श्रीसूक्त की साधना देती है संपूर्ण समृद्धि नीरज शर्मा वैसे तो धन वृद्धि के लिए अनेक उपाय, मंत्र इत्यादि होते हैं परंतु श्री सूक्त में भगवती लक्ष्मी मां की विशेषतम् कृपा है जिसके पाठ से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ‘‘श्री’’ की प्राप्ति होती है तथा मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के सहित घर में निवास करती हैं। दीपावली पर श्रीसूक्त साधना: भारतीय पर्वों में दीपावली सबसे महŸवपूर्ण व बड़ा पर्व है। समंुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी का प्राकट्य इसी दिन हुआ था। त्रेता युग में भगवान श्रीराम चैदह वर्ष के वनवास के पश्चात् इसी दिन अयोध्या लौटे थे। दीपावली का पर्व धन त्रयोदशी (धन तेरस) से ही प्रारंभ हो जाता है अतः इसी दिन से श्रीसूक्त की साधना आरंभ करें। सर्वप्रथम प्रातःकाल स्नानादि से निवृŸा होकर श्रीयंत्र, जो कि स्फटिक से निर्मित हो, लें। संभव न हो तो चंादी या ताम्रपत्र पर बना हुआ भी ले सकते हैं। दीपक की बŸाी: लक्ष्मी, गणेश एवं हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए लाल रंग के वस्त्र से बनी ..... घी डालकर, ग्रहों के लिए कपास से बनी बŸाी का प्रयोग करना चाहिए। यम द्वितीया तक उपर्युक्त विधि से नियमित दीपदान एवं महालक्ष्मी पूजन करने से श्री गणेश एवं महालक्ष्मी तथ सभी ग्रहों की पूर्ण कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है। उनके प्रसाद से हमारे घर में सदैव धन समृद्धि, खुशहाली तथा ऐश्वर्य आदि की कभी भी कोई कमी नहीं रहती है। पता: गीता मंदिर कालोनी, गोविंद नगर, कोटद्वार (उŸाराखण्ड)-246149 श्री यंत्र का गाय के कच्चे दूध एवं गंगाजल से अभिषेक करें तथा अपने पूजा स्थल पर स्वच्छ लाल वस्त्र पर स्थापित करें तथा लाल-पुष्प चढ़ाएं, फिर धूप, दीपक आदि समर्पित करें तथा ‘‘हरिः ऊँ’’ का दीर्घउच्चारण करके श्रीसूक्त का पाठ करें एवं धन-तेरस से भैया दूज तक नित्य प्रातः-सांय दोनों समय नियमित पाठ करें। दीपावली वाले दिन भी लक्ष्मी, गणेश के साथ श्री यंत्र को पूजन में रखें तथा श्री सूक्त का पाठ करके नैवेद्य आदि अर्पित करें। दीपावली पर्व के उपरांत भी श्रीसूक्त का पाठ सदैव करते रहें। यदि एकाग्रता, निष्ठा कुशलता व पूर्ण समर्पण भाव से श्रीसूक्त का पाठ करेंगे तो निश्चित ही माॅ लक्ष्मी की विशेष कृपा तथा सच्ची समृद्धि प्राप्त होगी।