कैसा रहेगा योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल

कैसा रहेगा योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल  

रमेश शास्त्री
व्यूस : 3608 | मई 2017

उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव पर उत्तर प्रदेश के लोगों की ही नहीं अपितु पूरे देश के लोगों की निगाहें टीकी थीं। इस बार 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा का उत्तरप्रदेश में 14 वर्षों से चल रहा वनवास समाप्त हुआ तथा उसे चुनावों में बड़ी ऐतिहासिक जीत मिली। श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को भारी विजय प्राप्त हुई।

उसके बाद इस बात पर सभी की नजर थी कि उत्तर प्रदेश की गद्दी किसे सौंपी जायेगी? कई दिनों के विचार मंथन के बाद गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ के नाम पर मोहर लगी तथा उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उस समय की शपथकालीन कुंडली के अनुसार कैसा रहेगा उनका कार्यकाल? इस संबंध में यह ज्योतिषीय विश्लेषण प्रस्तुत है: शपथकालीन चर लग्न होने से यह सरकार तेज गति से अपने कार्यों का संचालन करेगी। लग्नेश बुद्धि स्थान में स्थिर राशि में होने से योगी जी जो भी निर्णय लेंगे वह सोच समझकर योजनाबद्ध तरीके से लेंगे।


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पराक्रम भाव में भाग्येश बृहस्पति होने से तथा उस पर नवम भाव से तीन ग्रहों की दृष्टि होने से यह नई सरकार अपने पराक्रम से ऐसे निर्णय लेगी जिसकी लोगों ने कभी कल्पना भी न की होगी तथा कठोर परिश्रम करने से भी पीछे नहीं हटेगी। कुंडली में स्त्रियों का कारक ग्रह शुक्र अपनी उच्च राशि में त्रिकोण भाव में स्थित है जिसके फलस्वरूप ये महिलाओं के प्रति अपराध, अत्याचार के मामलों में गंभीरतापूर्वक सख्त कार्यवाही करने में भी पीछे नहीं हटेंगे। कर्मेश मंगल अपनी मूलत्रिकोण राशि में, कर्म भाव में स्थित होने से अत्यंत शुभ स्थिति में है जिसके कारण यह सरकार पूर्ण ईमानदारीपूर्वक त्वरित गति से सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में सफल होगी।

धर्म भाव का स्वामी बृहस्पति ग्रह धर्म भाव को देख रहा है तथा धर्म भाव में उच्चस्थ शुक्र होने से राम मंदिर बनने का विवादित मसला हल हो सकता है। हालांकि इस भाव में व्ययेश बुध तथा द्वितीयेश सूर्य के होने से अधिक आसानी से यह विवाद हल नहीं होगा, लेकिन दोनों पक्ष अगर कुछ उदारता दिखाएं तो आपसी बातचीत से मसला सुलझ सकता है। षष्ठ भाव में शनि की स्थिति के कारण यह सरकार अपने विरोधियों पर भारी रहेगी। विरोधियों के राजनैतिक षड्यंत्र आदि से अपने को बचाने में अधिकांशतः सफल होगी। कुंडली में धनेश और लाभेश का योग भाग्य भाव में होने से इस सरकार को आर्थिक संकटों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

कृषि के क्षेत्र में यह सरकार विशेष कार्यनीति बनाकर प्रदेश की विकास दर को आगे ले जाने में सफल रहेगी। दूसरी ओर रोजगार तथा व्यापार के क्षेत्र में सरकार गंभीरतापूर्वक अच्छा कार्य करेगी। कर्क लग्न होने से तथा लग्नेश नीच राशि में होने से एवं अष्टम स्थान में केतु होने से यह सरकार कभी-कभी अधिक भावुकतावश ऐसे निर्णय भी ले सकती है जिससे उसको परेशानी का सामना करना पड़े।


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अतः कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले उसके दूरगामी परिणामों की समीक्षा अवश्य कर लेना सरकार के लिए शुभ रहेगा। भद्राकालीन समय में शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उस दिन वृश्चिक राशि में स्वर्गलोक की भद्रा होना अशुभ नहीं है तथा दिन के मध्याह्नन के बाद की भद्रा भी अशुभ नहीं होती। इस दृष्टि से भद्राजनित दोष का परिहार हो रहा है।



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