ज्योतिष और अध्यात्म कैसे कार्य करते हैं। (1 व्यूस)

ज्योतिष पूर्णत: वैज्ञानिक हैं। ज्योतिष मानव कल्याण का एक बहुत बड़ा साधन हैं। इसका प्रयोग कर व्यक्ति स्वयं को श्रेष्ठ बना सकता है। ज्योतिष न केवल भविष्य को समझने का साधन हैं बल्कि यह मन को समझने का सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं। जो व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण रखने लगता है वह अपने जीवन की सभी गतिविधियों पर नियंत्रण कर लेता है। ऐसा व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माण स्वयं करने लगता है। ज्योतिष हमारा जीवन बेहतर बना सकता है। श्रेष्ठ अभिभावक बनने में ज्योतिष हमारा सहयोगी बन सकता है। यह भी अटल सत्य है कि ज्योतिष के द्वारा पूर्ण भविष्य नहीं जाना जा सकता हैं. इसीलिए भविष्य पूर्णत: निर्धारित नहीं है। हमारी सीमा रेखाएं निर्धारित है। जीवन में इन सीमाओं से बाहर जाकर हम कार्य नहीं कर सकते हैं। इन सीमा रेखाओं में हम स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं। इसी विचरण को नियंत्रित करने के लिए ज्योतिष की जरुरत हैं। ज्योतिष में अध्यात्म का प्रयोग कर ज्योतिष से जानी गई समस्याओं का समाधान अध्यात्म के द्वारा किया जा सकता है।

अध्यात्म कर्मवादी बनाता है और ज्योतिष व्यक्ति को आंशिक रूप से भाग्यवादी बनाता है। भाग्य निर्धारित नहीं हैं और न ही वह निर्धारित हो सकता है। इसी प्रकार जीवन का अंत भी निर्धारित नहीं हैं। अध्यात्म के द्वारा आप अपने जीवन के अंत को भी तीन बार बदल सकते है और प्राचीन ॠषि, योगी एवं अध्यात्म शास्त्री जीवन के अंत को इससे भी अधिक बार बदल सकते है। यदि ईश्वर या ऋषियों को ज्योतिष के द्वारा यह मालूम होता कि जीवन का अंत किस प्रकार होगा तो फिर धर्म कर्म क्रियाओं, मंत्र, उपाय, पूजा पाठ क्यों जाता। परन्तु ऐसा नहीं हैं। भाग्य को कर्म और विवेक से बदला जा सकता है।


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