ज्योतिष हस्तरेखा व कैंसर रोग

ज्योतिष हस्तरेखा व कैंसर रोग  

भारती आनंद
व्यूस : 9433 | सितम्बर 2010

ज्योतिष, हस्त रेखा व कैंसर भारती आनंद सुखद, सुंदर और स्वस्थ शरीर की कामना प्रत्येक व्यक्ति करता है। परंतु अपने पूर्व जन्मों के कर्मों, अपनी जन्मपत्री और हस्त रेखाओं में लिखे रोगों, दुखों और कष्टों को भोगना ही पड़ता है। यदि हम हस्त रेखाओं और ज्योतिष के द्वारा इनका पूर्वानुमान लगा लें तो संभावित रोगों से बचाव के उपाय कर सकते हैं। फिर चाहे वह कैंसर जैसा भयानक रोग ही क्यों न हो। क्या है कैंसर? शरीर विज्ञान के अनुसार मानव शरीर के अंगों की रचना कोशिकाओं से होती है। शरीर में इन कोशिकाओं का टूटना व बनना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इन कोशिकाओं को बनाने में पानी और खून का योगदान होता है। एक अच्छे स्वास्थ्य वाले जातक के शरीर में 70 से 75 प्रतिशत जल रहता है। किसी कारण से यदि पानी और खून के प्रवाह में रूकावट आ जाती है तो इसका प्रभाव कोशिकाओं पर पड़ता है।

जिस मात्रा में कोशिकाएं बनती हैं उतनी मात्रा में वह नष्ट नहीं होती जिसकी वजह से कोशिकायें असामान्य व अनियंत्रित गति से विभाजित होने लगती हैं साथ ही कोशिकायें रक्त प्रवाह और लसिका तंत्र के जरिये शरीर के कई भागों में जाकर एक स्थान पर कोशिकाओं का निर्माण अपने ढंग से करती है। कोशिकाओं के बढ़ने की गति गुणात्मक होने पर कम समय में कई गुणा बढ़ जाती है। जिसके कारण उस स्थान पर कोशिकाओं का घनत्व बढ़ जाता है तथा शरीर में एच. बी. का स्तर कम होने लगता है और जातक की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इस प्रकार शरीर इस बीमारी की गिरफ्त में आ जाता है और जातक को मृत्यु के कागार तक ले जाता है। आइये हम इसका ज्योतिषिय दृष्टिकोण से संक्षिप्त विश्लेषण करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर किन-किन ग्रहों की युति, व किस प्रकार से ग्रहों की स्थिति होने पर जातक को यह भयानक रोग जकड़ लेता है। लग्न का स्वामी छटे घर में हो, चंद्र और शनि यदि लग्न में हो एवं मारक राशि की महादशा या प्रत्यंतर दशा हो तो उस वक्त जातक की इस रोग से मृत्यु भी हो सकती है।

लग्न पर पाप ग्रहों की खराब दृष्टि का होना व लग्नेश छटे, आठवें व बारहवें घर में आ जाये या इसके बिल्कुल विपरीत बारहवें, आठवें व छटे घर के स्वामी का लग्न में स्थित होना। मुखयतः यह रोग चंद्र व मंगल के कमजोर होने से भी होता है इसलिए यदि चंद्र और मंगल को पाप ग्रह घेर लें जैसे चंद्र+राहु, मंगल+शुक्र या शुक्र+चंद्र और यह ग्रह आठवें या छटे घर में बैठे हों तो इस प्रकार का भयावह रोग होता है। पाप ग्रहों की दृष्टि जिस घर पर हो उस घर से संबंधित अंगो पर कैंसर का प्रभाव बनता है। गुरु का किसी भी स्थान पर पाप ग्रहों से युक्त होना भी लीवर कैंसर की संभावना बनाता है। छटे घर का स्वामी पाप ग्रहो के साथ बैठकर जिस घर में बैठता है उस घर के अंग पर कैंसर हो सकता है। यदि आप की राशि का नक्षत्र स्वामी भी यदि छटे आठवे या बारहवें घर में बैठा हो तो भी इस रोग की संभावना बन जाती है। लग्न यदि स्वग्रही न होकर पूर्ण अस्त हो जाये और वह पाप ग्रहों के साथ बैठा हो तो भी इस भयानक रोग के कीटाणु जातक को डसते हैं। पाप ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा व प्रत्यंतर्दशा में भी इस रोग का आगमन हो सकता है। मंगल, केतु, शनि के मारक, छटे या बारहवें घर में होने से भी कैंसर होता है। इस प्रकार से हजारों ऐसे लक्षण हैं जिससे इसके होने की संभावना या इस कैंसर रोग के बारे में पता लगता है। तो आइए अब हम हस्तरेखाओं के मिलान द्वारा भी इस रोग के बारे में चर्चा करें।

