विश्वकप-2011

विश्वकप-2011  

सुधांशु निर्भय
व्यूस : 7624 | मार्च 2011

विश्व कप -2011 : ज्योतिषीय विवेचन सुधांशु निर्भव क्रिकेट का महाकुंभ एक बार फिर भारतीय उपमहाद्वीप में लगने जा रहा है। विश्वक्रिकेट की शीर्ष टीमें इसमें भाग लेने की अपनी-अपनी तैयारियों में व्यस्त हैं। इस महाकुंभ की शुरूआत 19 फरवरी को मीरपुर (बांग्लादेश) से होगी जबकि मेजबान देश भारत एवं बांग्लादेश पहला मैच खेलेंगे। समापन-02 अप्रैल को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में फाइनल मैच के साथ होगा। सौरव गांगुली के नेतृत्व में भारतीय टीम 2003 का फाइनल मैच हार गयी थी। तब से निरंतर प्रगतिमान होते हुए भी विश्व कप में अंतिम विजय हमें अब तक तरसा रही है। भारत के क्रिकेट शहंशाह एवं विश्व क्रिकेट के भगवान मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की दिली खवाहिश है कि टीम का हिस्सा बने रहते हुए भारत उनकी मौजूदगी में विश्व कप जीते। आइए, ज्योतिषीय तथ्यों के साथ इस विषयगत संभावनाओं का विवेचन करते हैं। 19 दिसंबर 1928 को मुंबई के रोशन आरा क्लब में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की स्थापना की गयी। चूंकि बीसी. सी. आई का जन्म लग्न एवं चंद्र लग्न दोनों एक ही हैं, अतः शनि का इस पर विशेष प्रभाव है जो गोचर में अष्टमस्थ एवं द्वितीय भावस्थ गुरु से समसप्तक है। विश्वकप के समय मंगल प्रायः लग्न पर ही गोचर करेगा। मई 2010 से चंद्रमा की महादशा शुरू हो चुकी है।

मार्च 2011 तक चंद्रान्तर उपरांत अक्तूबर 2011 तक भौमान्तर रहेगा। कुंडली विज्ञान के अनुसार विश्व कप 2011 में भारतीय संभावनाएं सर्वांगीण रूप से प्रबल हैं। और अधिक सटीक भविष्यकथन के लिए हम अन्य कुंडलियों पर भी विचार किए लेते हैं। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, का जन्म 7 जुलाई 81 को रांची (झारखंड) में हुआ। उनके जन्मांग एवं गोचरीय ग्रह स्थिति से अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि विश्व कप 2011 में परिश्रम से निश्चित सफलता के योग बन रहे हैं। इन्हें अपनी दंभी प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना चाहिए। सितंबर 2011 तक राहु महादशा में बुधांतर्दशा इनके लिए अनुकूल एवं शुभ फलकारक हैं। इन्हें हाथी को केले खिलाने चाहिए जिससे समस्त विघ्न शांत हों और विजय प्राप्त हो। क्रिकेट के भगवान, मास्टर ब्लास्टर आधुनिक ब्रैडमैन जैसी जाने कितनी उपाधियों से विभूषित सचिन का जन्मांग उनके इस व्यक्तित्व को सार्थक सिद्ध करता है। वर्तमान में 'इन्हें' राहु की महादशा में सूर्यान्तर्दशा चल रही है। अच्छे फल प्रदान करने वाला ग्रह गोचर, दशा, अंतर्दशाएं भारत के खाते में स्वर्णिम सफलताएं अंकित करा सकती हैं। सचिन भारत को इस विश्वकप के दौरान सर्वाधिक महान टीम के रूप में श्रेय दिला सकते हैं। शुरूआती मैंचो से ही इनका जादू क्रिकेट प्रिय जनता के सिर चढ़कर बोलेगा। ये भारत के विजय अभियान की एक मजबूत नींव रहेंगे। 20 अक्तूबर 1978 को नजफगढ़ (दिल्ली) में जन्मे युवा बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के ग्रह गोचर मजबूत दिखाई दे रहे हैं।

वर्तमान में इन्हें गुरु की महादशा में बुधांतर है जो कि विपरीत राजयोग निर्मित कर सफलता प्रदान कर रहा है। 22 मार्च के उपरांत इनके तूफान को रोक पाना किसी भी टीम एवं गेंदबाज के लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा। क्वार्टर फाइनल में ये पहले से भी अधिक अक्रामक नजर आएंगे। वर्तमान में इनको एकाग्रता की कमी से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में ये पन्ना जरूर धारण करें। मध्यम क्रम के उम्दा पेशेवर खिलाड़ी श्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक युवराज सिंह के सितारे उदय होना शुरू हो रहे हैं। 12 दिसंबर 1981 को जन्मे युवराज की इस समय राहु की दशा एवं उसमें शनि की अंतर्दशा चल रही है। लग्नेश की दशा का शुभ फल इन्हें अवश्य प्राप्त होगा। इन्हें जिद्दी स्वभाव को एक बल्लेबाज के ऊपर चढ़ाना होगा। आक्रामक शैली इनके साथ जुड़ी अपेक्षाओं को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगी। इन्हें विश्वकप से पूर्व रुद्राभिषेक अवश्य कराना चाहिए एवं नीलम या सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक सिद्ध होगा। ''भज्जी के नाम से मशहूर गेंदबाज हर भजन सिंह भी इस विश्वकप के दौरान कहीं भी पीछे नहीं दिखेंगे। 3 जुलाई 1980 को जालंधर में जन्में हर भजन को वर्तमान में शनि की महादशा में चंद्रांतर्दशा चल रही है। शनि के घर में चंद्र की स्थिति एवं उस पर शनि की दृष्टि इस दशा की शुभता को स्वमेव सिद्ध कर रही है। इसके प्रभाव से इन्हें सफलता निश्चित ही मिलेगी।

