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गौरी शंकर, गौरी गणेश रुद्राक्ष और कवच (1 व्यूस)

रुद्राक्ष का जन्म भगवान शिव के अश्रुओं से हुआ है। रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के सभी कष्टों का नाश रुद्राक्ष करता है। इसके अतिरिक्त रुद्राक्ष से नौं ग्रहों के दोष दूर होते है। एक मुखी रुद्राक्ष सूर्य, दो मुखी चंद्र, तीन मुखी मंगल, चार मुखी बुध इसी क्रम में शेष अन्य ….. ग्रहों के दोष रुद्राक्ष दूर करता है। विशेष रूप से १ से १५ मुखी रुद्राक्ष सरलता से उपलब्ध हो जाते है जिसके कारण विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाते है। रुद्राक्ष न केवल शारीरिक कष्ट दूर करते है। बल्कि इन्हें मानसिक कष्ट तथा गंभीर रोगों की चिकित्सा हेतु भी इन्हें धारण किया जाता है। वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष विशेष रूप से धारण किया जाता है। यह रुद्राक्ष स्वास्थ्य सुख हेतु भी धारण किया जाता है। गौरी गणॆशः रुद्राक्ष योग्य संतान प्राप्ति हेतु धारण किया जाता है। तथा गणेश रुद्राक्ष व्यापार, दुर्घटना व सुख शांति प्रदायक रुद्राक्ष है। विशेष स्थिति में समयानुसार रुद्राक्ष कवच भी धारण किये जाते है। जैसे- धन बढ़ाने के लिए धन प्रदायक कवच, बुद्धि व शिक्षा के लिए विद्या बुद्धि प्रदायक कवच इसी प्रकार अन्य अनेक समस्याओं का रुद्राक्ष कवच रूप में धारण किया जाता है। मनोवांछित मनोकामना प्राप्ति के लिए भी कवच धारण किए जा सकते है। यदि किसी व्यक्ति विशेष को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आ रही हो तो उसे आरोग्यदायक कवच धारण करने से लाभ प्राप्त हो सकता है। कवच क्योंकि एक से अधिक रुद्राक्षों से मिलकर बना होता है। इसलिए इससे प्राप्त होने वाले लाभ भी एक से अधिक और विशेष उद्देश्यों से जुड़े होते है। आरोग्यदायक कवच में सूर्य,चंद्र, मंगल और गुरु के रुद्राक्ष से मिलकर बने होता है। इसी क्रम में विद्या प्रदायक कवच पन्ना, ४ मुखी रुद्राक्ष, ६ मुखी रुद्राक्ष से मिलकर बना होता है। धन, सुख प्रदायक कवच, कालसर्प कवच, शनि कवच इत्यादि का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।

रुद्राक्ष और अन्य उपयोग

उच्च रक्तचाप में विशेष उपयोगी।

सर्प रोग, क्षय रोग, कुष्ट रोग और कैंसर रोग में उपयोगी होता है।

रुद्राक्ष को जल में भिगोकर रखें तथा कुछ समय बाद इस जल का सेवन करें। यह स्वास्थ्यवर्धक उपाय है।

रुद्राक्ष को तकिये में रखकर सोने से दु:स्वप्न नहीं आते है।

जुकाम, कफ, एलर्जी में भी यह लाभकारी सिद्ध होता है।


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