मोटापा और ग्रह

मोटापा और ग्रह  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 21660 | मई 2017
कहा जाता है कि मोटापे का कारण वंशानुगत होता है अर्थात मोटे व्यक्ति को अपना मोटापा अपने पूर्वजों से डी.एन.ए. के फलस्वरुप प्राप्त होता है। मोटापे का कारण सिर्फ हमारी खान-पान संबंधी आदतें या फिर सुस्त जीवन शैली ही नहीं है अपितु वंशानुगत शारीरिक बनावट और आंतरिक स्वभाव भी है जिसे हम ज्योतिष द्वारा भी जान सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में माता-पिता की कुंडली और संतान की कुंडली परस्पर समानताएं रखती हैं जिसके कारण कुंडली में कालसर्प योग, पितृ दोष और अन्य अनेक योग संतान की कुंडली में जन्म लेते हैं। यही कारण है कि पंचम भाव (संतान भाव) को पूर्व पुण्य भाव भी कहा जाता है और पूर्व पुण्य बालक को अपने माता-पिता से डी.एन.ए. के रुप में प्राप्त होते हैं कौन सा ग्रह हमें मोटापा दे रहा है और कौन सा उपाय हमारे लिए सटीक रहेगा इसकी जानकारी मोटापे से मुक्ति में सहायक सिद्ध हो सकती है।

मोटापे का कारण हम ज्योतिष से समझना चाहें तो हमें 9 ग्रहों का विश्लेषण करना होगा। इन नौ ग्रहों में से गुरु मोटापे का मुख्य कारक वह है। ग्रहों के अतिरिक्त, कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभती है। आईये जानें कि ग्रहों का मोटापे में किस प्रकार का संबंध है -

बृहस्पति: गुरु (बृहस्पति) ग्रह वजन बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। वह बृहस्पति ग्रह ही है जो हमारे शरीर में वसा को बनाए रखता है। इसी के कारण मोटापा, अत्यधिक खाने की आदत और पेट मोटा होता है। अगर बृहस्पति जन्म कुंडली में शुभ भाव का स्वामी होकर, शुभ भाव में स्थित है, तो मोटापे से जुड़ी चिंताएं बढ़ाता है, लेकिन जन्म कुंड्ली में गुरु की स्थिति इसके विपरीत होने पर काफी हद तक मोटापा नियंत्रण में रहता है।

शुक्र: शुक्र सभी प्रकार के मीठे पदार्थों और स्टार्च तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। यह खाने की आदतों को बढ़ाता है। हर तरह के खाने का स्वाद लेने का स्वभाव देता है। इसका सीधा प्रभाव वजन को तेजी से बढ़ाता है परन्तु ऐसा व्यक्ति मोटा होने पर भी सुंदर होता है। मोटापे के कारण उसका शरीर बेडौल नहीं होता है।

मंगल: मंगल ग्रह ऊर्जा, जीवन शक्ति और इच्छा शक्ति का प्रतीक ग्रह है। सभी खिलाड़ी, एथलेटिक्स, सैनिक और मजबूत कद-काठी के व्यक्ति इसी ग्रह से प्रभावित है। किसी भी स्थिति में शीघ्र कार्यवाही करना और चरम सीमा तक सहनशक्ति मंगल ग्रह देता है। मंगल का मजबूत होना मोटापे को व्यक्ति से दूर रखने में सहयोग करता है।

चंद्र: चंद्र ग्रह भी मोटापे का मूल कारण है। चंद्रमा की स्थिति शरीर में जल का निर्धारण करती है। जिसके कारण शरीर में पेट का निकलना और वजन में वृद्धि होती है। यह शरीर में सारे द्रवों (तरल) का भी कारक है।

शनि: शनि ग्रह विषाक्त पदार्थों को जमा करने की प्रवृत्ति को नियंत्रित करता है और वजन घटाने के कारणों का विस्तार करता है। शरीर में विषाक्त पदार्थों का बढ़ना व्यक्ति को सुस्त बनाता है और कई रोगों के जन्म का कारण भी बनता है।

बुध: बुध ग्रह से पीड़ित व्यक्ति को मोटापा अपने प्रभाव में लेता तो अवश्य है परन्तु व्यक्ति इसे प्रयास द्वारा कम करने की क्षमता भी रखता है। यह व्यक्ति में वजन को सहज कोशिशों से घटाने का गुण देता है।

सूर्य: सूर्य ग्रह वजन कम करने की प्रवृत्ति देता है।

ग्रहों की युति और स्थिति किस प्रकार मोटापे को प्रभावित करती है, कुछ ऐसे योगों की जानकारी यहां दी जा रही है -

यदि बृहस्पति जन्मपत्रिका में अस्त या वक्री हो तो पाचन तंत्र के विकारों के कारण मोटापा होता है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु लग्न भाव को पंचम, सप्तम या नवम दृष्टि से देखते है उन व्यक्तियों को मोटापे की समस्या का ज्यादा सामना करना पड़ता है।

