ग्रहण और प्राकृतिक आपदा

ग्रहण और प्राकृतिक आपदा  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 1778 | सितम्बर 2018

ग्रहण एक खगोलीय अवस्था है जिसमें कोई खगोलीय पिंड जैसे ग्रह या उपग्रह किसी प्रकाश के स्रोत जैसे सूर्य और दूसरे खगोलीय पिंड जैसे पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे प्रकाश का कुछ समय के लिये अवरोध हो जाता है। गणना द्वारा ज्ञात किया गया है कि प्रति शताब्दी औसतन 154 चंद्र ग्रहण तथा 237 सूर्य ग्रहण होते हैं। ये ग्रहण हर पूर्णिमा तथा अमावस्या को नहीं होते। भारतीय ज्योतिष के मेदिनीय सिद्धांत अनुसार यदि मास के अंदर 3 ग्रहण पड़ते हैं तो उसके 6 मास के भीतर भूकंप व प्राकृतिक आपदाएं आती हैं।

खगोलीय घटनाओं का पराशर, गर्ग, बादरायण व वराह मिहिर जैसे ऋषि हजारों वर्षों से अध्ययन करते आए हैं। वैज्ञानिक युग में अभी भी प्राकृतिक आपदाओं की सटीक गणना लगाना असंभव है। ज्योतिषशास्त्र में कुछ ऐसे तथ्यों का उल्लेख है जिनके विश्लेषण से प्राकृतिक आपदाओं के आने की पूर्व सूचना प्राप्त की जा सकती है। साल 2018 में कुल पांच ग्रहण थे- जिसका पांचवां और अंतिम सूर्यग्रहण 11 अगस्त को था। इस वर्ष 13 जुलाई को सूर्यग्रहण, 27 जुलाई को चंद्रग्रहण और 11 अगस्त को सूर्यग्रहण हुआ है। इस प्रकार एक माह के अंदर तीन ग्रहण एक के बाद एक आए। एक साथ क्रम से आने वाले ग्रहणों का निश्चित रुप से प्रकृति पर प्रभाव पड़ता है, जिसे हम स्पष्ट रुप से विश्व में घटित होती घटनाओं के माध्यम से देख सकते हैं। जुलाई-अगस्त 2018 में विश्व स्तर पर आने वाली प्राकृतिक आपदाएं इस बात का प्रमाण है :

भारत वर्ष में होने वाली प्राकृतिक आपदाएं

दुनिया भर में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं जिसमें बाढ़ और भूस्खलन प्रमुख हैं से होने वाली मौतों में से 20 प्रतिषत भारत में ही होती हैं। वर्ष 2018 में बाढ़ से होने वाले हादसों में लगभग 600 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इसके अतिरिक्त करोड़ों की सम्पत्ति व फसलों को नुकसान पहुंचा है। आज भारत के पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी राज्य बाढ़, नदियों के उफान, बादल फटने, भूमि खिसकने से इमारतों के गिरने और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के विनाष से ग्रस्त हो रहे हैं। असम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैण्ड में स्थिति और भी कष्टकारी है, इसमें लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। केरल में करीब 60 हजार लोग राहत षिविरों में हैं। यहां भयानक बाढ़ के चलते 14 में से 11 जिले बुरी तरह प्रभावित हैं।

कैलिफोर्निया के जंगलों की आग: 23 जुलाई, 2018 से सक्रिय। प्रभावित क्षेत्र: पूरे राज्य में, उत्तरी कैलिफोर्निया में रेडिंग से दक्षिणी कैलिफोर्निया में रिवरसाइड काउंटी तक।

