रूद्राक्ष का नाम आते ही भगवान शिव की प्रतिमा आंखों के आगे आ जाती है। हजारों वर्ष तपस्या करने के बाद जब शिवजी ने आंखें खोली तो उनकी आंखों से जो अश्रु पृथ्वी पर गिरे उनसे रूद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। रूद्राक्ष की माला धारण करने से अनेक रोगों में लाभ होता है। रूद्राक्ष के उभरे दानों पर एक से इक्कीस तक रेखाऐं खिंची होती है। यही रूद्राक्ष का मुख कहलाती है। एक मुखी रूद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ है। पांच और छः मुखी रूद्राक्ष आम तौर पर मिल जाते हैं। माला भी पांच मुखी रूद्राक्ष की ही बनाई जाती है। दूसरे रूद्राक्ष अकेले ही पहने जाते हैं। रूद्राक्ष का प्रभाव इनके मुखभेद के अनुसार होता है। रूद्राक्ष की माला धारण करने से मनुष्य शरीर की विद्युत शक्ति नियमित होती है। इससे उच्च रक्तचाप और हार्ट के रोगियों को लाभ पहुंचता है। इसे धारण करने से शारीरिक उन्माद, अकाल मृत्यु, भूत प्रेत बाधा, ग्रह बाधा इत्यादि रूक जाते हैं। काल सर्प योग से पीड़ित व्यक्तियों को इसके धारण करने से लाभ होता है। रूद्राक्ष की माला पर ¬ नमः शिवाय का जप करने से कई गुणा अधिक लाभ होता है। रूद्राक्ष धारण करने से व नित्य प्रति पूजा व दर्शन करने से घर में धन धान्य की वृद्धि होती है। इसे धारण करने वाला अंतकाल में शिव सायुज्य मुक्ति को प्राप्त करता है अर्थात शिव लोक को जाता है।
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