विभिन्न लग्न के व्यक्तियों के लिए अलग अलग रुद्राक्ष सर्वोत्तम फलदायक रहते है। जैसे- तुला लग्न के लिए रुद्राक्ष में अष्टमेष शुक्र व षष्ठेष बुध के लिए 6 व 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। सूर्य, चन्द्र, मंगल व गुरु इस लग्न के लिए अकारक हैं अतः इनके लिए रत्न की अपेक्षा 1, 2, 3 व 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यदि शुक्र, शनि व बुध अशुभ भाव में बैठे हों तो रत्न की अपेक्षा 6, 7 व 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना ही उचित होगा। वृश्चिक- वृश्चिक लग्न के लिए मंगल के षष्ठेष होने के अशुभ प्रभाव से मुक्ति हेतु 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। अकारक शनि, शुक्र व बुध के लिए 7, 6 व 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यदि सूर्य, चन्द्र एवं गुरु अशुभ भाव में स्थित हों तो इनके लिए 1, 2 व 5 मुखी रुद्राक्ष ही धारण करें। धनु- धनु लग्न के लिए मंगल द्वादषेष भी है इसलिए 3 मुखी रुद्राक्ष पहनना भी आवश्यक है। अष्टमेष चन्द्रमा के लिए 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। अकारक शुक्र, बुध व शनि के लिए 6, 4 व 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभत्व देता है। यदि सूर्य, मंगल व गुरु अशुभ भाव में बैठे हों तो इनके लिए 1, 3 व 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करें
मकर- मकर लग्न के लिए सूर्य, चन्द्र, मंगल व गुरु इस लग्न के लिए हैं अशुभ अतः 1, 2, 3 व 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यदि बुध, शुक्र व शनि अशुभ भाव में स्थित हों तो इनके लिए भी रत्न की अपेक्षा 4, 6 व 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
कुम्भ- कुम्भ लग्न के लिए शनि, शुक्र व बुध योगकारक हैं अतः नीलम, हीरा व पन्ना धारण करें। शनि द्वादषेष भी है और बुध भी अष्टमेष का दोष होने से ग्रसित है इसलिए रत्नों के साथ 7 व 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। सूर्य, चन्द्र, मंगल व गुरु अकारक हैं अतः इनका शुभ प्रभाव प्राप्त करने के लिए 1, 2, 3 व 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यदि बुध, शुक्र व शनि अशुभ भाव में स्थित हों तो इनके लिए भी रत्न की अपेक्षा 4, 6 व 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
मीन- मीन लग्न के लिए शुक्र, बुध व शनि अशुभ हैं अतः इनके लिए 4, 6, व 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। चन्द्र, मंगल व गुरु कारक हैं अतः इनके लिए मोती, मूंगा व पुखराज धारण करें। अशुभ भाव में स्थित होने की स्थिति में रत्न की अपेक्षा 2, 3 व 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ रहेगा। षष्ठेष सूर्य का शुभ प्रभाव प्राप्त करने के लिए 1 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यदि सभी ग्रह नीच राषिस्थ, शत्रु राषिस्थ या नीच नवांश में स्थित होकर अशुभ भावों में स्थित हों तो इनकी शुभता हेतु 1 से 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यदि कुण्डली में अधिकांश ग्रह उच्च राशिस्थ, स्वराशिस्थ या वर्गोत्तमी होकर शुभ भाव में बैठे हों तो सभी ग्रहों के रत्न धारण किये जा सकते हैं।