खिलाड़ी बनने के योग

खिलाड़ी बनने के योग  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 4498 | दिसम्बर 2011

खिलाड़ी बनने के योग रश्मि चैधरी अभी हाल ही में सम्पन्न हुए क्रिकेट वल्र्ड-कप (2011) में भारत की शानदार जीत, खिलाड़ियों का अत्यधिक सम्मान, उनके लिए उत्कृष्ट पुरस्कारों की घोषणा एवं खिलाड़ियों पर हुई अतिशय धन वर्षा को देखते हुए लगभग प्रत्येक युवा अपनी आखों में एक सफल खिलाड़ी बनने का सपना संजो चुका है। लेकिन सफल खिलाड़ी वही बन सकता है जिसके कुंडली में खिलाड़ी बनने के पर्याप्त योग हों। सच्चे अर्थों में खिलाड़ी वह होता है जो जीत की भावना के साथ-साथ हार के लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहे। मूलतः यही खेल भावना है। कोई भी जातक तभी एक सफल खिलाड़ी बन सकता है, जब उसमें ऐसी खेल भावना को जाग्रत करने के लिए अत्यधिक बल तो हो ही, साथ ही उसकी जन्म पत्रिका में कुछ ऐसे विशिष्ट योग भी विद्यमान हों जो उसे खेल-जगत में शीर्ष स्थान तक जा सकें।

खिलाड़ी बनने लिए कतिपय ग्रह योग इस प्रकार है- प्रायः देखा गया है कि मेष, वृश्चिक (स्वामी-मंगल) कन्या, मिथुन (स्वामी-बुध) कर्क (स्वामी-चंद्र) तुला (स्वामी-शुक्र) एवं मकर, कुंभ (स्वामी-शनि) लग्नों के जातक खेल-जगत में अत्यंत सफल होते हैं। लग्न, तृतीय, पंचम, नवम्, दशम् तथा एकादश भाव एवं मंगल, बुध, गुरु, शनि, राहु ग्रह मुख्य रूप से खेलों से संबंधित हैं।

एक सफल खिलाड़ी बनने के लिए जन्म-पत्रिका में इन ग्रहों तथा भावों का बली एवं शुभ होना अत्यावश्यक है। मंगल पराक्रम एवं साहस प्रदान करता है, बुध मुख्य रूप में खेलों एवं प्रतियोगिता का कारक है। गुरु सही वक्त पर सही निर्णय लेने की क्षमता देता है, शनि एवं राहु ग्रह जातक को दृढ़विवेकी एवं कूटनीतिज्ञ बनाते हैं। जिसके द्वारा खेलों की उŸाम रणनीति बनाने की कला का विकास होता है। इन ग्रहों के अतिरिक्त सूर्य तथा चंद्र दो ऐसे महत्वपूर्ण ग्रह हैं जो एक खिलाड़ी का उŸाम स्वास्थ्य, शारीरिक सौष्ठव, तेज, आत्मिकबल एवं ओज प्रदान करके उसे खेल जगत में अत्यंत ख्याति एवं शौर्य दिलाते हैं।

तुला लग्न की कुंडली में मंगल स्वराशिस्थ या उच्चराशिस्थ होकर केंद्र भावों में स्थित हो अथवा दशमेश मंगल के नवांश में स्थित हो, तो जातक एक सफल खिलाड़ी बनकर अत्यधिक मान सम्मान अर्जित करता है तथा खेलों में नित नये कीर्तिमान स्थापित करता है। प्रस्ततु कुंडली महान क्रिकेटर एवं भूतपूर्व भारतीय कप्तान ‘कपिल देव’ की है। जिन्होंने क्रिकेट जगत में कीर्तिमान स्थापित किये। कुंडली मंे सप्तमेश मंगल स्वराशिस्थ होकर सप्तम भाव में स्थित होकर दशम (व्यवसाय भाव) लग्न भाव एवं द्वितीय भाव पर दृष्टि डाल रहा है।

दशमेश चंद्र भी मंगल नवांश में स्थित है तथा लग्न कुंभ है। फलस्वरूप कपिल देव जी ने क्रिकेट के क्षेत्र में अत्यंत नाम, प्रतिष्ठा एवं सम्मान, सफलता प्राप्ति की। कुंभ लग्न की कुंडली में शनि यदि ‘शश योग’ का निर्माण करे तथा मंगल एवं बुध भी शुभ स्थिति में हों, तो जातक ‘एथेलेटिक्स’ के क्षेत्र में अत्यंत सफलता प्राप्त करता है।

