लाल किताब के चमत्कारी उपाय

लाल किताब के चमत्कारी उपाय  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 3649 | मार्च 2011

 

खुद इंसान की पेश न जाए, हुक्म विधाता होता है, सुख दौलत और सांस आखिरी, उम्र का फैसला होता है। बीमारी का इलाज है, मगर मौत का इलाज नहीं, दुनियाबी हिसाब-किताब है, कोई दावा-ए-खुदाई नहीं। अर्थात् भाग्य पर मनुष्य की पेश नहीं जाती, यह ईश्वर के अधीन है। ईश्वर ही मनुष्य को मिलने वाले सुख, धन व आयु का फैसला करता है। ज्योतिष द्वारा भविष्य को जाना जा सकता है और कट सकने वाले कष्टों को दूर किया जा सकता है लेकिन मृत्यु तुल्य कष्टों का कोई इलाज नहीं होता, उन्हें भोगना ही पड़ता है।


फ्री में लाल किताब प्राप्त करने के लिए क्लिक करें


ज्योतिष शास्त्र में भी अनेकानेक पद्धतियां प्रचलित हैं जैसे पराशर पद्धति, जैमिनी सूत्र, कृष्णामूर्ति पद्धति, लाल किताब, भृगु संहिता, रावण संहिता, नाड़ी शास्त्र, आदि। इन सभी पद्धतियों में पाराशर पद्धति सबसे अधिक प्रचलित व पूर्ण है लेकिन अन्य पद्धतियों में भी कोई न कोई विशेषता रहती है। ऐसे ही है लाल किताब एक है जो कि पाराशर पद्ध ति की ही देन है। इसकी सरलता व आम व्यक्ति के लिए उपयोगिता ने इसे अत्यधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। इसमें विशेष गणनाओं को हटाकर फलित में आवश्यक मूल सिद्धांतों को अपनाया गया है जिससे ज्योतिषी एक तो गणना में नहीं भटकता और दूसरे फलित में मुख्य उद्देश्य एवं सूत्र का उपयोग कर पाता है। इसके अतिरिक्त इस पद्धति में दिए गये उपाय बहुत ही सरल हैं जो आम व्यक्ति आराम से करके अपने कष्टों से छुटकारा प्राप्त कर सकता है। यही है लाल किताब के महत्वपूर्ण होने का राज। लाल किताब की रचना जालंधर के गांव फरवाला में रहने पं. रूपचंद जोशी जी ने सर्व प्रथम 1939 में ‘‘सामुद्रिक की लाल किताब को फरमान’’ के शीर्षक में छापकर की थी।

यह पुस्तक उस समय प्रचलित उर्दू-फारसी भाषा में रचित थी। इस पुस्तक का दूसरा संस्करण ‘‘सामुद्रिक की लाल किताब के अरमान’’ के नाम से 1940 में छपा। इसमें लिखा था कि ‘‘फरमान और अरमान दोनों एक ही नंबर के हैं इसलिए दोनों को इकट्ठा मिलाकर पढ़ें, इन शर्तों के बगैर पढ़ने से कोई मतलब हल न होगा।’’ इसके पश्चात 1941 में ‘‘’लाल किताब तीसरा हिस्सा (गुटका)’’ व 1942 में चतुर्थ संस्करण‘‘ इल्मे सामुद्रिक की लाल किताब’’ छपी। अंत में 10 वर्ष पश्चात 1952 में ‘‘लाल किताब’’ के शीर्षक से पांचवां तथा अंतिम संस्करण छपा। इन सभी संस्करणों के प्रकाशक श्री गिरधारी लाल जी थे। लाल किताब की सरलता के बारे में खुद जोशी जी ने लिखा है

ना 28 नक्षत्रों, न पंचांग गिनती, भुला राशि 12 को वह देती है। सिर्फ पक्के घर 12 आखिर लेती, ग्रह 9 से किस्मत बता देती है।

अर्थात् लाल किताब में नक्षत्र, पंचांग व राशि की गणना सभी को हटाकर 9 ग्रहों के केवल 12 घरों को ही मुख्य लिया गया है। लाल किताब द्वारा कुंडली बनाने के लिए प्रथम लग्न कुंडली का निर्माण किया जाता है। फिर लग्न राशि को बदलकर 1 लिख दिया जाता है।

