आगामी विडियोज़ देखें

आगामी क्लिप्स देखने के लिए, फ्यूचर समाचार के ऑनलाइन सदस्य बने

ग्रहो के सम्बन्ध (1 व्यूस)

ग्रहों के चार प्रकार के सम्बन्ध माने गए हैं। कुछ आचार्यों ने पांच प्रकार के सम्बन्ध भी कहे हैं।
दो ग्रहों में परस्पर राशि परिवर्तन का योग हो, अर्थात् ‘क’ ग्रह ‘ख’ ग्रह की राशि में बैठा हो और ‘ख’ ग्रह ‘क’ ग्रह की राशि में बैठा हो तो यह अति उत्तम सम्बन्ध होता है।
जब दो ग्रह परस्पर एक-दूसरे को देख रहे हों अर्थात् ‘क’ ग्रह ‘ख’ ग्रह को देख रहा हो और ‘ख’ ग्रह ‘क’ ग्रह को देख रहा हो तो यह मध्यम सम्बन्ध माना जाता है।
दोनों ग्रहों में से एक ग्रह दूसरे की राशि में बैठा हो और दोनों एक-दूसरे को देखता हो तो यह तीसरा सम्बन्ध माना जाता है।
दोनों ग्रह एक ही राशि में संयुक्त होकर बैठे हों तो यह चैथे प्रकार का सम्बन्ध होता है और अधम कहा गया है। जब दो ग्रह एक-दूसरे से त्रिकोण (पांचवें-नवें) स्थान पर स्थित हों तो यह मतान्तर से पांचवां सम्बन्ध होता है। ग्रहों का दृष्टि चक्र
ग्रह सूर्य चंद्र मंगल बुध गुरु शुक्र शनि राहु/केतु (मतांतर से) दृष्टियां 7 7 4, 7, 8 7 5, 7, 9 7 3, 7, 10 5, 7, 9


ज्योतिष में संपूर्ण ज्ञान होते हुए भी तबतक वह अधूरा है जबतक कि उसके उपाय न मालूम हो। यह ठीक उसी तरह ...देखे

आप ज्योतिष क्षेत्र में रूचि रखते हैं लेकिन सीखने का माध्यम अभी तक प्राप्त नहीं हुआ था या ज्योतिष में...देखे

रुद्राक्ष को भगवान शिव का अश्रु कहा गया है। शास्त्रों में रुद्राक्ष सिद्धिदायकए पापनाशकए पुण्यवर्धकए...देखे

put right adv here

अपने विचार व्यक्त करें

blog comments powered by Disqus