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वर्गीय कुंडली पढ़ने के नियम (1 व्यूस)

होरा कुंडली: होरा कुंडली से सुख संपत्ति एवं वैभव का विचार किया जाता है। चंद्र के होरा के स्वामी पितृ और सूर्य के होरा के स्वामी देवियां होती हैं।
द्रेष्काण कुंडली: इसके द्वारा जातक के जीवन में सफलता और जीवन पथ का आंकलन बहुत अच्छा होता है। जीवन यात्रा के प्रारंभ के समय उदित द्रेष्काण के परिणाम उनकी आकृति, कार्य प्रणाली और प्रकृति के अनसार आंके जाते हैं।
चतुर्थांश कुंडली: इसके द्वारा जातक के सुख साधन और भोग विलास का आंकलन किया जाता है।
सप्तमांश कुंडली: इसके द्वारा पुत्र, पौत्र और पौत्री संतान का विचार किया जाता है।
नवमांश कुंडली: इसके द्वारा जातक की पत्नी/पति का विचार करते हैं। पारिवारिक सुख-दुःख में भी नवमांश कुंडली की सहायता ली जाती है। जातक के अपने जीवन साथी से मानसिक तारतम्य का अनुमान कुंडली के लग्न/चंद्र और नवमांश कुंडली के लग्न/चंद्र के बीच संबंध के आधार पर किया जाता है।
दशमांश कुंडली: इसके द्वारा जातक की आजीविका, पदोन्नति, कर्म एवं अधिकार का विचार किया जाता है। द्वादशांश कुंडली: इसके द्वारा जातक के माता-पिता के साथ संबंध व उनका जातक के जीवन में सुख का विचार किया जाता है।
त्रिशांश कुंडली: इसके द्वारा जातक के जीवन में घटने वाली अप्रिय घटनाएं तथा स्त्री के चरित्र का विचार किया जाता है।


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