कुंडली जैसे- ध्यान रहे कि लाल किताब कुंडली में जहां 4 लिखा है वह चैथे घर को दर्शाता है न कि कर्क राशि को। राशि नम्बर हटाकर खाना नम्बर लिखना इस बात का भी प्रतीक है कि लाल ॅ पद्धति में राशियों का अधिक महत्व नहीं है व घर का महत्व अत्यधिक है। वास्तव में पाराशर पद्धति में भी राशि को केवल ग्रह के बलाबल के लिए उपयोग में लाया गया है, फलित निर्णय तो ग्रह के भाव में प्रतिष्ठित होने के कारण ही होता है।

इसी प्रकार लाल किताब में दशा व गोचर आदि का भी उपयोग नहीं किया गया है। इसके लिए 35 साला चक्र का उपयोग बताया गया है जिसमें क्रमानुसार गुरु 6 साल, सूर्य-2 साल, चंद्र-1 साल, शुक्र-3 साल, मंगल-6 साल, बुध-2 साल, शनि-6 साल, राहू-6 साल व केतु-3 साल। लाल किताब में वर्षफल का विशेष महत्व है।

lal-kitab

वर्षफल कुंडली ताजिक पद्धति पर न होकर विशेष तालिका द्वारा बनाई जाती है जिसमें एक घर में स्थापित ग्रह दूसरे घर में स्थापित कर दिए जाते हैं। इस प्रकार वर्ष कुंडली में राहू-केतु का आमने-सामने रहना व बुध, शुक्र का सूर्य के पास रहना आवश्यक नहीं रह जाता। वे कहीं भी स्थापित हो सकते हैं। हर वर्ष का फल व उस वर्ष को शुभ बनाने हेतु उपाय बहुत ही प्रचलित हैं जिनको वर्षारंभ के 40 दिन के अंदर करना बताया गया है। लाल किताब में पूर्व जन्मकृत ऋणों का उल्लेख भी किया गया है। यह जन्म पिछले जन्म की कड़ी के रूप में जाना गया है। इस जन्म के कष्ट पिछले जन्मों के कृत्यों के कारण होते हैं। अतः विशेष उपाय पितृ आदि ऋण से छुटकारा दिलाकर हमारे पापों का क्षय करते हैं।

लाल किताब के निम्न उपाय बहुत प्रचलित है

सूर्य पानी में गुढ़ बहा दें गुरु केसर प्रयोग करें।
चंद्र दूध/ पानी सिराहने रखें सुबह पेड़ में डालें शुक्र गऊ दान या हरा चारा दान करें।
मंगल बद रेवड़ियां पानी में बहा दें। शनि तेल का छाया पात्र दान करें।
मंगल नेक मिठाई दान करें या पतीसा दरिया में डालें। राहू कोयला दरिया में डालें।
बुध सुराख वाले तांबे के पैसे दरिया में डालें। केतु कुत्तो को रोटियां डालें।

हर उपाय कम से कम 40 दिन व अधिक से अधिक 43 दिन करना चाहिए क्योंकि 28 नक्षत्र और 12 राशियों का योग भी 40 दिन होता है। उपाय पूरी अवधि तक करना होगा अन्यथा निष्फल होगा और दोबारा पूरी अवधि तक करना होगा। अगर उपाय बंद करना हो और फिर आरंभ करना हो तो चावल दूध से धोकर अपने पास रखें। लाल किताब के अनुसार कुंडली निर्माण, ग्रहों की अवस्था, दशा, फलादेश, ऋण व उपाय, वर्षफल एवं उपाय आदि सभी विस्तृत जानकारी फ्यूचर पाॅइंट द्वारा निर्मित लाल किताब के साॅफ्टवेयर में दी गई हैं। यह साॅफ्टवेयर, इंग्लिश, हिन्दी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल, बंगाली आदि भाषाओं में उपलब्ध हैं। इस साॅफ्टवेयर द्वारा ज्योतिषी गण इस विधा का पूर्ण लाभ उठा सकते हैं।


लाल किताब की बिस्तृत जानकारी के लिए हमारे ज्योतिष से संपर्क करें




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.