औद्योगिक वास्तु पं. जयप्रकाश शर्मा, लाल धागे वाले प्रकृति द्वारा प्रदत्त पंचमहाभूत जिस प्रकार हमारे लिए उपयोगी हैं उसी प्रकार पर्यावरण के लिए भी उपयोगी हैं। पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है। जिस प्रकार हमारा शरीर अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश से मिलकर बना है, उसी प्रकार खेती-बाड़ी वनस्पति, पौधों व वृक्षों के सर्वागीण विकास के लिए भी इन पंचमहाभूतों की आवश्यकता है। मनुष्य शरीर को विशुद्ध वायु और जल की आवश्यकता होती है। वृक्षों और पौधों को वास्तु में उचित महत्व देने से हमें प्रकृति के साथ रहने का आनंद प्राप्त होता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में प्रत्येक वृक्ष का दिशानुसार शुभाशुभ फल दिया हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी राशि व नक्षत्र के अनुरूप वृक्षारोपण करना चाहिए। किस नक्षत्र, राशि व ग्रह से कौन सा वृक्ष संबंधित है इसे निम्न तालिकाओं से जानें।