यदि हम हस्तरेखाओं एवं ज्योतिष द्वारा किसी व्यक्ति विशेष का अवलोकन करते हैं तो इसका परिणाम हमें बहुत अच्छा मिलता है।

1. यदि व्यक्ति का हाथ दिन प्रतिदिन पतला हो रहा है और हाथ की सारी रेखाएं उभर कर मोटे रूप से नजर आ रही हों तो, हमें फौरन सावधान हो जाना चाहिए और समझ जाना चाहिए कि भयानक रोग हमें घेर रहा है और समय रहते ही सारी 'मेडिकल' जांच फटाफट करा लेनी चाहिए।

2. यदि भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास हो और वह मोटी हो रही हो, भाग्य रेखा को राहु रेखाएं घेर रही हों, हृदय रेखा शनि के नीचे से टूट रही हो तो यह कैंसर रोग का लक्षण भी माना जाता है।

3. भाग्य रेखा मिटी हुई सी हो, जीवन रेखा जंजीराकार हो व जीवन रेखा टूटी हुई हो, मस्तिष्क रेखा के ऊपर यव बनते हों, हाथ सखत व पीला हो तो यह कैंसर के रोग को दर्शाता है।

4. शनि पर्वत पर रेखा छिन्न भिन्न हो और हृदय रेखा या तो मोटी हो या टूटी हो व अंगुलियां तिरछी होने पर भी इस रोग की संभावना होती है।

5. अंगुलियां बहुत अधिक लंबी व पतली हों, हाथ बिल्कुल मांसल न हो, हाथ में बहुत ही कम रेखाएं हो तो यह भी इस रोग का भविष्य तय करता है।

6. भाग्य रेखा, जीवन रेखा दोनो ही टूट-टूट कर चलती हों, भाग्य रेखा को मोटी-मोटी रेखाएं काट रही हों तो यह लक्षण भी इस रोग की तरफ इशारा करते हैं।

7. यदि चंद्र क्षेत्र पर तिल हो और वहां पर रेखाओं का जाल बन रहा हो- यह क्षेत्र हल्का दबाने पर अगर बहुत ज्यादा दब जाता हो व चंद्र क्षेत्र ज्यादा उभार लिए हुए यदि न हो तो यह भी कैंसर को इंगित करता है।

8. मंगल क्षेत्र पर यदि बहुत अधिक रेखाएं हो व मंगल पर तारे का चिह्न, तिल, व वहां से जीवन रेखा का टूटा होना भी इस रोग की संभावना की ओर इशारा करता है।

9. यदि मंगल क्षेत्र पर मंगल रेखा टूट-टूट कर चलती हो, वहां पर मत्स्य का चिह्न एवं मस्तिष्क रेखा को मंगल क्षेत्र से आकर रेखाएं काटती हों और हाथ का रंग पीला हो, नाखूनों में सफेदी हो तो भी यह इस रोग की संभावना दर्शाता है।

10. यदि हाथ में सभी ग्रह दब रहे हों हाथ लकड़ी सा सखत, अंगूठा कम खुलता हो, मंगल रेखा, जीवन रेखा टूटी-फूटी हो तो भी कैंसर हो सकता है। यदि इस प्रकार के लक्षण किसी के भी हाथ में हों तो फौरन देर न करें मेडिकल हेल्प के साथ-साथ कुछ ज्योतिषीय उपाय भी कर लें।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.