अनुकूल गोचर भी इनके प्रभाव को और अधिक बढ़ाएगा। भारत के युवा एवं अनुभवी तेज गेंदबाज जहीर खान की गेदों में विविधता एवं आक्रामकता इस विश्व कप में बढ़ी हुइ चंरानजर आएगी। 7 अक्तूबर 1978 को श्रीरामपुर (महाराष्ट्र) में जन्में ज़हिर खान का गोचर सर्वाधिक अनुकूल दिखाई दे रहा है। भारत के विजय अभियान में जहीर एक मजबूत स्तंभ सिद्ध होते जा रहे हैं। शुक्र की महादशा में गुरु का अंतर पुनः गुरु एवं शनि का अनुकूल गोचर निसंदेह इन्हें सफल टीम का सफलतम गेंदबाज बनाने जा रहा है। विश्व कप में इनका कहर बल्लेबाजों पर टूटना तय है। 12 अगस्त 1983 को भरूच (गुजरात) में जन्में मुनाफ पटेल को इस विश्व कप में खुद को सिद्ध करने का एक अच्छा अवसर प्राप्त होने जा रहा है। अनुकूल गोचर, वहीं लग्नेश में उच्चस्थ राहु की दशा इन्हें मारक प्रभाव वाला गेंदबाज सिद्ध करती है। अवसर प्राप्त होने पर इन्हें अपने आत्मविश्वास एवं टीम को सफलता की प्राप्ति होगी। महत्वपूर्ण मैचों में इन्हें अवश्य खिलाया जाना चाहिए। इनका उपयोग टीम के लिए लाभदायी सिद्ध होगा। आइए अब स्वतंत्र भारत की कुंडली पर भी चर्चा कर लेते हैं। स्वतंत्र भारत के जन्मांग का गोचर अनुकूल है।

मार्च के तृतीय सप्ताह से और अधिक अनुकूल होने जा रहा है। वर्तमान में मंगल की दशा में सूर्यान्तदर्शा 26 मार्च 2011 तक है। उपरांत चंद्रान्तर प्रभावी रहेगा। दशाक्रम भी पूर्ण अनुकूल है। चंद्रांतर शुभता को और बढ़ाने वाला रहेगा। भारत की वर्ष लग्न की स्थिति भी देश के लिए अनुकूल फलदायक सिद्ध हो रही है। ग्रह गोचर एवं दशा अंतर्दशा को देखकर तो लगता है कि भारत को विश्वकप अपने नाम कर लेना ही चाहिए। भारत के लोग मैंचो पर गौर करें तो भारत आसानी से क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करेगा। 23-24-25 मार्च 2011 को होने वाले पहले तीन क्वार्टर फाइनल में से किसी एक में भारत को खेलने को मिलता है तो भारत की सेमीफाइनल की टिकट 100 प्रतिशत पक्की हो जाएगी। जहां तक सेमी फाइनल मैचों की बात है तो भारत को पहला सेमीफाइनल खेलने को मिल जाए तो आसानी से विजय मिलेगी जबकि दूसरे सेमीफाइनल में संघर्ष से सफलता की उम्मीद है। फाइनल मैच भारत के लिए एकतरफा सिद्ध होगा। विजयी होना सुनिश्चित है। क्रिकेट बोर्ड चयन में पक्षपात एवं दुराग्रह ना रखते हुए एक सर्वश्रेष्ठ टीम विश्वकप के लिए चुने।

कप्तान धोनी अपने स्वयं के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें। शीत संक्रमण संभाव्य है। एवं उद्घाटन मैच में विशेष ध्यान रणनीति से खेलें। पहला ही मैच संघर्षपूर्ण सिद्ध होगा। कुल मिलाकर सूरत-ए-हाल यह है कि भारत इस विश्वकप को प्रबल संभावनाओं के साथ पाने में कामयाब हो सकता है। राष्ट्र की सफलता की श्रृंखलाओं में एक और कीर्तिमान बनने की संभावना है। थोड़ा अन्य टीमों पर भी विचार करें तो मेरे हिसाब से न्यूजीलैंड, श्रीलंका दो टीमें सर्वश्रेष्ठ परिणाम की ओर जाती दिख रही है। इंग्लैंड की संभावनाएं भी अच्छी बन रही हैं। आस्ट्रेलिया-पाकिस्तान व दक्षिण अक्रीका को कोई उल्लेखनीय सफलता मिलती नहीं दिख रही है। बंग्लादेश लीग मैचों में कुछ अप्रत्याशित करने के फिराक में है। लेकिन मंजिल कोसों दूर है। कुल मिलाकर सूरत-ए-हाल यह है कि भारत इस विश्वकप को प्रबल संभावनाओं के साथ पाने में कामयाब हो सकता है। राष्ट्र की सफलता की श्रृंखलाओं में एक और कीर्तिमान बनने की संभावना है।



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