स्वास्थ्य संबंधी वास्तु टिप्स

स्वास्थ्य संबंधी वास्तु टिप्स  

दयानंद शास्त्री
व्यूस : 3883 | दिसम्बर 2014

मानसिक तनाव दूर करने के टिप्स आजकल हर किसी की जिंदगी भागदौड़ से भरी है। हर कोई इस तरह अपने काम में लगा हुआ है कि मानसिक शांति तो बिल्कुल ही नहीं है। किसी के भी पास अपने आप के लिए वक्त ही नहीं है। अगर आप मानसिक तनाव से मुक्ति चाहते हैं तो नीचे लिखे वास्तु प्रयोग जरूर अपनाएं। इनको अपनाने से आप खुद को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर महसूस करेंगे।

- रात में जूठे बर्तन न रखें।

- संध्या समय पर खाना न खाएं और न ही स्नान करें।

- शाम के समय घर में सुगंधित एवं पवित्र धुआं करें।

- दिन में एक बार चांदी के गिलास का पानी पियें। इससे क्रोध पर नियंत्रण होता है।

- शयन कक्ष में मदिरापान नहीं करें अन्यथा रोगी होने तथा डरावने सपनों का भय होता है।

- कंटीले पौधे घर में नहीं लगाएं।

- किचन में अग्नि और पानी साथ न रखें।

- अपने घर में चटकीले रंग नहीं करायें।

- घर में कोई रोगी हो तो एक कटोरी में केसर घोलकर उसे कमरे में रख दें। वह जल्दी स्वस्थ हो जाएगा।

- घर में ऐसी व्यवस्था करें कि वातावरण सुगंधित रहे। सुगंधित वातावरण से मन प्रसन्न रहता है।

स्वास्थ्य के लिए वास्तु टिप्स :

- सुबह उठकर पूर्व दिशा की सारी खिड़कियां खोल दें। उगते सूरज की किरणें सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती हैं। इससे पूरे घर के बैक्टीरिया एवं विषाणु नष्ट हो जाते हैं।

- दोपहर बाद सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से निकलने वाली ऊर्जा तरंगें सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह होती हैं। इनसे बचने के लिए सुबह ग्यारह बजे के बाद घर की दक्षिण दिशा स्थित खिड़कियों और दरवाजों पर भारी पर्दे डाल कर रखें क्योंकि ये किरणें त्वचा एवं कोशिकाओं को क्षति पहुंचाती हैं।

- रात को सोते समय ध्यान दें कि आपका सिर कभी भी उत्तर एवं पैर दक्षिण दिशा में न हो अन्यथा सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

- गर्भवती स्त्रियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी अवस्था में पूर्वोत्तर दिशा या ईशान कोण में बेडरूम नहीं रखना चाहिए। इसके कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

- नवजात शिशुओं के लिए घर के पूर्व एवं पूर्वोत्तर के कमरे सर्वश्रेष्ठ होते हैं। सोते समय बच्चे का सिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

- हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों को दक्षिण-पूर्व में बेडरूम नहीं बनाना चाहिए। यह दिशा अग्नि से प्रभावित होती है और यहां रहने से ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।

- बेडरूम हमेशा खुला और हवादार होना चाहिए। ऐसा न होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव एवं नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।

- वास्तुशास्त्र की दृष्टि से दीवारों पर सीलन होना नकारात्मक स्थिति मानी जाती है। ऐसे स्थान पर लंबे समय तक रहने से श्वांस एवं त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

- परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को हमेशा नैर्ऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे में रहना चाहिए। यहां रहने से उनका तन-मन स्वस्थ रहता है।

- किचन में अपने कुकिंग रेंज अथवा गैस स्टोव को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि खाना बनाते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे।

यदि खाना बनाते समय गृहिणी का मुख उत्तर दिशा में हो तो वह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एवं थायरॉइड से प्रभावित हो सकती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन बनाने से बचें। गृहिणी के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी तरह पश्चिम दिशा में मुख करके खाना बनाने से आंख, नाक, कान एवं गले से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।

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