वर्तमान समय प्रतिस्पर्धा का समय है, नौकरी व व्यवसाय
दोनों ही आजीविका के माध्यम हैं। धन जीवन का एक
मुख्य उद्देश्य है। धन नौकरी या व्यवसाय द्वारा हम कमाते
हैं। किसी का व्यवसाय सहज ही फलित हो जाता है तो किसी
का काफी संघर्षरत रहने के बाद, किसी को पहले ही चांस में
नौकरी मिल जाती है, तो किसी को कई बार प्रयास करने के
बाद नौकरी मिलती है। यह सब भाग्य द्वारा ही शासित होता
है। जिस प्रकार सैकड़ों गायों के झुंड में भटका हुआ बछड़ा भी
भूख लगने पर ठीक अपनी माता को ढूँढ़ लेता है, ठीक ऐसे ही
हमारा भाग्य हमें ढूँढ़ लेता है और लिखे के अनुसार ही कर्म
करने पड़ते हैं। हस्तरेखाओं द्वारा भी भाग्य का यही दृष्टिकोण
देखा जाता है कि कौन से कार्य द्वारा जीवन कटेगा।
ऐसे ही निम्न प्रकार के योग हंै-
- यदि अनामिका का ऊपरी सिरा वर्गाकार हो तथा साथ ही
बुध पर्वत विकसित हो या बुध रेखा स्पष्ट हो तो ऐसे योग
वाला व्यक्ति सफल व्यवसायी होता है, उसका व्यापार
काफी फलता-फूलता है।
- यदि मणिबंध से निकलकर भाग्य रेखा सूर्य पर्वत की
ओर झुक जाये तो व्यक्ति को हमेशा बड़े पद, प्रसिद्धि
प्राप्त होती रहती है।
- यदि मणिबंध से आती हुई भाग्य रेखा हृदय रेखा पर
रूक जाती है तो ऐसे लोग भाई-बहन, बन्धु-बान्धव एवं
परिजनों में बहुत सम्मान पाते हंै। ऐसे व्यक्ति परिवार में
खर्च अधिक करते हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर यह स्वयं
तंगहाल हो जाते हैं, इनको भलाई कभी नहीं मिलती।
अपनों से बहुत ठेस पहुँचती है।
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- चन्द्र क्षेत्र से निकली हुई भाग्य रेखा यदि हृदय रेखा पर
समाप्त हो जाती है तो ऐसे योग वाला मनुष्य मोह में
पड़कर अपना भविष्य खराब कर लेता है। ऐसा व्यक्ति
लालच में आकर शीघ्र निर्णय लेता है और जल्दबाजी में
निर्णय ही उसकी बर्बादी का कारण बनता है।
- यदि हथेली में सूर्य और बुध पर्वत आपस में मिल जाए
अथवा हाथ में मस्तिष्क रेखा पर बुध व सूर्य रेखा मिल
गई हो तो ऐसे योग वाला प्रसिद्ध व्यापारी होता है।
कूटनीति के दम पर ये राजनीति में भी सफल होते हैं।
- यदि हथेली में शुक्र पर्वत विकसित और पुष्ट हो व उस पर
किसी भी प्रकार की कोई बाधक रेखाएँ या अशुभ चिह्न
नहीं हो या पुष्प तथा लालिमायुक्त शुक्र पर्वत पर वर्ग या
चिह्न हो तथा बुध पर्वत भी पूर्ण विकसित हो तो ऐसे योग
वाला व्यक्ति सफल व प्रसिद्ध ज्योतिषी होता है और अपने
ज्योतिष ज्ञान के कारण प्रसिद्धि व धन पाता है।
- यदि हथेली में मस्तिष्क रेखा के साथ-साथ बुध पर्वत पर
श्वेत बिन्दु हो और भाग्य रेखा पूर्ण विकसित हो अथवा
पूर्णतया लुप्त हो तो ऐसे योग वाला मनुष्य को जीवन
भर कभी पैसे की तंगी नहीं रहती और करोड़ों कमाता है।
- यदि हथेली में चंद्र पर्वत पूर्ण विकसित हो तथा उससे एक
सीधी व सरल रेखा बुध पर्वत की ओर जाती हो अथवा
उससे कोई सहायक रेखा निकलकर शनि, गुरु, शुक्र,
मंगल अथवा सूर्य पर्वत की ओर जाती हो तो ऐसे योग
वाले व्यक्ति द्वारा विदेशों मंे सफल व्यवसाय किया जाता है।
- यदि किसी मनुष्य के दोनों ही हाथों में पुष्ट व विकसित
भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारम्भ होकर शनि पर्वत तक
सीधी जाती हो तथा सूर्य पर्वत भी पूर्ण विकसित और
पुष्ट हो व सूर्य रेखा लम्बी, पतली और रक्तिम लालिमा
लिए हुए हो, इसके साथ जीवन रेखा पुष्ट और लम्बी
व पूर्ण विकसित हो,तो ऐसे योग वाला व्यक्ति साध्
ाारण परिवार में जन्म लेकर 36 वें वर्ष की आयु तक
बहुत मानी व धनी बन जाता है। प्रसिद्धि व यश उसके
अंग-संग रहता है, यहाँ तक कि मृत्यु के पश्चात भी
उसकी कीर्ति बनी रहती है।
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- यदि हथेली में भाग्य रेखा, सूर्य रेखा तथा बुध रेखा
तीनों ही मणिबंध से निकलती हो तथा सीधी, सरल
और स्पष्ट हो, तो ऐसे योग वाला व्यक्ति अतुल संपत्ति
का मालिक होता है। ऐसे व्यक्ति जीवन के प्रारंभिक
समय में अधिक परिश्रम करते हैं किन्तु बाद में सुख,
ऐश्वर्य का आनंद लेते हैं। ऐसा व्यक्ति प्रसिद्ध व दूसरों
की प्रेरणा का स्रोत होते हंै।
- जब भाग्य रेखा जीवन रेखा से निकलकर, शनि रेखा
पर पहुँचे और अन्य पर्वत भी कमजोर हो तब व्यक्ति
नौकरी से ही जीवन-यापन करता है और उसी में
प्रसन्न रहता है।
- यदि हाथ में मंगल पर्वत अपने स्वाभाविक रूप में
विकसित हो तथा मस्तिष्क रेखा तथा भाग्य रेखा पूर्ण
लम्बाई लिए हुए सीधी और स्पष्ट हो, तो ऐसे योग वाला
व्यक्ति मिलिट्री में या पुलिस में उच्च पद प्राप्त करता है।
ऐसे व्यक्ति को 28वें वर्ष की आयु के बाद विशेष सफलता
प्राप्त होती है।
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- यदि हथेली में भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारंभ होकर सीधी
शनि पर्वत तक पहुँचती हो तथा यह रेखा पतली,गहरी
स्पष्ट तथा बिना कटी-फटी हो और अपने उद्गम स्थान
पर मछली का आकार बनाती हो तो ऐसे योग वाला
व्यक्ति अपने भाग्य को स्वयं ही बनाता है, उसके अपने
उसका साथ नहीं देते लेकिन ऐसा व्यक्ति स्वयं ही अपनी
सफलता सिद्ध करता है।
- यदि शनि पर्वत पर चक्र का चिह्न दिखाई दे तो ऐसे योग
वाला व्यक्ति उच्च अधिकारी होता है।
- यदि हथेली के बीच का हिस्सा गहरा हो और सूर्य, गुरु
पर्वत उभरे हुए हों तो ऐसे योग वाले व्यक्ति के एक से
अधिक आय के स्रोत होते हैं।