आगामी विडियोज़ देखें

आगामी क्लिप्स देखने के लिए, फ्यूचर समाचार के ऑनलाइन सदस्य बने

रुद्राक्ष के प्रकार और महत्व (1 व्यूस)

आम तौर पर १ मुखी से लेकर २७ मुखी तक के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। इन्ही मुखों के अनुसार उनका वर्गीकरण किया जाता है। दो रुद्राक्ष एक दूसरे से जुड़े होने पर इन्हें गौरीशंकर (रुद्राक्ष) कहा जाता है। अर्थात शिव एवं पार्वती का संयुक्त रूप हैं। रुद्राक्ष पर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करके धारण करना चाहिए तथा शिवलिंग से स्पर्श कराकर धारण करना चाहिए। शिवलिंग से स्पर्श कराने पर रुद्राक्ष का शक्ति कमल दल के समान खुल जाता है। जो रुद्राक्ष धारण करने वालों को अत्यन्त लाभ पहुंचाता है। रुद्राक्ष को पूजा घर में रखना अत्यंत लाभदायक है।

आप इसे श्रद्धा विश्वास एवं विधिपूर्वक धारण करें, आपका जीवन सर्वतोमुखी विकाश की ओर अग्रसर होगा। नहीं तो इसे पूजा घर में रखकर श्रद्धा पूर्वक पूजन करें, आपकी भाग्योन्नती तत्काल शुरू हो जाएगी। रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व इन्हें अभिमंत्रित करना आवश्यक है। तत्पश्चात ही रुद्राक्ष शक्तियां जागृत होकर विशेष शुभ हो जाते है। रुद्राक्ष सिद्ध व अभिमंत्रित होने के बाद जब धारण किए जाते है तो धारक के सभी दु:खों का हरण करते है। रुद्राक्ष धारण करते समय कम से कम एक माला शिव मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। यह जाप ११ माला तक किया जा सकता है। साथ ही मंत्र जाप के साथ प्रत्येक रुद्राक्ष के विशेष देव का पूजन, दर्शन भी करना चाहिए। आईये आपको कुछ रुद्राक्षों की उपयोगिता के विषय में बताते है। जैसे-

एक मुखी रुद्राक्ष - सूर्य शुभता के लिए एकमुखी रुद्राक्ष बड़ा उत्तम एवं पवित्र होता है। एक मुखी रुद्राक्ष बड़े ही भाग्यशाली को मिलता है। इसके दर्शन मात्र से ही सभी पापो से छुटकारा मिलता हैं और धारण करने से सम्पूर्ण अनिष्ट दूर होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। एक मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ होता है।

दो मुखी रुद्राक्ष - चंद्र दोष दूर करने के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है। दो मुखी रुद्राक्ष को शिव और पार्वती का स्वरुप माना गया है। इसको धारण करने से घोर हत्या के पाप का नाश होता है। यह चित् की एकाग्रता, मानसिक शांति, आध्यात्मिक शांति तथा कुण्डलिनी जाग्रत करने के लिए अचूक है। दो मुखी रुद्राक्ष भी अत्यंत दुर्लभ होता है। शिव और शक्ति की उपासना करने वाले को यह अवश्य पहनना चाहिए।

तीन मुखी रुद्राक्ष- तीन मुखी रुद्राक्ष मंगल शान्ति के लिए धारण किया जाता है। इस रुद्राक्ष को ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का स्वरूप माना जाता है। जन्म पत्री में मांगलिक योग की अशुभता भी इस रुद्राक्ष को धारण करने से दूर होती है। यह रुद्राक्ष मंगल दोष का निवारण करने में भी महत्व भूमिका निभाता है।

इसी प्रकार अन्य रुद्राक्षों के महत्व, धारण विधि, मंत्र एवं देव की जानकारी इसमें विस्तार से दी गई है।


ज्योतिष में संपूर्ण ज्ञान होते हुए भी तबतक वह अधूरा है जबतक कि उसके उपाय न मालूम हो। यह ठीक उसी तरह ...देखे

आप ज्योतिष क्षेत्र में रूचि रखते हैं लेकिन सीखने का माध्यम अभी तक प्राप्त नहीं हुआ था या ज्योतिष में...देखे

रुद्राक्ष को भगवान शिव का अश्रु कहा गया है। शास्त्रों में रुद्राक्ष सिद्धिदायकए पापनाशकए पुण्यवर्धकए...देखे

put right adv here

अपने विचार व्यक्त करें

blog comments powered by Disqus