योग का अर्थ है ग्रहों का आपस में सम्बन्ध। ग्रहों को दो प्रकार से जाना जाता है। जैसे सूर्य, चन्द्रमा, मंगल आदि। दूसरे कुंडली में भाव का स्वामी होने के कारण जैसे लग्नेश, द्वितीयेश, पंचमेश आदि। इसलिए योग भी दो प्रकार के होते हैं। ग्रहों के आपसी सम्बन्ध के कारण जैसे युति, एक-दूसरे से 2/12 होना, केन्द्र या त्रिकोण में होना। इससे ग्रहों के फल में अन्तर पड़ता है। भावाधिपति होना, जैसे केन्द्रेश तथा त्रिकोणेश का सम्बन्ध आदि।
व्यूस : 1ज्योतिष के स्तम्भविनय गर्गज्योतिष का आधार निम्नलिखित चार तथ्यों पर आधारित है। यदि इन तथ्यों को भली भांति समझ लिया जाय तो ज्...देखे
Members Onlyव्यूस : 1नक्षत्रविनय गर्गनक्षत्रों की कुल संख्या 27 होती है। एक भचक्र का 27वां भाग एक नक्षत्र कहलाता है। 27 नक्षत्रों को य...देखे
Members Onlyव्यूस : 1ग्रहो की विशेषतायेंविनय गर्गग्रहों का प्रभाव जातक के ऊपर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। चाहे वह दशा के रूप में हो या लग्न या ...देखे
Members Onlyव्यूस : 1ग्रहों के नैसर्गिक गुणविनय गर्ग सभी ग्रह किसी न किसी कारक का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे सूर्य - पिता, राजा, मान-सम्मा...देखे
Members Onlyव्यूस : 1ग्रहो की अवस्थाविनय गर्गग्रह का शुभ और अशुभ होना उनके नैसर्गिक गुण और राशि स्वामित्व पर निर्भर करता है कि वह किस भाव का स...देखे
ज्योतिष उपायज्योतिष में संपूर्ण ज्ञान होते हुए भी तबतक वह अधूरा है जबतक कि उसके उपाय न मालूम हो। यह ठीक उसी तरह ...देखे
प्रारंभिक ज्योतिषआप ज्योतिष क्षेत्र में रूचि रखते हैं लेकिन सीखने का माध्यम अभी तक प्राप्त नहीं हुआ था या ज्योतिष में...देखे
रुद्राक्षरुद्राक्ष को भगवान शिव का अश्रु कहा गया है। शास्त्रों में रुद्राक्ष सिद्धिदायकए पापनाशकए पुण्यवर्धकए...देखे
सनातन धर्म और अध्यात्मज्योतिष पूर्णत: वैज्ञानिक हैं। ज्योतिष मानव कल्याण का एक बहुत बड़ा साधन हैं। इसका प्रयोग कर व्यक्ति स...देखे