  • जिनका लग्न स्वामी बृहस्पति होता है उनका शरीर विशाल होता है। वे खाने के शौकीन होते हैं लेकिन तामसी भोजन (मांस-मदिरा) की जगह मीठा और नमकीन ज्यादा पसंद होता है।
  • यदि कुंडली में बृहस्पति खराब हो या बुरे भाव का स्वामी होकर उच्च स्थित हो तो वजन तेजी से बढ़ता है।
  • जब-जब गोचर में बृहस्पति लग्न, लग्नेश तथा चंद्र लग्न को देखते हैं तो वजन बढने लगता है।
  • यदि लग्न में जलीय राशि जैसे- कर्क, वृश्चिक या मीन हो, इनके स्वामी शुभ हो या लग्न में जलीय प्रकृति का ग्रह हो तो शरीर पर मोटापा बढ़ता है।
  • यदि चंद्र 1, 5 वें या 9 वें भाव में है, तो वसा की मात्रा शरीर में अधिक रहती है।
  • यदि चंद्र मजबूत और सकारात्मक है, तो व्यक्ति मोटा तो होता है परन्तु फुर्तीला होता है।
  • चंद्र और शुक्र से अत्यधिक प्रभावित व्यक्तियों की वसा जल्द बढ़ जाती है, ये दोनों ग्रह वसा में वृद्धि करते हैं, लेकिन ये आकर्षण में कमी नहीं करते है। ये ग्रह व्यक्ति के फूले हुए गाल, साफ त्वचा और चेहरे में कोमलता देते हैं।
  • जब बृहस्पति नीच राशि में हों तब व्यक्ति में चर्बी कम रहती है।
  • इसके अलावा यदि चंद्रग्रहण का जन्म हो तो भी व्यक्ति अत्यधिक मोटा या पतला हो सकता है। पूर्णिमा के दिन जन्में जातक अक्सर मोटे होते हैं जबकि अमावस्या के दिन जन्में पतले।
  • यदि चंद्रमा, शुक्र व बृहस्पति मजबूत हों तो व्यक्ति विवाह के बाद मोटा होता है। परन्तु शुक्र कमजोर हो तो व्यक्ति विवाहोपरांत कमजोर हो जाता है।
  • वैसे तो राहू जातक को पतला रखता है लेकिन यदि साथ में बृहस्पति हों तो जातक के मोटा होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं क्योंकि बृहस्पति भूख बढ़ाता है और राहू अनाप-शनाप, तैलीय व तामसी प्रवृति के गरिष्ठ भोजन करने की ओर प्रेरित करता है जिससे मोटा होने के आसार बढ़ जाते हैं।

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प्रथम: लग्न भाव में हों तो व्यक्ति का शरीर विशालकाल और वसायुक्त, मोटा होता है। परन्तु यदि लग्न भाव में गुरु अस्त और कई ग्रहों से पीड़ित होगा तो शरीर में वसा की कमी होगी।

द्वितीय: दूसरे भाव में हो या दूसरे भाव को देखें तो व्यक्ति को भूख अधिक लगती है।

तृतीय: तीसरे भाव में हो या तीसरे भाव को देखें तो व्यक्ति मीठे की अपेक्षा नमकीन खाना पसंद करता है और मोटापे का असर उसपर नहीं के बराबर होता है।

चतुर्थ: चतुर्थ भाव में हो तो शरीर फिट और सुडौल होता है। ऐसे व्यक्ति सहज प्रयास से ही अपने मोटापे पर नियंत्रण रखने में सफल होते हैं।

पांचवा: पंचम भाव में हो तो व्यक्ति का वजन तेजी के साथ बढ़ता है।

छठवां: छठे भाव में हो तो व्यक्ति सुडौल और फिट होता है। वसा का प्रभाव ऐसे व्यक्ति पर कम ही पड़ता है। (अमित स्पोर्ट)

सातवां: सातवें भाव में हो तो व्यक्ति का शरीर जल्द मोटा होने की प्रवृति रखता है क्योंकि इस भाव से गुरु लग्न भाव पर प्रभाव डालता है। यदि इस भाव में गुरु वक्री अवस्था में हो तो व्यक्ति पर मोटापे का प्रभाव बहुत कम होता है।

आठवां: आठवें भाव में हो तो व्यक्ति दुबला पतला रहता है।

नवम्: नवम भाव में हो तो व्यक्ति का मोटापा नियंत्रण से बाहर रहता है।

दशम्: दशम भाव में हो तो व्यक्ति पर मोटापा अपना असर जल्दी नहीं दिखा पाता है।

ग्यारहवां: एकादश भाव में हो तो व्यक्ति मोटापा मुक्त होता है।

बारहवां: द्वादश भाव में हो तो व्यक्ति को मोटा नहीं होने देता है।

मोटापे को दूर करने के लिए हम अनेक औषधियों, व्यायाम व भोजन पर नियंत्रण करने के कोशिश करते हैं। कुछ अति सरल उपाय जो आपके मोटापे को दूर करने में अत्यधिक सहायक हो सकते हैं, वे निम्न हैं:-

  1. प्रातः उठते ही 1-2 गिलास गुनगुने पानी में नींबू व शहद डालकर पीएं।
  2. जब भी पानी पीएं, गुनगुना ही पीएं। इससे शरीर में विषाक्त पदार्थ शीघ्र घुलकर शरीर से बाहर आ जाते है।
  3. खाने के बाद आधा घंटे तक पानी न पीएं।
  4. पानी सदा बैठकर ही पीएं।
  5. पानी में अदरक उबालकर पीएं।
  6. शहरी सांस ले और इसे लंबा बाहर निकालें जैसे बहुत सारी मोमबत्तियां बुझा रहे हों। सांस पूरी निकालने के बाद भी पुनः सांस बाहर निकालने की कोशिश करें जैसे- कुछ बची मोमबत्तियों को बुझा रहे हों। ऐसा दिन में ३ बार अवश्य करें।
  7. 30-40 मिनट प्रतिदिन टहलें।
  8. जो ग्रह कारक या कमजोर है उस ग्रह के वार का उपवास रखें।
  9. ्रतिदिन 4 पत्ते तुलसी का सेवन करें।
  10. ग्रीन टी का उपयोग विशेष लाभकारी है।

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