ड्राॅइंग रूम भवन का वह स्थान
है जहां पारिवारिक,
सामाजिक, व्यापारिक, आर्थिक क्षेत्र
से जुड़े लोग आकर बैठते हैं, आपस
में बातचीत करते हैं। वास्तुशास्त्र में
भवन का उत्तर का क्षेत्र ड्राॅइंग रूम
बनाने के लिए प्रशस्त माना गया है।
उत्तर दिशा का स्वामी ग्रह बुध तथा
देवता कुबेर है। बुध बाणी से संबंधित
ग्रह है तथा कुबेर धन का देवता है।
वाणी को प्रिय को प्रिय, मधुर एवं
संतुलित बनाने में बुध हमारी सहायता
करता है। वाणी यदि मीठी और
संतुलित हो तो वह व्यक्ति पर प्रभाव
डालती है और दो व्यक्तियों में जुड़ाव
पैदा करती है। यह जुड़ाव व्यक्तियों से
विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ाता
है। विचारों के आदान-प्रदान से ज्ञान
का क्षेत्र बढ़ता है। ज्ञान का क्षेत्र बढ़ने
से जानकारी ज्यादा होती है और कर्म
क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। यदि
व्यक्ति अपने कर्म क्षेत्र में सफल होता
है तो उसे संतुष्टि मिलती है। वाणी का
काम कम्यूनिकेशन का है। इसी
कम्यूनिकेशन से संपर्क सूत्र बनते हैं
और इन संकर्प सूत्रों से व्यक्ति अपने
काम आसानी से कर सकता है। अतः
उत्तर दिशा में ड्राॅइंग रूम बनाने स
और वहां बैठकर बातचीत करने से
विभिन्न क्षेत्रों में संबंध बनाने में सहायता
मिलती है जिसके परिणामस्वरूप
व्यक्ति अपने लक्ष्य को आसानी से
प्राप्त कर सकता है।
वर्तमान समय में प्लाट छोटे होने लगे
हैं, ज्यादातर जनसंख्या बहुमंजिले
फ्लैटों में रहती है। ड्राॅइंग रूम भवन
का वह स्थान है जिसका उपयोग
सर्वाधिक किया जाता है। अगर इस
कक्ष को उत्तर दिशा में बनाया जाए
और वह वास्तुसम्मत हो तो व्यक्ति
जीवन में चैमुखी प्रगति कर सकता
है।