कपिलदेव की कुंडली गु. बु. 8 सू. श. 9 शु. 10 11 के. 12 मं. 1 2 3 4 5 रा. 6 चं. 7 अभी हाल ही में सम्पन्न हुए क्रिकेट वल्र्ड-कप (2011) में भारत की शानदार जीत, खिलाड़ियों का अत्यधिक सम्मान, उनके लिए उत्कृष्ट पुरस्कारों की घोषणा एवं खिलाड़ियों पर हुई अतिशय धन वर्षा को देखते हुए लगभग प्रत्येक युवा अपनी आखों में एक सफल खिलाड़ी बनने का सपना संजो चुका है। लेकिन सफल खिलाड़ी वही बन सकता है जिसके कुंडली में खिलाड़ी बनने के पर्याप्त योग हों। प्रस्तुत कुंडली प्रसिद्ध धाविका पी.टीऊष् ाा की है। कुंभ लग्न की कुंडली में शनि लग्नस्थ एवं स्वराशिस्थ होकर ‘शश योग’ का निर्माण कर रहा है।

तृतीय भाव में खेलों के कारक एवं पंचमेश बुध, पराक्रम के कारक एवं तृतीयेश मंगल एवं द्वितीयेश एवं लाभेश गुरु की युति ने तृतीय भाव को अत्यंत बली बना दिया है। स्वराशिस्थ मंगल की दशम भाव पर दृष्टि के कारण पी पी.टी. ऊषा की कुंडली टी. ऊषा ने खेल जगत को ही अपना व्यवसाय बनाया।

मंगल गुरु की तृतीय भाव में युति ने ही इनमें अदम्य साहस एवं शारीरिक शक्ति का संचार करके उन्हें प्रसिद्ध धाविका बनाया। मकर अथवा कन्या लग्न की कुंडली में मंगल उच्चस्थ हो, मंगल एवं शनि अपने नक्षत्रों में हों अथवा मंगल एवं शनि का किसी न किसी रूप में संबंध बने तो यह योग भी जातक को खेल जगत में शीर्ष तक पहुंचाने तथा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्ति कराने के एक उŸाम ग्रह योग हैं।

यह कुंडली सुप्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा की है। कुंडली में उच्चस्थ मंगल लग्न में मकर राशि में स्थित है। मंगल अपने ही नक्षत्र (धनिष्ठा) में तथा शनि भी स्वनक्षत्र (अनुराधा) में स्थित है। मंगल एवं शनि का राशि परिवर्तन योग भी बन रहा है।

दशम् भाव में स्थान बली सूर्य के साथ खेलों के कारक बुध एवं शुक्र की युति ने उनके शेष प्रदर्शन को कलात्मक शैली प्रदान की है। इन सभी ग्रह योगों ने सानिया मिर्जा को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाड़ी बनवाया। सानिया मिर्जा की कुंडली कर्क लग्न के जातक की कुंडली में यदि मंगल शनि की युति दशम् भाव में हो, मंगल स्वराशिस्थ या उच्च का हो तथा चंद्र भी उŸाम स्थिति में हो तो जातक बाॅक्सर बनता है अथवा जूड़ो-कराटे के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। यह कुंडली प्रसिद्ध मुक्केबाज मोहम्मद अली की है।

कर्क लग्न की कुंडली मंे मंगल शनि का योग बन रहा है। दशम् भाव में ही ‘रुचक योग’ का निर्माण भी हो रहा है। सप्तम भाव में स्थित चंद्र की लग्न भाव पर दृष्टि है।

सप्तम भाव में स्थित ‘चतुर ग्रही योग’ की संपूर्ण दृष्टि भी लग्न भाव पर पड़ रही है। लग्नेश, लग्न भाव, तृतीय भाव, तृतीयेश, पंचम भाव, पंचमेश भी अत्यंत बलवान मोहम्मद अली की कुंडली स्थिति में है। इन सभी ग्रह योगों ने जातक को बाॅक्सिंग (मुक्केबाजी) के क्षेत्र में अत्यंत सफलता दिलाई।



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