कारण: उच्च रिकॉर्ड तोड़ तापमान को शुष्क वनस्पति का साथ मिलने से उत्तरी कैलिफोर्निया से लेकर दक्षिणी कैलिफोर्निया तक यह आग फैल चुकी है। यह आग 17 स्थानों पर सक्रिय है और जंगल की आग की यह सबसे विनाशकारी उदाहरण बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कैलिफोर्निया इतिहास में सातवीं सबसे विनाशकारी आग है और यह अभी भी बढ़ ही रही है। इस आग पर नियंत्रण पाने में 16 राज्यों के अग्निशामक रोकथाम के प्रयासों में शामिल हो गए, जिससे अग्निशामक कर्मियों की कुल संख्या 12,000 हो गई। इस आपदा से होने वाले नुकसान इस प्रकार हैंः इस आग के दायरे में लगभग 300,000 कुल एकड़ जमीन नष्ट हो गई। कैलि फायर ने 657 घरों को नष्ट कर दिया है। इसमें 8 अग्निशमन कर्मचारियों की मौत हो चुकी है।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


जापान - बाढ़ और मडस्लाइड

तिथि: जुलाई 2018, क्षेत्र प्रभावित: दक्षिण पश्चिम जापान कारण: जुलाई 2018 के पहले सप्ताह के दौरान, दक्षिण-पश्चिम जापान में होने वाली भारी बारिश विनाशकारी बाढ़ और मडस्लाइड का कारण बनी। इससे होने वाले नुकसान में बड़े पैमाने पर इमारतों का नष्ट होना, जमीन का खिंसकना, हजारों व्यक्तियों का विस्थापन, निवासियों का मार्ग में फंसना। इसमें लगभग दो मिलियन लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा और सुरक्षा कारणों से पीछे हटना पड़ा। 70,000 से अधिक आपातकालीन कार्यकर्ता इस बाढ़ से बचाव में मदद कर रहे हैं। आपदा में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या लगभग 100 से अधिक पहुंच गई है।

कंबोडिया - बाढ़, जुलाई 2018: 28 जुलाई तक, उष्णकटिबंधीय तूफान सोन टिंह के प्रभाव के बाद आई बाढ़ में जलविद्युत बांध टूट गया और 16,250 लोग प्रभावित हुए हैं, जिससे 19 लोग मारे गए हैं और 7,300 से अधिक लोगों को विस्थापित कर दिया गया है और हजारों अस्थायी आश्रय में रह रहे हैं। सड़क, पुल, स्कूल और कृषि भूमि क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गई है, और अधिकांश प्रभावित क्षेत्र कटा हुआ है। इस आपदा से निपटने के लिए बड़े स्तर पर भोजन, स्वच्छता और स्वच्छता समर्थन, आवास मरम्मत किट और मनोवैज्ञानिक समर्थन देने का कार्य चल रहा है।

विष्व में जुलाई-अगस्त 2018 में प्राकृतिक आपदाएं

grahan-or-prakritik-aapda

चीन - बाढ़, जुलाई 2018: जुलाई के प्रथम सप्ताह की शुरूआत में चीन में आई बाढ़ ने काफी तबाही मचाई है। जुलाई माह में होने वाली भारी बारिश से होने वाले नुकसान से चीन अभी उबरा भी नहीं था कि एक बार फिर पश्चिमोत्तर चीन में आई बाढ़ में 20 लोगों की मौत हो गई है और आठ अन्य लापता हैं। इसके अतिरिक्त 8700 से अधिक मकान, कृषि भूमि, सड़कें, रेल लाइन और बिजली एवं संचार सुविधाएं बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुई हैं।

भूकंप इंडोनेशिया - जुलाई 2018: 29 जुलाई 2018 को स्थानीय समय पर 05ः47 स्थानीय समय पर 6.4 तीव्रता के भूकंप ने इंडोनेशिया के पश्चिम नुसा तेंगारा प्रांत को हिला दिया। इस भूकंप ने उत्तरी लंबोक, पूर्वी लंबोक और पश्चिम लंबोक के तीन जिलों को प्रभावित किया। 29 जुलाई के भूकंप को अभी विश्व भूला भी नहीं था कि इंडोनेशिया में एक हफ्ते में दूसरा भूकंप आया।

