय, नेत्र एवं उदर रोग

2. चंद्र - फेफड़ों के रोग, मानसिक व षारीरिक दुर्बलता, कफ, लगातार जुकाम

3. मंगल - जिगर के रोग एवं होंठ आदि का फटना

4. बुध - दांतों के रोग एवं स्नायु रोग

5. गुरु - गले से संबंधित रोग

6. षुक्र - सेक्स संबंधी एवं सांस संबंधी रोग

7. षनि - आकस्मिक दुर्घटना एवं आंखों के रोग

8. राहु - मानसिक रोग एवं क्षय रोग

9. केतु - मूत्र विकार, घुटनों व जोड़ों के दर्द


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