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जन्म लग्न अनुसार रुद्राक्ष धारण (1 व्यूस)

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने के लिए जन्म लग्न का उपयोग सर्वाधिक प्रचलित है। रुद्राक्ष धारण करना एक सरल एवं सहज उपाय है। साथ ही रुद्राक्ष धारण का कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं होता हैए यह किसी न किसी रूप में जातक को लाभ ही प्रदान करता है। क्योंकि रुद्राक्ष पर ग्रहों के साथ साथ देवताओं का वास माना जाता है। कुंडली में त्रिकोण अर्थात लग्नए पंचम एवं नवम भाव सर्वाधिक बलशाली माना गया है। लग्न अर्थात जीवनए आयुष्य एवं आरोग्यए पंचम अर्थात बलए बुद्धिए विद्या एवं प्रसिद्धिए नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म। अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह कभी अशुभ फल नहीं देतेए अशुभ स्थान पर रहने पर भी मदद ही करते हैं । इसलिए इनके रत्न धारण करना सर्वाधिक शुभ है।इसके विपरीत अन्य भावों को इन भावों की तुलना में विशेष शुभ भाव नहीं माना जाता है। अतरू इन भावों के स्वामियों का रत्न धारण न करके रुद्राक्ष धारण किया जाता है। आईयें आपको विभिन्न लग्नों के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना शुभ रहेगा आपको बताते हैं.

मेष. आपके लग्न के लिए 3 मुखी रुद्राक्ष स्वास्थवर्धक हो सकता है। गुरु द्वादषेष होने के कारण पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना समृद्धि कारक होगा। बुधए शुक्र व शनि इस लग्न के लिए बाधाकारक हैं अतः इन ग्रहों के लिए रत्न धारण न कर 4 मुखीए 6 मुखी व 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना श्रेष्ठ है।

वृष. वृष लग्न के लिए अष्टमेष गुरु एवं द्वादषेष मंगल के अशुभ प्रभाव से मुक्ति हेतु 5 मुखी एवं 3 मुखी रूद्राक्ष धारण करें। सूर्य व चन्द्रमा भी इस लग्न के लिए बाधाकारक है इसलिए इनके लिए भी 1 मुखी व 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। शनिए शुक्र व बुध भी यदि छठेए आठवें या बारहवें स्थान पर आ जाते हैं तो रत्न की अपेक्षा 7ए 6 व 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना ही श्रेष्ठ है।

मिथुन. मिथुन लग्न के लिए शुक्र द्वादषेष व शनि अष्टमेष भी है इसलिए इनका पूर्ण फल प्राप्त करने हेतु 4 मुखी रुद्राक्ष भी साथ में धारण करेंगे तो पूर्ण फल प्राप्त होता है। सूर्यए चन्द्रमा व मंगल की शुभता के लिए एकए दो व तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें। गुरु के केन्द्राधिपति दोष के कारण गुरु का रत्न पुखराज अशुभ फलदाई होता है अतः गुरु के शुभ फल हेतु रुद्राक्ष माला या पंचमुखी माला या पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करें।

कर्क. कर्क लग्न के लिए गुरु के षष्ठेश होने के अषुभ प्रभाव को कम करने हेतु साथ में पंचमुखी रुद्राक्ष भी धारण करना चाहिए। शनिए बुधए शुक्र इस लग्न के लिए अकारक हैं तथा सूर्य में मारक प्रभाव है अतः इनके लिए 7ए 4ए 6 व 1 मुखी रुद्राक्ष धारण करना ही बेहतर होगा।

इसी प्रकार अन्य लग्नों के लिए रुद्राक्ष धारण करना शुभ सिद्ध हो सकता है।


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