29 जुलाई को आने वाले भूकंप में लगभग 16 लोगों की जान गई थी और सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा था, इस भूकंप की तुलना में 5 अगस्त 2018 को आने वाला भूकंप अधिक खतरनाक था। 5 अगस्त को आने वाले भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7 थी, जिसमें लगभग 91 लोगों की जान जाने की संभावना है। इस आपदा से प्रभावित होने वाले कई क्षेत्रों की जानमाल की हानि का अनुमान अभी नहीं लग पाया है क्योंकि कुछ प्रभावित क्षेत्रों तक अभी राहत कार्य शुरु भी नहीं हो पाया हैं। इससे प्रभावित 20,000 लोग अस्थाई रूप से शेल्टर में रह रहे हैं।

उपरोक्त आपदाओं का ग्रहण से किस प्रकार संबंध है, इसके ज्योतिषीय नियम निम्नवत हैं:

  • ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार शनि, गुरु और मंगल में से यदि दो या दो से अधिक ग्रह वक्री हों तो ग्रहण या प्राकृतिक आपदाएं आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। कारण है कि सूर्य, बुध, शुक्र, राहु-केतु के निकट होते हैं एवं बाह्य वक्री ग्रह सूर्य के विपरीत होते हैं। इस प्रकार से दोनों धुरियों पर ग्रहों की स्थापना हो जाती है। जब भी दोनों धूरियों पर ग्रह होते हैं तो शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या द्वितीया में भूकंप आते हैं। पूर्णिमा अर्थात चंद्रग्रहण के दूसरे या तीसरे दिन भूकंप आने की संभावनाएं बनती हैं, जैसा कि इंडोनेशिया में इस बार हुआ है। वर्तमान में यहां आने वाला भूकंप चंद्रग्रहण से लगभग 24 घंटे के बाद अर्थात् दूसरे दिन आया।
  • ग्रहण के बाद जब भी भूकंप आते हैं तो भूमध्य रेखा के आस-पास ही आते हैं। इंडोनेशिया में आने वाला भूकंप भी भूमध्य रेखा के पास ही था। अगर राहु-केतु के मध्य में चंद्रमा होगा तो भूकंप का संभावित क्षेत्र दक्षिण गोलार्ध होगा। इसके विपरीत यदि केतु से राहु के मध्य चंद्रमा होगा तो भूकंप की दिशा उत्तरी गोलार्ध होगी। चंद्रमा यदि राहु के साथ होगा तो भूकंप संभावित क्षेत्र भूमध्य रेखा के आस-पास ही रहते हैं। जब भी शनि और मंगल ग्रहण के समय साथ हो तो अति वृष्टि के योग बनते हैं और यदि दोनों ग्रह उस समय वक्री भी हों तो होने वाली अति वृष्टि विनाशकारी होती है। इस बार शनि और मंगल दोनों वक्री हैं करीब-करीब साथ हैं अतः अति कष्टकारी अति वृष्टि के योग बन रहे हैं।
  • बुध वक्री या सूर्य से कम अंश का होता है या अस्त होता हो तो भूकंप व सुनामी की संभावना बढ़ जाती है। सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य कर्क राशि में 24 अंश का गोचर कर रहे हैं और बुध भी कर्क राशि में 21 अंश के हैं अर्थात सूर्य से कम अंशों के हैं। जब भी ग्रहण के समय दो या दो से अधिक ग्रह वक्री होंगे भूकंप से होने वाला विनाश उसी अनुपात में बढ़ जायेगा। इस समय मंगल शनि और बुध वक्री होने के कारण आने वाले समय में भूकंप से अत्यधिक विनाश की संभावनाएं दर्शा रहे हैं।
  • सदैव दो ग्रहण एक साथ आते हैं। चन्द्र ग्रहण के समय यदि राहु-सूर्य दो या तीन अंश अंतर पर हों तो तीन ग्रहण एक साथ हो सकते हैं। जब भी तीन ग्रहण एक साथ आते हैं और उस समय यदि दो से अधिक ग्रह वक्री हों तो आने वाली प्राकृतिक आपदाएं विकराल रूप में सामने आती हैं। ये आपदाएं ग्रहण काल के बाद 6 मास तक आती रहती हैं। उपरोक्त ज्योतिष नियम पूर्ण रूप से तत्कालीन आपदाओं की व्याख्या कर आने वाले समय के लिए चेतावनी दे रहे हैं।

To Get Your Personalized Solutions, Talk To An Astrologer Now!




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.